भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से पहले ही अगर किसी को उनसे भय था, तो वह उनका मामा कंस था। असल में, कंस न ही तो एक राक्षस था, न ही कोई असुर या दानव। लेकिन कंस को लेकर जो भविष्यवाणी हुई थी कि, उनकी बहन देवकी का एक पुत्र ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। इसकी वजह से वह दहशत में रहने लगा था। इस कहानी के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कंस पिछले जन्म में क्या था? कंस की मृत्यु कैसे हुई थी? आज हम आपको श्रीकृष्ण के मामा कंस के बारे में दस ऐसी खास बातें बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
कंस अपने पिछले जन्म में ‘कालनेमि’ नाम का एक असुर था, जिसका वध भगवान विष्णु ने किया था। कालनेमि के पिता का नाम विरोचन था। कालनेमि ने देवासुर संग्राम में भगवान हरि पर अपने सिंह पर बैठे-बैठे ही बड़े वेग से त्रिशूल चलाया। लेकिन हरि ने उस त्रिशूल को पकड़कर, उसी त्रिशूल से वाहन समेत उसको मार डाला।

1. इसी कालनेमि ने उग्रसेन के यहां कंस के रूप में जन्म लिया। कंस शूरसेन जनपद के राजा उग्रसेन का पुत्र और श्री कृष्ण का मामा था। उस काल में अंधक, अहीर, भोज, स्तवत्ता, गौर जैसे 106 कुलों को मिलाकर यादव गणराज्य कहलाता था। उग्रसेन यदुवंशीय राजा आहुक के पुत्र थे, जिनके नौ पुत्र और पांच पुत्रियां थी और कंस इन भाइयों में सबसे बड़ा था।

2. कहा जाता है कि कंस अपने पिता को राज पद से हटाकर स्वयं शूरसेन जनपद का राजा बन बैठा था। उसने अपने पिता उग्रसेन को जेल में डाल दिया था। बता दें मथुरा भी शूरसेन जनपद के अंतर्गत ही आता है। इतना ही नहीं कंस के अपने काका शूरसेन को भी राज पद से हटाकर मथुरा को अपने अधीन कर लिया था। कंस प्रजा को पीड़ित करने लगा। इससे पहले शूरसेन का मथुरा पर राज था।

3. कंस ने आर्यावर्त के तत्कालीन सर्वप्रतापी राजा और मगध के विशाल साम्राज्य का शासक जरासंध की पुत्री से विवाह किया था, जिससे उसकी शक्तियां और भी बढ़ गईं। जरासंध पौरव वंश का था, जिसने कंस के साथ ‘अस्ति’ और ‘प्राप्ति’ नाम की अपनी दो पुत्री का विवाह कर दिया था।

4. कंस ने अपने आस पास के राजाओं से भी काफी अच्छे संबंध बना रखे थे। कंस ने उत्तर-पश्चिम में कुरुराज दुर्योधन को अपना सहायक बनाया हुआ था। वहीं जरासंध ने चेदि के यादव वंशी राजा शिशुपाल को गहरा मित्र बना लिया था। शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण की बुआ का बेटा था, जिसकी आस्था कंस के प्रति भी थी। इसके अलावा र्वोत्तर की ओर असम के राजा भगदन्त से भी जरासंध के कारण कंस ने मित्रता जोड़ी हुई थी।

5. कंस के काका शूरसेन मथुरा के राजा थे, जिनके पुत्र वसुदेव का विवाह कंस की चचेरी बहन देवकी से हुआ था। वसुदेव और देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया था। लेकिन जन्म के पश्चात् उनका पालन-पोषण नन्द बाबा और माता यशोदा ने किया था। बाबा नन्द यादव राजा पार्जन्य के नौ पुत्रों में से तीसरे पुत्र थे। वहीं सूरसेन और पार्जन्य सगे भाई थे, जिनके पिताजी का नाम था महाराज देवमीढ।

6. कंस अपनी चचेरी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था, लेकिन एक दिन उसे आकाशवाणी सुनाई पड़ी कि, ‘जिसे तू बहुत स्नेह करता है, उसी देवकी का आठवां बालक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा।’ ये सुनकर कंस भयभीत हो गया और उसी समय अपनी बहन देवकी को मारने के लिए तलवार निकाल ली। हालांकि, तब वासुदेव ने जैसे-तैसे उसे समझाकर शांत किया।

7. जब वासुदेव कंस के पास अपना पहला पुत्र लेकर पहुंचे, तो कंस ने कहा मुझे आठवां पुत्र चाहिए। लेकिन नारद ने कंस को बताया कि देवकी के उदर से तुम्हें मारने के लिए स्वयं भगवान विष्णु जन्म लेंगे। ये सुनकर कंस और भी भयभीत हो गया और उसने एक-एक करके देवकी के 6 पुत्रों को जन्म लेते ही मार डाला।

8. वहीं 7 वें गर्भ में स्वयं श्रीशेष (अनंत) ने प्रवेश किया था, जिसे बचाने के लिए भगवान विष्णु ने योगमाया के जरिए देवकी का गर्भ ब्रजनिवासिनी वासुदेव की पत्नी रोहिणी के उदर में रख दिया। वहीं 8वें बेटे के रूप में श्रीहरि ने स्वयं देवकी के उदर से पूर्णावतार लिया। इस दौरान माया के प्रभाव से सभी सैनिक सो गए और जेल के दरवाजे खुलते गए, जिसके बाद वसुदेव जेल से शिशु कृष्ण को लेकर नंद के घर चले गए।

9. बाद में श्रीकृष्ण ने एक समारोह में कंस को बालों से पकड़कर उसे गद्दी से खींचकर भूमि पर पटक दिया और उसका वध कर दिया। इसके बाद देवकी तथा वसुदेव को मुक्त किया गया। कंस के वध के बाद कृष्ण और बलदेव ने कंस के पिता उग्रसेन को पुन: राजा बना दिया।

10. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में ऐसे भी कई गांव है जहां पर कंस की पूजा होती है। लखनऊ से हरदोई जाते वक्त कंस की एक प्रतिमा मिलती है, जिसके आसपास के स्थानों में कंस की पूजा की जाती है। इसके अलावा उड़ीसा में ‘कंस महोत्सव’ भी होता है।