नई दिल्ली, ग्राम उदय फाउन्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संजीव कुमार तिवारी के नेतृत्व में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश श्री धनंजय यशवन्त चन्द्रचूड़ की नियुक्ति में संविधान के अनुच्छेद 124.2 का पालन नहीं किया गया बताने वाली पुनर्विचार याचिका को खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जन्तर मन्तर पर प्रदर्शन किया गया। जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के जाने माने वकील श्री ए पी सिंह, हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुन्ना कुमार शर्मा और दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन सहित हिन्दू संगठनों ने भाग लिया।

प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए श्री संजीव तिवारी ने बताया कि हमने अपनी पुनर्विचार याचिका संख्या 14/2023 में 2 मुद्दे उठाये थे। पहला सर्वोच्च न्यायालय महामहिम राष्ट्रपति के 24-11-98 के आदेशों को मानकर हिन्दी में याचिकाऐं स्वीकार करे और फैसले हिन्दी में भी दे। दूसरा मुख्य न्यायधीश श्री यशवन्त धनंजय चन्द्रचूड़ की नियुक्ति में संविधान के अनुच्छेद 124.2 का पालन किया जाये। जो नहीं किया गया। किन्तु दिल्ली उच्च न्यायालय के जजों ने मेरी संविधान सम्मत मांगों को नहीं माना और मेरी याचिका को खारिज कर दिया। इसी के साथ मेरे उपर लगाया 1 लाख रुपये का जुर्माना भी बरकरार रखा।
प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील श्री ए पी सिंह ने श्री संजीव कुमार तिवारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने जजों से बार-बार पूछा कि एक लाख रुपयें के जुर्माने की सजा भारत सरकार के किस कानून के तहत दी गयी। जिसका माननीय जज साहब के पास कोई जवाब नहीं था।
प्रदर्शनकारियों सम्बोधित करते हुए दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने देश वासियों और जवानों को आह्वान किया कि न्यायालय नक्सली ईसाई आतंकवादियों और हिन्दू विरोधियों के पनाहगार बन गये है। आये दिन हमारे सैनिकों और जवानों को मारने वाले देशद्रोहियों के पनाहगार सर्वोच्च न्यायालय के जज ही है। जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश रचने वाले नक्सली ईसाई आतंकवादियों को गिरफ्तारी के 10 घन्टों में ही जमानत दे देते हैं।
गिरफ्तार किये इन खूंखार नक्सली ईसाई आतंकवादियों में से गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव सहित अधिकांश आज जमानत पर बाहर है। बाकियों को छोड़ने में हमारे जज साहब लगे हुए हैं। हिन्दू संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और कानूनमंत्री श्री किरन रिजिजू को ज्ञापन देकर अनुरोध किया कि जजों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 123.2 के अनुसार की जाये।
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