एक तेज है, प्रकाश है, पावन अनल है
उग रहा यह सूर्य, स्वयं दावानल है
एक भारत, सनातन का सूर्योदय हो चला है
नाम उसका एकम सनातन भारत “दल” है
कुछ मतवाले, कुछ धुरंधर बढ़ चले है
जला कर खुद को राष्ट्र को जगाने चले हैं
खुद “एकम” अकेला ही चल चला है
हौसला ले हवा सा, आँधियों से लड़ने चला है
फिर होगी सुबह, दमकेगा सनातन सूर्य सा फिर
ले यही विश्वास, एकम सनातन भारत बढ़ चला है
रवि कुमार “रवि”