
एडिटर गिल्ड का अध्यक्ष ही जब फेक न्यूज मेकर हो तो स्वाभाविक है फेक न्यूज़ फैलाने वाले पुण्य प्रसून वाजपेयी का साथ तो देगा ही!
वैसे तो एडिटर्स गिल्ड की स्थापना निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता की विवेकपूर्ण निगरानी के लिए हुई है। लेकिन जब खास समय पर ही विवेक जागे तो उसे विवेकशील होना नहीं बल्कि विवेकहीन होना कहते हैं। एडिटर्स गिल्ड ने जिस प्रकार एबीपी न्यूज़ चैनल के एडिटर-इन-चीफ मिलिंद खांडेकर और एंकर पुण्य प्रसून बाजपेयी के निकाले जाने और एवं अभिसार शर्मा को छुट्टी पर भेजने जाने का संज्ञान लिया है! इससे साफ है कि यह संस्था सिर्फ बड़े तथाकथित पत्रकारों की बात उठाने के लिए है, छोटे पत्रकारों की नहीं।
दूसरी बात है जिस संस्था का वर्तमान अध्यक्ष ही फेक न्यूज फैलाने में माहिर रहा हो वह फेकन्यूज वालों का साथ नहीं देगा तो क्या ईमानदार पत्रकारों का साथ देगा? मालूम हो कि एडिटर्स गिल्ड के वर्तमान अध्यक्ष ‘द प्रिंट’ वेबसाइट के संस्थापक तथा मुख्य संपादक शेखर गुप्ता हैं। जिनपर खुद मिलिट्री मार्च, लालू यादव को जातीय आधार पर सजा, जज लोया कांड तथा कठुआ कांड के बारे में फेक न्यूज फैलाने का आरोप है। ऐसे में एडिटर्स गिल्ड से क्या अपेक्षा की जा सकती है?
एडिटर्स गिल्ड ने इससे पहले कितनी बार किसी छोटे पत्रकार की समस्याओं को उठाया है, जबकि पुण्य प्रसून वाजपेयी, अभिसार शर्मा या रवीश कुमार के कहने पर इनके चैनलों ने कई लोगों को नौकरी से निकाल दिया, तब यह एडिटर्स गिल्ड क्या कर रहा था? जिस प्रकार इसने पुण्य प्रसून के मामले को संज्ञान में लिया है इससे स्पष्ट हो गया है एडिटर्स गिल्ड को तभी सामने आना होता है जब उसे फेक न्यूज चलाने वालों का पक्ष लेना होता है। पुण्य प्रसून वाजपेयी जैसे मामले को संज्ञान में लेकर एडिटर्स गिल्ड ने जता दिया है कि इसका ज्ञान नष्ट हो गया है। ऐसे में इसे बने रहने का कोई औचित्य नहीं बचा है। अब या तो इस संस्था को बंद किया जाए या फिर इसे विवेकशील लोगों के हाथ में दिया जाए। फेक न्यूज का इतिहास रखने वाले शेखर गुप्ता के अध्यक्ष रहते हुए आप एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से इसी प्रकार के फेक न्यूज मेकर्स का संज्ञान लेने की अपेक्षा कर सकते हैं।
मुख्य बिंदु
*झूठी खबर परोसने वाले पत्रकारों के पैरोकार बनता जा रहा है एडिटर्स गिल्ड
*आज-तक कभी छोटे पत्रकारों की समस्याओं पर संज्ञान नहीं लिया है एडिटर्स गिल्ड
The Editors Guild of India has issued this statement on an increasingly challenging environment for freedom of the press: https://t.co/xrPM0vb2jK pic.twitter.com/T27CQTxC1b
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) August 8, 2018
सवाल उठता है कि क्या एडिटर्स गिल्ड ने पुण्य प्रसून वाजपेयी या अभिसार शर्मा के मामले को संज्ञान में लेते हुए केंद्र सरकार या सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाने से पहले उस चैनल के पक्ष को जाना है? या सिर्फ उन पत्रकारों की बातों को सच मान बैठा है जिनके खिलाफ खुद फेक न्यूज प्रसारित करने के साथ ही अपना एजेंडा चलाने के 72 आरोप हैं? किसी भी मामले में संज्ञान लेने से पहले उसके सारे पक्ष को जान लेना जरूरी है। इसके साथ ही उस मामले के प्रति आम धारणा, आज-कल जिसे सोशल मीडिया सहज उपलब्ध करा देता है, को भी संज्ञान में रखना जरूरी है।
गौरतलब है कि एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया ने टीवी चैनलों के वरिष्ठ पत्रकारों के इस्तीफे और सत्तारूढ पार्टी भाजपा के आलोचनात्मक कार्यक्रम के प्रसारण सिग्नल बंद होने की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए मीडिया की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने के प्रयासों की निंदा की है। गिल्ड ने इस मामले में अपना एक बयान जारी कर प्रेस की आजादी को प्रभावित करने के उद्देश्य से गलत गतिविधियों के दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है। गिल्ड ने मीडिया मालिकों से भी सरकार या किसी राजनीतिक दबाव में न आने को कहा है। गिल्ड ने सरकार से चैनलों के खास कार्यक्रम के दौरान सिग्नलों में बाधा पहुंचाने के मामले में संज्ञान लेने, इसकी जांच कराने के बारे में स्पष्टीकरण देने की मांग की है। गिल्ड का कहना है कि मीडिया की आजादी पर इस प्रकार का हमला हमारे लोकतंत्र पर हमला है।
क्या आपने कभी भी एडिटर्स गिल्ड को किसी चैनल से थोक भाव में निकाले गए पत्रकारों के मामलों को संज्ञान में लेते हुए देखा है। मीडिया संगठनों की संस्था होने के नाते क्या छोटे पत्रकारों की समस्याओं को उठाना उसका दायित्व नहीं बनता? ऐसे में एसे निष्क्रिय संस्थाओं का रहने का भी कोई औचित्य नहीं है। क्या एडिटर्स गिल्ड मानता है कि अभिव्यक्ति के नाम पर अनाप-शनाप और झूठी खबर प्रचारित और प्रसारित होती रहे? क्या इससे जनमानस प्रभावित नहीं होता? क्या इससे हमारा लोकतंत्र खतरा में नहीं पड़ रहा?
जानिये एडिटर ग्रिल्ड के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन मठाधीसों को:
President : Shekhar Gupta, the founder and editor-in-chief of news portal ThePrint
General secretary: A K Bhattacharya, the editorial director of Business Standard
Treasurer: Sheela Bhatt, the editor, NewsX
URL: Editors guild comes to rescue Fake News maker abhisar sharma and punya prasoon
Keyword: Editors Guild of India, journalists, editors guild rescue fake news maker, fake news maker, abhisar sharma, punya prasoon vajpayee, modi government,
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