मूवी रिव्यू : सनफ्लॉवर
विपुल रेगे। महानगर की एक सोसाइटी के फ़्लैट में रहने वाले एक व्यक्ति की हत्या हो गई है। हत्या इतनी सफाई से की गई है कि पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है। हत्या के कारण को तलाशती पुलिस को एक दिन पता चलता है कि मारा गया व्यक्ति न केवल दो प्रेमियों को अलग करने का दोषी है, बल्कि अपने पड़ोसियों को भी खराब व्यवहार से परेशान करता रहा है। जैसे-जैसे पुलिस की जाँच आगे बढ़ती है, ये मर्डर मिस्ट्री उलझती चली जाती है। इस वेब सीरीज को ओटीटी पर जिस ढंग का रिस्पाँस मिल रहा है, वह बताता है कि दर्शक इस मंच पर कहानियों को लेकर नए प्रयोग देखना चाहता है।
विकास बहल और राहुल सेन गुप्ता द्वारा निर्देशित ये सस्पेंस मूवी आठ भागों में दिखाई गई है। सनफ्लॉवर सोसाइटी में मरने वाले व्यक्ति के घर में पुलिस जाँच शुरु करती है। प्रारंभिक जाँच में पता चलता है कि इस व्यक्ति को ज़हर देकर मारा गया है। पुलिस को इसके दो पड़ोसियों पर गहरा शक है।
इनमे से एक कॉलेज में प्रोफेसर है तो दूसरा किसी कंपनी में मैनेजर का कार्य करता है। विकास बहल द्वारा निर्देशित इस वेब सीरीज में ग्रिप तो है किंतु आठवें भाग में पता चलता है कि सस्पेंस खुलने के लिए दर्शक को अभी दूसरे सीजन की प्रतीक्षा करनी होगी। दर्शक को इसके आठ भाग पुनः देखने होंगे, तब ही उसे पता चल सकेगा कि हत्या किसने की थी। एक मर्डर मिस्ट्री को दूसरे सीजन तक खींचा जाना दर्शक के सब्र की इंतेहा है।
निर्देशक ने पहले सीजन में कहानी को अच्छा विस्तार दिया है। अंत तक कुशलता से रहस्य छुपाए रखा है। सनफ्लॉवर में रहने वाले किरदारों के चरित्र का सुंदर खाका खींचा है। फिल्म दर्शक को अंत तक एंगेज रखने में भी सफल रही है। हालाँकि निर्देशक जोड़ी ने सात भागों में जो रुचि बनाए रखी थी, वह आठवें भाग में कपूर की तरह हवा में उड़ जाती है। इस भाग में निर्देशक बताता है कि पुलिस केस को क्रेक करने के बिलकुल नज़दीक पहुँच गई है।
जब आखिरी भाग में केस हल होने जा रहा था, तो उसके लिए फिर से आठ भाग की सीरीज बनाने की क्या तुक रही होगी। यदि हम फैमिली मैन से इसकी तुलना करे तो वह वेब सीरीज एक भाग में समाप्त नहीं हो सकती थी। यहाँ ऐसा नहीं है। एक इमारत में हुई हत्या की जाँच क्या सोलह एपिसोड तक चलाई जाएगी ?
फिल्म अंत तक आते-आते निशाना लगाने से तो चूक जाती है लेकिन इसमें काम करने वाले कलाकारों के कारण याद रखने योग्य भी होती है। रणवीर शौरी, सुनील ग्रोवर, गिरीश कुलकर्णी, आशीष विद्यार्थी का सुंदर अभिनय इस वेब सीरीज की जान है। फिल्म में कुछ दृश्य गैर ज़रुरी लगते हैं। इन दिनों वेब सीरीज में ये चलन बढ़ गया है कि कथानक के साथ भारतीय समाज का सच्चा-झूठा चित्रण भी होता है।
इस वेब सीरीज में एक टीनएजर कंडोम खरीदने की बात पर पुलिस इंस्पेक्टर से बहस करता दिखाया गया है। ये दृश्य फिल्म में न होता तो भी कोई अंतर नहीं पड़ना था। इस मर्डर मिस्ट्री की सबसे बुरी बात ये है कि जब कथा समाप्त होने आ गई थी, तो अनुपयोगी ट्विस्ट डालकर इसे आगे बढ़ाया गया है। इसे वयस्क दर्शक ही देखें तो बेहतर है। सनफ्लॉवर zee5 पर उपलब्ध है।