कलाकार : मनोज बाजपेयी, कोंकणा सेन शर्मा, नासर, सयाजी शिंदे
निर्देशक : अभिषेक चौबे
निर्माता : मैकगफिन पिक्चर्स
ओटीटी मंच : नेटफ्लिक्स
भाषा : हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम
विपुल रेगे। निर्देशक अभिषेक चौबे की ‘किलर सूप’ सस्पेंस से भरी है। सस्पेंस के इन धागों में हास्य की बुनकारी है। इस बुनकारी में अभिनय के सुंदर मोती जड़े हुए हैं। सस्पेंस, हास्य और थ्रिल से भरी ये वेब सीरीज अनिवार्य रुप से वयस्क दर्शकों के लिए है क्योंकि ये किलर सूप सेक्स की आंच पर पकाया गया है। ये इंट्रेस्टिंग है और पकड़कर रखता है। नेटफ्लिक्स पर गुरुवार शाम रिलीज हुई ये वेब सीरीज मिश्रित प्रतिक्रियाओं का सामना करते हुए आगे बढ़ रही है। मनोज बाजपेयी, कोंकणा सेन शर्मा और नासर के प्रशंसनीय अभिनय से आलोकित होती ‘किलर सूप’ ओटीटी पर हिन्दी सिनेमा की जड़ों को और मजबूत करने का काम तो करती है लेकिन साथ ही साथ ये प्रश्न भी उठाती है कि नेटफ्लिक्स की फिल्मों में सेक्स और अवांछित रिश्तों की कहानी अनिवार्य रुप से क्यों मौजूद होती है ?
कहानी
स्वाति शेट्टी (कोंकणा सेनशर्मा) एक बेकार कुक है। उसकी रेसिपी कभी स्वादिष्ट नहीं बन पाती। स्वाति एक रेस्टोरेंट खोलना चाहती है। उसका पति प्रभाकर (मनोज बाजपेयी) अपने भाई के साथ ड्रग्स के कारोबार में लिप्त है और पत्नी की कभी मदद नहीं करता। स्वाति का चरित्र संदेहास्पद है। उसके जीवन में और कोई पुरुष है। प्रभाकर को पत्नी पर शक है। वह एक जासूस द्वारा उसकी जासूसी करा रहा है। एक रात स्वाति के जीवन में बड़ी घटना घटती है। भाग्य उसे अमीर बनने और सपने पूरे करने का अवसर देता है। स्वाति के हाथ एक क़त्ल हो जाता है। ये क़त्ल उसे अपने सपने पूरे करने के अंधे रास्ते पर ले जाता है। वेब सीरीज में एक ऐसा पात्र भी है, जो मरकर भूत बनता है। इस पात्र का प्रस्तुतिकरण बहुत रोचकता के साथ किया गया है।
निर्देशन
नेटफ्लिक्स पर गुरुवार शाम रिलीज हुई ‘किलर सूप’ में वह गोंद है, जो दर्शक को चिपका लेता है। इसमें वह कशिश है कि एक ही बार में इसके आठ एपिसोड देखे जा सकते हैं। ये मूलतः एक अपराध कथा है। आठ एपिसोड की इस कथा में हास्य के पेंच लगाए गए हैं ताकि दर्शक तनाव मुक्त होकर इस गहरे थ्रिलर का मज़ा ले सके। ‘किलर सूप’ बहुत सी सच्ची कहानियों का रस निचोड़कर बनाई गई है। सुंदर सिनेमेटोग्राफी इसका एक मजबूत पक्ष है।
सस्पेंस आखिर तक कायम रहता है और इस कारण वेब सीरीज आखिरी एपिसोड तक चित्ताकर्षक बनी रहती है। हर फिल्म निर्देशक अपनी सोच के साथ फिल्म बनाता है। कभी उसकी सोच दर्शक को पसंद आती है, कभी नहीं। ‘किलर सूप’ बाजपेयी की एक अन्य वेब सीरीज ‘द फैमिली मैन’ की तरह यूनिवर्सल चॉइस नहीं बन सकेगी। ये मूलतः एक अपराध कथा है। इसमें इंटिमेसी है। ये इंटिमेसी भावनात्मक निकटता दिखाने के लिए सेक्स दृश्यों पर निर्भर रहती है। अपराध कथाएं एक किस्म का नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करती है। ‘किलर सूप’ में वह डार्कनेस महसूस होती है।
