भारत का मंदिर श्री राम
बड़ा गहन है ताना – बाना , अब्बासी – हिंदू का जाल है ;
सूत – सूत में भरी कुटिलता , ये हिंदू – धर्म का काल है ।
बहुत बड़ी साजिश है पीछे , कदम-कदम में धोखेबाजी ;
केवल हिंदू को मूर्ख बनाता , लफ्फाजी व जुमलेबाजी ।
दस – बरस मस्जिद में बीते , बाद में ए सी वाई पी एल ;
कूट – कूट कर भरी धूर्तता , अलतकिया का पूरा खेल ।
कभी न सोचा सपने में भी , भारत का हिऺदू कितना भोला ?
कितना निकृष्ट अब्बासी-हिंदू ,अधम काम कितना कर डाला ?
परमब्रह्म साक्षात हैं ईश्वर , मर्यादा पुरुषोत्तम हैं श्री राम ;
उनको भी ये लांछित करता , सबसे घृणित है ये ही काम ।
इसकी साजिश का बड़ा अखाड़ा , भारत का मंदिर श्री राम ;
तार – तार कर दी हर शुचिता , शास्त्र – विरोधी है हर काम ।
हिंदू ! अब भी चुप बैठा तो , वो भी पाप का भागी होगा ;
महाप्रलय में डूब जायेगा , जल्दी ही आगे होगा ।
सिद्धांत कर्म का सदा अटल है , कोई न बच पायेगा ;
डॉलर – दीनारी – सरकारी बाबा , सबसे पहले जायेगा ।
अब्बासी – हिंदू भी मिट जायेगा , पूरा जहाज ही डूबेगा ;
तथाकथित हिंदूवादी दल , इसके संग – संग डूबेगा ।
राष्ट्रीय समलैंगिक संघ , डी एन ए को मिलाने वाला ;
नाम लेवा भी नहीं बचेगा , खिलवाड़ धर्म से करने वाला ।
पाप का पूरा घड़ा भर चुका , जल्दी ही ये फूटेगा ;
इसके अंदर जो पाप भरा है , म्लेच्छ उसी में डूबेगा ।
सबसे बड़ा म्लेच्छ दुनिया का , भारत का अब्बासी – हिंदू ;
राम – नाम से धोखा देकर , मिटा रहा भारत से हिंदू ।
धर्म को धोखा देने वाले , दुनिया से मिट जायेंगे ;
निर्णय का दिन आने वाला है , कोई न बच पायेंगे ।
हिंदू ! इनसे बचकर रहना , गेहूं के सऺग घुन पिसता है ;
धर्म – सनातन मार्ग में लौटो , तब ही हिंदू बच सकता है ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , बुद्धि – विवेक से काम करो ;
अब्बासी – हिंदू परम – शत्रु है , इसका पूरा त्याग करो ।
हिंदू ! तेरा परम – मित्र है , “एकम् सनातन भारत” दल ;
दीन – हीन अब नहीं रहेगा , हिंदू ! पायेगा खोया बल ।
ई वी एम व अब्बासी – हिंदू , पूरी तरह हटाना है ;
“एकम् सनातन भारत” माध्यम है , “कृपा” राम की पाना है ।