भरे पड़े चाणक्य देश में , चंद्रगुप्त को ढूंढो ;
हिंदू नेता विफल हो गये , नेतृत्व नया अब ढूंढो ।
ऐसा हो नेतृत्व , राष्ट्र की हर दम करे जो चिंता ;
तुष्टीकरण, अल्पसंख्यकवाद की ,दूर करें जो चिंता।
राष्ट्र के दुश्मन जो आक्रांता , सारे मांगे पानी ;
जिम्मी ,सेक्यूलरिस्ट व गुन्डे , याद करें सब नानी ।
कानून का शासन हर कीमत पर , गुंडा हरदम रोवे ;
भ्रष्टाचार खत्म हो जड़ से , ऐसा शासन होवे ।
सारा झूठाइतिहास हटाकर,सच्चाइतिहास जो लावे;
राष्ट्र का गौरव जागृत करके , चंद्रगुप्त कहलावे ।
अंधों में कानी बीजेपी , दो आंखों वाली लाओ ;
बाकी सारे एकदम अंधे , उन सबको ठुकराओ ।
हर हिंदू का शौर्य जगाकर ,एक नया दल लाओ ;
देश को हिंदू राष्ट्र बना कर , हर अन्याय मिटाओ ।
सदियों से अन्याय सह रहा ,देश का असली हिंदू ;
सेक्यूलरिस्ट ,जिम्मी और वामी ,ये हैं नकली हिंदू ।
जितने भी हैं नकली हिंदू ,राष्ट्र के जानी दुश्मन ;
दुश्मन के टुकड़ों पे पलते , पापी इनका तन मन ।
सबसे बड़ी समस्या ये ही, सेक्यूलरिस्ट और जिम्मी ;
छेद सदा थाली में करती ,इनकी कौम निकम्मी ।
ज्यादातर नेता भी जिम्मी , करें राष्ट्र का शोषण ;
गुंडे इनके संगी साथी , उनका करते पोषण ।
इनकी ही काली करतूतें , राष्ट्र हुआ बर्बाद ;
केवल हिंदू राष्ट्र करेगा , देश को अब आबाद ।
अब सारे चाणक्य सजग हों , चंद्रगुप्त को लायें ;
उसके हाथ में सत्ता देकर , भारत राष्ट्र बचायें ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”