अभिनय
मनोज बाजपेयी अपने किरदारों को लेकर होमवर्क करते हैं। वे अपने किरदार की बारीकियों को पकड़ने के बाद सेट पर आते हैं। ‘किलर सूप’ में वे दोहरी भूमिका में दिखाई दिए हैं। जब वे कैमरे के सामने उतरते हैं तो साथी कलाकारों के बीच सहज प्रतियोगिता शुरु हो जाती है। उनका मुकाबला उच्च दर्जे की अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा, सयाजी शिंदे और नासर से था। इस वेब सीरीज में हमे अभिनय का अद्भुत मुकाबला देखने को मिलता है। दक्षिण भारतीय कलाकार नासर की उपस्थिति से ‘किलर सूप’ का वज़न बढ़ जाता है।
कलाकारों को निर्देशक ने अभिनय दिखाने के लिए असीमित आकाश प्रदान किया है। कोंकणा सेन शर्मा ने बाजपेयी और नासर का डटकर मुकाबला किया है। कुछ बातें परेशान करती है। जैसे इसके बहुत से दृश्यों में तमिल भाषा बोली गई है। कथानक में वास्तविक पुट लाने के लिए निर्देशक ने ऐसा किया है। हालांकि ऐसा करने से फिल्म बहुभाषी हो जाती है। तमिल के संवादों को स्क्रीन पर चल रहे अंग्रेज़ी सब टाइटल्स से समझना पड़ता है। इस अपराध कथा में फूल उगाने के लिए सेक्स का भरपूर इस्तेमाल किया गया है। ये दृश्य कथानक की मांग पर सहज ही उत्पन्न होते से लगते हैं। ये ठूंसे हुए नहीं लगते।
हमारी सरकार और दर्शक वर्ग को समझना होगा कि नेटफ्लिक्स जैसे मंच ‘सेक्स, विवाहेतर संबंधों, समलैंगिकता’ वाली फ़िल्में अधिक पेश करता है। क्या इस अंतरराष्ट्रीय मंच का उद्देश्य कहीं भारतीय समाज को इस ढंग से प्रदूषित करना तो नहीं है ? हाल ही में भारत सरकार ने नेटफ्लिक्स से एक धर्म विरोधी फिल्म ‘अन्नपूर्णी’ को हटवा दिया है। यदि सरकार चाहे तो ओटीटी पर इस तरह के प्रदूषण पर काबू पा सकती है। जैसी इच्छाशक्ति उसने ‘अन्नपूर्णी’ को हटाने में दिखाई है, वैसी ही शक्ति उसे गंदगी फैला रहे ओटीटी मंचों को दिखानी चाहिए। फिल्म की भाषा और पारिवारिक वातावरण बहुत खराब दिखाया गया है।
‘किलर सूप’ के वयस्क दृश्यों का समर्थन भी नहीं किया जा सकता, भले ही वे कितने ही कहानी से जुड़े हुए हो। स्वस्थ मनोरंजन भारतीय समाज की पहली मांग है। बहरहाल ‘किलर सूप’ एक एंगेजिंग क्राइम थ्रिलर है। सहज अभिनय, स्मूद निर्देशन, सुंदर कैमरा संचालन और सस्पेंस आखिरी तक कायम रखना इस वेब सीरीज की यूएसपी है। मिश्रित प्रतिक्रियाओं के बावजूद इसे पसंद किया जा रहा है। ये वयस्क दर्शकों के लिए है। क्राइम, सस्पेंस पसंद करते हैं तो इसे देख सकते हैं।