आजादी का अमृत महोत्सव, एकदम फर्जी बात है ;
ये तो पूरा जहर महोत्सव , आजादी पर घात है ।
चोर – लुटेरों की आजादी , भले लोग परतंत्र हैं ;
जगह-जगह कानून की खिल्ली , पूरा भ्रष्ट – तंत्र है ।
इतना डरते रहते नेता , जेड सुरक्षा भी कम है ;
सारी पुलिस इन्हीं के ताबे , जनता के हिस्से गम है ।
गांधी ने दुष्चक्र चलाया , बहुसंख्यक हिंदू मरता है ;
अल्पसंख्यकवाद की कालीछाया,इसीका सिक्का चलताहै।
राजनीति का पतन न पूछो , राष्ट्र को हरदम नोंच रहे ;
अपना जमीर तो बेच चुके हैं ,राष्ट्र को भी ये बेच रहे ।
महामूर्ख है हिंदू इतना , कभी न समझी इनकी चाल ;
समय आ गया हिंदू समझे , राजनीति की कुत्सित चाल ।
हिंदू को संभलना होगा , क्योंकि मिटने में देर नहीं ;
गुन्डों की पूरी तैयारी , सिविल- वार में देर नहीं ।
हिंदू फौरन सोना बेचे , लोहे को घर में भर लो ;
हत्याकांड हजारों झेले , अब अपनी रक्षा कर लो ।
अपनी रक्षा विधि- सम्मत है ,हमलावर को पहले मारो ;
शापमुक्त आजादी कर दो,जहर को अब हर हाल में मारो।
जहर – मुक्त आजादी होगी , वो सच्ची – आजादी होगी ;
लूटमार जिसमें न होगी , कहीं – नहीं बर्बादी होगी ।
तुष्टीकरण कहीं न होगा , आरक्षण भी मिट जायेगा ;
यथायोग्य सारे पायेंगे , पक्षपात सब सिमट जायेगा ।
भ्रष्टाचार मिटा कर सारा , कानून का शासन लेकर आओ ;
सबका हो सम्मान सुनिश्चित, ऐसी व्यवस्था जल्द बनाओ ।
अत्याचार मिटाओ सारा , न्याय – व्यवस्था ठीक करो ;
अनाचार होने न पाये , कानून – व्यवस्था दुरुस्त करो ।
भ्रष्टाचार की सजा मौत हो , इससे कमतर कुछ भी नहीं ;
हर अपराध की वजह यही है ,इससे बदतर कुछ भी नहीं ।
कलंक यही है आजादी का , इसको तत्काल मिटाना है ;
तब सच्ची आजादी होगी , जिसको हमें मनाना है ।
जब ऐसी आजादी होगी , अमृत की वर्षा तब होगी ;
अमृत – महोत्सव तभी सार्थक , कोई कमी नहीं होगी ।
वरना केवल नौटंकी है , जैसी अब- तक होती आयी ;
बदनसीब भारत की जनता , इसी तरह से छलती आयी ।
“वंदेमातरम- जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”