विपुल रेगे। यश राज फिल्म्स ने ‘पठान’ से जो कमाया, उसे ‘टाइगर 3’ में गंवा दिया है। दीपावली पर रिलीज हुई टाइगर की तीसरी क़िस्त कमज़ोर साबित हुई है। बेशक फिल्म ने सलमान खान के नाम पर बेहतर ओपनिंग ली है लेकिन आने वाले दिनों में इसके कलेक्शन कम होते जाएंगे। यशराज की इस पेशकश की आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर बहुत से दर्शक ‘टाइगर 3’ को पाकिस्तान परस्त फिल्म भी कह रहे हैं। पाकिस्तान प्रेम में अंधे होकर इस बार निर्माता आदित्य चोपड़ा ने हदें पार कर दी है।
सन 2012 में ‘एक था टाइगर’ को निर्देशक कबीर खान ने बेहद संजीदगी से पेश किया था। अविनाश उर्फ़ टाइगर का प्रसिद्ध किरदार कबीर खान ने ही पेश किया था। टाइगर सीरीज की सबसे सफल फिल्म इसका पहला भाग ही था। इसके बाद सन 2017 में ‘टाइगर ज़िंदा है’ व्यावसायिक रुप से बहुत सफल रही लेकिन उसमे ‘एक था टाइगर’ की आत्मा नदारद थी। और अब एक नए निर्देशक मनीष शर्मा ने ‘टाइगर 3’ पेश की है। ये टाइगर सीरीज की सबसे लचर फिल्म है। अंधा पाकिस्तान प्रेम इस फिल्म की सबसे बड़ी कमज़ोरी साबित हुई है।
कहानी एक नए मिशन से शुरु होती है। टाइगर किसी एजेंट को बचाने के मिशन पर जाता है। इस मिशन पर टाइगर को पता चलता है कि उसकी पत्नी ज़ोया अब भी पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रही है। टाइगर इसका पता लगाने की कोशिश करता है। तब कहानी में एक नए कैरेक्टर आतिश रहमान की एंट्री होती है। आतिश रहमान पूर्व आईएसआई एजेंट है और पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज़ होने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान की प्रधानमंत्री भारत से बेहतर रिश्ते बनाना चाहती है लेकिन आईएसआई इसे पसंद नहीं करती। परिस्थितियां ऐसी बनती है कि टाइगर और ज़ोया को आतिश के कहे पर चलना पड़ता है। आईएसआई पाकिस्तान की महिला प्रधानमंत्री को मारने की साज़िश रचती है और टाइगर उसे बचाने के नए मिशन पर है।
कथानक से ही पता चल जाता है कि टाइगर की तीसरी किश्त में निर्माता आदित्य चोपड़ा का पाकिस्तान प्रेम सीमा पार चला गया है। वे और उनके निर्देशक भूल गए कि वे भारतीय दर्शकों के लिए फिल्म बना रहे हैं। ऐसा बिलकुल नहीं है कि मनीष शर्मा ने एक अच्छी फिल्म बनाई है लेकिन ‘पाकिस्तान प्रेम’ के कारण इसकी आलोचना हो रही हो। दरअसल मनीष शर्मा ने बहुत ही बुरी फिल्म बनाई है। ये इतनी बुरी है कि बॉक्स ऑफिस पर पांच दिन सर्वाइवल असंभव सी बात लगती है। आप इसे ‘पठान’ या ‘जवान’ समझने की भूल न करें। ये उन फिल्मों के पासंग भी नहीं ठहरती।
ढाई घंटे की फिल्म में मुझे खोजने से भी कोई ग्रिप नहीं दिखाई दी। शुरुआती शो में प्रशंसकों का जो उन्माद दिखाई देता है, वह नदारद था। कहीं कोई थ्रिल नहीं है। बड़े बड़े एक्शन दृश्य कोई रोमांच पैदा नहीं कर सके। और तो और शाहरुख़ खान जैसे सितारे का कैमियो उन्माद नहीं जगा सका। दक्षिण के निर्देशक एटली कुमार ने शाहरुख़ के साथ एक फिल्म ‘जवान’ बनाई है और आज हम कह सकते हैं कि उनके जैसा शाहरुख़ की खूबियों को और किसी ने नहीं पहचाना। एक बेदम फिल्म को शाहरुख़ का छोटा सा कैमियो बचा सकता था लेकिन निर्देशक ने वह मौक़ा भी गँवा दिया। शाहरुख़ आते हैं लेकिन परदे पर कोई जादू नहीं घटता। इसका एक मुख्य कारण है। इस फिल्म में ‘तर्क’ नाम की चिड़िया नहीं चहकती है। एक्शन सीक्वेंस में कोई तर्क ही नहीं दिखता।
बाइक स्टंट्स और कार चेसिंग देखते समय दर्शक रोमांच ही अनुभव नहीं करता। ‘गूसबम्प्स’ नाम की कोई चीज इस फिल्म में नहीं है। टाइगर को इस बार पाकिस्तान भेजकर यशराज ने जो जोखिम लिया है, वह दीपावली के छुट्टियों के बाद बॉक्स ऑफिस वीरान कर सकता है। सलमान खान एक ही एक्सप्रेशन पर पूरी फिल्म चला ले गए। वे एक औसत अभिनेता हैं। उनसे काम करवाने के लिए निर्देशक को बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं और लग रहा है कि पापड़ बेले नहीं गए। कैटरीना कैफ को बॉलीवुड में एक्शन स्टार के रुप में जाना जाता है। ‘टाइगर ज़िंदा है’ में उनके एक्शन दृश्य कमाल के थे लेकिन इस बार निर्देशक उनसे मन मुताबिक़ काम नहीं ले सके।
इमरान हाशमी की इस फिल्म में विलेन के रुप में वापसी हुई है और वे बहुत ही बुरे विलेन सिद्ध हुए हैं। चतुर फिल्म निर्माता आदित्य चोपड़ा अपनी फिल्म की कमियों से वाकिफ थे। यही कारण है कि उन्होंने फिल्म को शुक्रवार रिलीज न कर रविवार को दीपावली के मौके पर रिलीज किया। इसका लाभ भी उन्हें मिला है। रविवार और सोमवार को अच्छा फुटफॉल मिला। भारत के सबसे बड़े त्यौहार के माहौल का लाभ यशराज को मिला है। पहले दिन भारत में 43 करोड़ और ओवरसीज में 42 करोड़ का कलेक्शन कर फिल्म ने लगभग 95 करोड़ का कलेक्शन कर लिया।
सोमवार को भी फिल्म को दर्शक मिलेंगे। हालाँकि दीपावली की छुट्टियां समाप्त होते ही या उससे पहले कलेक्शन में गिरावट आना तय है। ‘पाकिस्तान प्रेम’ और बेहद बुरे निर्देशन के कारण फिल्म अधिक से अधिक पांच दिन और टिक सकेगी। 300 करोड़ की ‘टाइगर 3’ एक औसत फिल्म है। ये ‘पठान’ जैसी सफलता नहीं पा सकेगी लेकिन अपनी लागत वसूल कर लेगी। एक अविश्वसनीय कथानक और पाकिस्तान प्रेम इस फिल्म की बॉक्स ऑफिस उम्र घटा देते हैं। भारतीय दीये में पाकिस्तानी तेल का फ्यूज़न टिकट खिड़की पर उजाला कर सके। सलमान खान के ‘डाई हार्ड’ प्रशंसको की भीड़ छंटने के बाद थियेटर्स में इस फिल्म की असली परीक्षा होगी।