संदीप देव । राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में वासुदेवानंद सरस्वती को निमंत्रण भेजा है। (वीडियो -१) वासुदेवानंद जी राम मंदिर ट्रस्ट में भी शामिल हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि वासुदेवानंद जी फर्जी दस्तावेज के आधार पर शंकराचार्य बने थे, जिन्हें RSS का समर्थन प्राप्त था। उनके पास शंकराचार्य की कोई पात्रता नहीं थी। वह कोई दंडी स्वामी भी नहीं थे। 1989 तक एक वेतनभोगी कर्मचारी थे, जिन्हें राम मंदिर आंदोलन में ज्योतिष मठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की बढ़ती भूमिका पर नियंत्रण लगाने के लिए संघ ने खड़ा किया था। अदालत ने वासुदेवानंद सरस्वती को शंकराचार्य का पदवी लगाने से रोक दिया था, परंतु संघ और उसकी सरकार उन्हें फिर भी शंकराचार्य घोषित कर राम मंदिर ट्रस्ट में बैठाए हुए है।
16-31अक्टूबर 2017 की यथावत पत्रिका के कवर स्टोरी का एक छोटा अंश स्क्रीन शाट के रूप में मैं नीचे दे रहा हूं, जिसमें वासुदेवानंद जी के केस हारने और फर्जी दस्तावेज के आधार पर शंकराचार्य बनने का विवरण है।
आप इस पत्रिका को इस लिंक पर जाकर डाउनलोड कर सकते हैं– https://www.kapot.in/product/yathawat-magazine-ebook/
यह पत्रिका कोई कम्युनिस्ट विचारधारा की नहीं, बल्कि संघ विचारधारा की ही सम्मानित पत्रिका है। इसके प्रधान संपादक जे.पी. आंदोलन के जनक रहे वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय जी हैं और इस पत्रिका के मालिक भाजपा के सांसद रहे आर.के.सिन्हा हैं।
अब नकली शंकराचार्यों को पैदा करने, उन्हें राम मंदिर ट्रस्ट में रखने और उन्हें ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य घोषित करते हुए आमंत्रित करने के पीछे संघ की उस योजना को आप समझ सकते हैं, जिसमें सभी हिंदू संस्थाओं, मंदिरों और शंकराचार्यों आदि के पद पर कब्जा करने और राम मंदिर आंदोलन हड़पने की नीयत स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है।