वास्तविक कथाओं पर फ़िल्में बनाना बॉलीवुड का पुराना चलन है। सम-सामयिक घटनाओं या राष्ट्रीय नायकों की आकर्षक जीवनियों को कैश करना अब एक विकृति का रूप ले चुका है। करण जौहर की नई फिल्म ‘गुंजन सक्सेना’ इस विकृति का श्रेष्ठ उदाहरण है। मूल कथा में हेरफेर करके उसको ऐसा बना देना कि बॉक्स ऑफिस पर रुपयों की बारिश होने लग जाए। मेरा माल बाज़ार में बिक जाए, इसके लिए मैं पूज्यनीय पद्मावती की कहानी में भी कीचड़ मल देता हूँ। ये विकृति धर्म से लेकर देश तक पहुंची और अब सेना के दामन को गंदा करने लगी है। गुंजन सक्सेना की कहानी भारत के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकती थी, यदि इस फिल्म को जबरन नारीवाद का पानी चढ़ाने का प्रयास नहीं किया जाता।
फिल्म वाली गुंजन सक्सेना पुरुषों द्वारा पीड़ित है। पुरुषों के साथ ट्रेनिंग लेने वाली वह इकलौती महिला अधिकारी है। उसके सहकर्मी उसे अछूत की तरह देखते हैं। गुंजन का सीनियर लड़की होने के कारण उससे ईर्ष्या करता है। रोज़ बहाना बनाकर गुंजन की फ्लाइट कैंसल की जाती है ताकि वरिष्ठ अधिकारियों के सामने उसकी परफॉर्मेंस रिपोर्ट खराब हो जाए।
मर्द होने के घमंड में सीनियर एक बलिष्ठ युवा से गुंजन को पंजा लड़ाने को कहता है, ताकि गुंजन को अहसास हो जाए कि वह एक कमज़ोर स्त्री है, जो फ्रंट पर आकर नहीं लड़ सकती। सरकार का एक मंत्री संसद में चिल्ला रहा है कि ‘देश में मर्दों की कमी हो गई है क्या, जो औरतों को बॉर्डर पर भेज रहे हो।’ ये है करण जौहर का सिनेमा। इसे देखने के बाद यदि कोई युवा लड़की सेना में जाने का सोचेगी, तो इरादा बदल देगी क्योंकि करण जौहर और उनके निर्देशक के हिसाब से सेना में महिलाओं को हेय दृष्टि से देखा जाता है, वहां भी पुरुषों की सत्ता चलती है।
गुंजन सक्सेना का इतिहास जगजाहिर है। उनकी कहानियां लोगों ने अख़बारों में पढ़ी है। उनके इंटरव्यू लोगों ने देखे हैं। उन्होंने आज तक वायुसेना के बारे में ऐसा दावा नहीं किया, जैसा फिल्म में दिखाया गया है। फिल्म बनाने से पूर्व उनकी आज्ञा ली गई थी, उनकी मर्जी से उनकी बचपन की घटनाओं को फिल्म में शामिल किया गया है।
जाहिर है कि फिल्म में वायुसेना के विरुद्ध जो नकारात्मक बातें दिखाई थी, वह गुंजन सक्सेना द्वारा दिया गया इनपुट नहीं है। यदि वे सच में प्रताड़ित हुई होती तो, कभी तो उन्होंने एक बार इस बारे में बयान दिया होता। ये पल गुंजन सक्सेना के लिए निराशा के पल हैं। झूठे तथ्य डाले जाने के बाद ये फिल्म विवादों में फंस गई है।
भारतीय वायु सेना ने फिल्म पर कड़ी आपत्ति ले ली है। जो फिल्म गुंजन के लिए गौरव का विषय बननी चाहिए थी, वह उनके लिए शर्म का विषय बन गई है क्योंकि उनकी ये आत्मकथा उनकी मर्जी से परदे पर आई है। क्या फिल्म का स्क्रीनप्ले लिखते समय गुंजन सक्सेना को विश्वास में नहीं लिया गया था। क्या फिल्म पूर्ण होने के बाद फ्लाइट आफिसर गुंजन को नहीं दिखाई गई थी। यदि ऐसा है तो करण जौहर ने वायुसेना और गुंजन सक्सेना के साथ छल किया है।
