‘शिकारा‘ देखने के बाद सोचा था कि इस वेलेंटाइन वीक पर फिल्म उद्योग अपनी प्रेमिल अभिव्यक्ति देने से चूक गया है लेकिन ‘मलंग’ देखने के बाद ये सोच जाती रही। ये सप्ताहांत इस मायने में दिलचस्प रहा है कि हमने एक प्रभावी निर्देशक की धार कुंद होते देखी, वहीं एक ऐसे निर्देशक की सफल वापसी हुई, जिसे चूका हुआ मान लिया गया था। शिकारा के जरिये लम्बे समय के बाद विधु विनोद चोपड़ा की वापसी सुखद नहीं रही और मोहित सूरी ने ‘मलंग’ के जरिये दिखाया कि अभी वे ख़त्म नहीं हुए हैं, उनके भीतर का निर्देशक ज़िंदा है। बॉक्स ऑफिस पर अवतरित ‘मलंग’ डार्क नेचर की क्राइम थ्रिलर है लेकिन प्रेम इसका मुख्य प्रभावी तत्व है।
निर्देशक मोहित सूरी अपनी फिल्मों के धूसर रंगों के लिए जाने जाते हैं। उनका सिनेमा वास्तविकता के कड़े धरातल पर खिले फूल की तरह होता है। मलंग ऐसे दो प्रेमियों की कथा है, जो अपराध की दुनिया में धंसे हुए हैं लेकिन जीना चाहते हैं। कहानी क्रिसमस की एक रात से शुरू होती है जब एक पुलिस अफसर अजनेय आगाशे को एक कॉल आता है। दूसरी तरफ से कोई कह रहा है कि वह एक पुलिस अधिकारी को मारने जा रहा है। इस तरह गोवा में हत्याओं का क्रम शुरू हो जाता है। इस हत्यारे का एक सुखद अतीत है और इसके तार गोवा के कुछ पुलिसवालों से जुड़े हुए हैं। कहानी आगे बढ़ती है और हत्याओं का सिलसिला बढ़ता चला जाता है।
यदि ‘मलंग’ को मैं किरदारों की फिल्म कहूं तो ज्यादा मुनासिब होगा। निर्देशक ने कैरेक्टराइजेशन पर बहुत ध्यान दिया है। इंस्पेक्टर आगाशे, अद्वैत, सारा और माइकल इस फिल्म के चार मुख्य किरदार हैं। अद्वैत सिस्टम से मारा नौजवान है। सारा जीवन का आनंद नशे की गोलियों में खोज रही है। आगाशे हर कातिल को जान से मार देना चाहता है। माइकल नामर्द है और वह समाज से इस बात को छुपाना चाहता है। जैसा कि मैंने कहा फिल्म में सबसे अधिक आनंद किरदारों को देखने का है। दर्शक इस बात की परवाह नहीं करता कि फिल्म कब अंजाम तक पहुँचती है। वह तो अनिल कपूर, आदित्य राय कपूर, दिशा पटानी और कुणाल खेमू के परफॉर्मेंस में खोकर रह जाता है।
कहानी दो ट्रेक पर चलती है। एक ट्रेक फ्लैशबेक में ले जाता है, जिसमे अद्वैत और सारा की कहानी दिखाई जाती है। ऐसा प्रयोग कई फिल्मों में किया जा चुका है। फ्लैशबैक और वर्तमान साथ-साथ चलते हैं। पहले दर्शक को उलझन होती है लेकिन बाद में वह कहानी में रमता चला जाता है। किरदारों की बात करें तो अनिल कपूर इस फिल्म के विजेता सिद्ध हुए हैं। बहुत अरसे बाद उन्हें एक सशक्त किरदार में देखकर लगा कि अब भी इस बूढ़े शेर में बहुत आग बाकी है। उनके किरदार के आगे आदित्य राय कपूर के सिवा कोई टिक नहीं पाता। इस फिल्म से आदित्य राय कपूर की बेहतरीन वापसी हुई है। अब तक फ्लॉप चल रहे आदित्य का सूखा अब खत्म हो जाएगा। दिशा पटानी बेहतर रही हैं। कुणाल खेमू चौंकाते हैं। निगेटिव किरदार में वे दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहे हैं।
फिल्म का चौंकाऊ क्लाइमैक्स इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। दर्शक सोच भी नहीं पाता कि निर्देशक इस रोमांच पर फिल्म का अंत करेगा। सस्पेंस आखिर तक बनाए रखा गया है और यही कारण है कि दर्शक की रूचि आखिर तक बनी रहती है। मोहित सूरी की ये फिल्म केवल कलाकारों के परफॉर्मेंस के लिए देखी जा सकती है। अनिल कपूर का किरदार ही पैसा वसूल कराने के लिए पर्याप्त है। इस सप्ताह मलंग निश्चित रूप से शिकारा का शिकार कर लेगी। कमज़ोर फिल्मों के लिए बॉक्स ऑफिस पर कोई जगह नहीं होती। आदित्य राय कपूर और अनिल कपूर को ऑक्सीजन मिली, कुणाल खेमू को कॅरियर की महत्वपूर्ण फिल्म मिली, दिशा पटानी की मार्केट वेल्यू मजबूत हुई और मोहित सूरी की सुखद वापसी हुई है।
यदि आप डार्क नेचर की क्राइम थ्रिलर पसंद करते हैं तो मलंग देख सकते हैं। ये सपरिवार देखे जाने लायक फिल्म नहीं है। खासतौर से बच्चों के लिए इस फिल्म में कुछ नहीं है। वयस्क दर्शकों के लिए मलंग पैसा वसूल फिल्म है। अनिल कपूर के प्रशंसकों को ये फिल्म देखकर बहुत ख़ुशी होगी क्योंकि इस फिल्म के असली ‘मलंग’ वे ही हैं।