विपुल रेगे। गुरुवार की सुबह जेम्स बॉन्ड सीरीज की पच्चीसवीं फिल्म ‘नो टाइम टू डाई’ प्रदर्शित हुई। इस भव्य फिल्म का विश्व के सभी दर्शकों ने स्वागत किया है। एक पश्चिमी फिल्म समीक्षक की टिप्पणी थी कि मुख्य अभिनेता डेनियल क्रेग ने जेम्स बॉन्ड को बचा लिया है। उनकी ये टिप्पणी इस फिल्म पर सटीक उतर रही है। डेनियल क्रेग ने जेम्स बॉन्ड को बचाया है और जेम्स बॉन्ड ने भारत में मरते सिनेमा को नई ऑक्सीजन दे दी है। जेम्स बॉन्ड की ये प्रस्तुति फिल्म मेकिंग के हर विभाग में एक मुकम्मल फिल्म बन उभरती है। इस दफा बॉन्ड निर्माताओं ने अपनी मूल थीम में भारी उलटफेर करते हुए न केवल दर्शकों को चौंकाया है, अपितु इसे क्रेग डेनियल का सुंदर ‘स्वान सान्ग’ बना दिया है।
जेम्स बॉन्ड 007 रिटायर हो चुका है और अपनी मेडलीन मेडलिन स्वान के साथ दुनिया की नज़रों से दूर जीवन बिता रहा है। मेडलिन बॉन्ड के लिए शुरु से ही रहस्य के कुहासे में लिपटी सुंदरी रही है। वह मेडलिन के अतीत के बारे में कुछ नहीं जानता। बॉन्ड फिल्मों की विशेषता है कि उनकी फिल्म एक जानदार ओपनिंग सीक्वेंस के साथ खुलती है। इस बार ये ओपनिंग सीन मेडलीन के अतीत का राज़ खोलता है।
ये एक कंपाने वाला अतीत है। बॉन्ड और मेडलीन को लगता है कि अब दुश्मनों ने उन पर नज़र रखना छोड़ दिया है। फिर एक दिन दोनों पर जानलेवा हमला होता है। परिस्थितियां बॉन्ड को पुनः ब्रिटिश सीक्रेट सर्विस के दरवाज़े पर ला खड़ा करती है। अबकी बार दुश्मन उनसे भी अधिक ताकतवर है। जापान और रुस के मध्य स्थित एक द्वीप पर द्वितीय विश्व युद्ध के एक वॉर बेस पर वह वायरसों की खेती करता है।
वह उसे ‘ज़हर का बगीचा’ कहता है। साफिन नामक ये व्यक्ति भयंकर प्लान रच रहा है। ये अपना वायरस कुछ विशेष डीएनए वाले व्यक्तियों के लिए बनाता है, जो इस दुनिया में मौजूद है। उसका वायरस नैनो पार्टिकल के रुप में त्वचा से शरीर में घुस जाता है ।
इसे मैंने हर विभाग में संपूर्ण फिल्म इसलिए लिखा कि निर्देशन, सिनेमेटोग्राफी, अभिनय, स्क्रिप्ट, स्क्रीनप्ले सभी में अचूकता का अहसास होता है। इसके स्टंट तो केक पर रखी चेरी के समान है। जब दर्शक हर दूसरी फिल्म में सुपरहीरोज को देखकर उकता गई हो और नो टाइम टू डाई में उन्हें जीवंत एक्शन देखने को मिल जाए तो और क्या चाहिए। सारे ही एक्शन सीक्वेंस एक से बढ़कर एक है।
वीएफएक्स का बारीकी से प्रयोग किया गया है, वहीं जहाँ उसकी आवश्यकता है। कहानी रिदम के साथ आगे बढ़ती है। दर्शक कहीं उबता नहीं है। वह बार-बार मोबाइल चेक नहीं करता है। आज के व्यस्त समय में फुल लेंथ वाली तीन घंटे की फिल्म बनाना साहस का कार्य है। हालांकि ये तीन घंटे दर्शक को बोर होने का अवसर नहीं देते। कथा में रोमांच आखिरी तक बना रहता है। इस बार बॉन्ड की प्रेम कथा को अमेरिकन निर्देशक कैरी जोजी फाकुंगा ने एक नया आयाम दिया है।
ये एक सुंदर प्रेम कथा बनकर उभरती है। Léa Seydoux और डेनियल क्रेग की केमेस्ट्री बड़ी ही जीवंत दिखाई गई है। इस प्रेम कथा का फिल्म की कथा में महत्वपूर्ण भूमिका है। इस फिल्म में मुख्य खलनायक की भूमिका में Rami Malek न होते तो ये फिल्म एक पलड़े से झुक जाती। डेनियल क्रेग और उनके बीच अभिनय का जैसे मुकाबला चला है और बराबरी पर छूटा है। रामी जब परदे पर आते हैं तो आपकी निगाहें एक पल के लिए उन पर से नहीं हटने वाली है।
ये बॉन्ड फिल्मों के खलनायकों की फेरहिस्त में ऊंचा स्थान पाने वाला खलनायक है। एक और किरदार की बात न की जाए तो बात अधूरी ही रह जाएगी। क्यूबन-स्पेनिश Ana de Armas ने इस फिल्म में भविष्य की बॉन्ड कन्या के रुप में एंट्री ली है। अना का तूफानी किरदार महज दस मिनट का है लेकिन उनकी अदायगी आपको याद रह जाएगी।
ये भी क्या संयोग है कि कोरोना वायरस आने से पहले ही इस फिल्म की पटकथा लिखी गई थी। इस फिल्म की कथा का आधार एक ‘ज़हर का बगीचा’ है जो एक द्वीप पर फलफूल रहा है। बहरहाल सिनेमा के मरने की घोषणा करने वालों के मन की आस अधूरी रह गई है।
गुरुवार की सुबह इन्दौर शहर के एक मल्टीप्लेक्स में सुबह-सवेरे के पहले शो में ये फिल्म समीक्षक अकेला दर्शक था। हालांकि देश के और हिस्सों से खुशखबरी आने लगी है। इस फिल्म का आनंद न मोबाइल में है और न टीवी में। ये फिल्म बड़े परदे पर साकार होती है। विशाल सेल्युलाइड पर थ्रीडी के माध्यम से इसे देखना आनंद को द्विगुणित कर देता है। ये फिल्म बच्चों के लिए नहीं है।
डेनियल ने इस फिल्म से विदाई ले ली है। उनकी विदाई एक सुंदर ‘स्वान सान्ग’ बनकर परदे पर उभरती है। जब वे परदे से विदा लेते हैं तो दृश्य की सिचुएशन के अनुसार वह फिल्म का सबसे अनुपम और सुंदर दृश्य बनकर उभरता है। गुड जॉब मिस्टर डाइरेक्टर।