इस बात की चेतावनी पहले ही दी जा चुकी थी बॉलीवुड को रोका न गया तो इनके हाथ एक दिन सेना तक भी पहुँच जाएंगे। पिछले दिनों एकता कपूर की अश्लील वेबसीरीज में कलाकारों ने सेना की वर्दी का दुरूपयोग किया था और अब गुंजन सक्सेना में बताया जाता है कि वायुसेना महिला विरोधी है।
जो घटनाएं गुंजन के जीवन में घटी ही नहीं, वे फिल्म में दिखाई गई है। जैसे गुंजन अकेली सिलेक्ट नहीं हुई थीं। उनके साथ और भी महिला पायलट्स थीं। फिल्म में अकेले गुंजन को सिलेक्ट होते दिखाया है। जब वे ट्रेनिंग में पहुंची तो महिलाओं के लिए बाथरूम नहीं मिले। जाहिर था कि तब तक महिलाओं की एंट्री वायसेना में हुई ही नहीं थी। हालांकि बाद में महिलाओं को सारी सुविधाएं दे दी गई थी लेकिन ये बात फिल्म में नहीं दिखाई गई।
भारतीय वायुसेना ने इस मामले में सरकार को शिकायती पत्र भेजा है लेकिन अब तो सरकार भी इस फिल्म को किसी भी ढंग से नहीं रोक सकती। शक्तिशाली सरकार इस फिल्म को इसलिए नहीं रोक सकती क्योंकि ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए इस सरकार ने कोई कानून ही नहीं बनाया है। पिछले दो साल से वेब प्रदर्शित फिल्मों पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने की मांग उठती रही लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कार्य शुरू ही नहीं किया गया।
न्यायालयों में सुनवाई के दौरान सरकार को कई बार कानून बनाने की सलाह दी गई थी। इसका मतलब ये है कि गुंजन सक्सेना दिखाई जाती रहेगी। इसका मतलब ये भी है कि देश की प्रतिभाशाली लड़कियों के मन में ये बात घर कर जाएगी कि महिलाओं के साथ सेना में बुरा बर्ताव होता है। उन्हें पुरुष अहंकार का सामना करना पड़ता है।
जान्हवी कपूर जैसी नई लड़कियों के साथ मेरी सहानुभूति है। उन्होंने फिल्म में अच्छा अभिनय किया है। वे बहुत जल्द पारंगत हो जाएंगी। लेकिन इस फिल्म से फैला अपयश उनके हिस्से में भी आएगा, जबकि इसमें उनकी कोई गलती ही नहीं है। जान्हवी कपूर भविष्य की सितारा हैं और यदि करण जौहर जैसे लोग ऐसी फ़िल्में बनाएँगे तो ऐसी प्रतिभाएं अपनी चमक दिखाने से पूर्व ही समाप्त हो जाएंगी।
हमारी सरकार के कानून मंत्री एकदम बेकार हैं।इनको हर मुद्दे पर केवल राजनीति ही करनी है।जबकि होना तो ये चाहिए कि उन विवादित मुद्दों के समाधान हेतु उनको त्वरित संज्ञान लेते हुए उनके लिए ठोस कानून बनाकर उन मुद्दों को संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में लाएं।और फिर जब मामला सेना की अस्मिता से जुड़ा हो तबतो उनको और ज्यादा सतर्कता बरतते हुए अबतक OTT प्लेटफार्म के लिए एक बेहद ठोस कानून बना कर देश की न्यायपालिका को सौंप देना चाहिये था क्योंकि अब फिल्मों से ज्यादा हिन्दुविरोधी एजेंडा और अमर्यादित भाषा इन्ही वेबसिरिजो पर परोसी जा रही हैं।