लीगल राइट्स आब्ज़रवेटरी ने यूरोपीय कैथोलिक चर्च और भारत विरोधी गतिविधियों के बीच के गहरे कनेक्शन का पर्दाफांश किया है. लीगल राइट्स आब्ज़र्वेटरी ने अपनी जांच में ऐसे कई गैर सरकारी संस्थानों का और उनसे जुड़े तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं का कच्चा चिट्ठा खोला है जिन्हे यूरोप के कैथोलिक चर्च से बहुत तगड़ी फंडिंग मिलती है.
लीगल राइट्स आब्ज़रवेटरी की ताज़ा जांच रिपोर्ट के मुताबिक एक्टिविस्ट हर्ष मंदर के एन जी ओ सेंटर फांर इक्युइटी स्टडीज़ को फ्रेंच और डैनिश कैथोलिक्स से करोड़ों रुपयों की ग्रांट मिली थी. आर्गेनाइज़र में प्रकाशित न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक इस ग्रांट का उद्देश्य संभवत: भारत मे उस प्रकार की सामाजिक उथल पुथल की संरचना करना था जैसी की फरवरी 2020 के हिंदू विरोधी दंगों में देखने को मिली.
हर्ष मंदर के एन जी ओ की फंडिंग करने वालों में से एक Comité Catholique Contre’s (CCFD-Terre solidaire) जिनका विकी पेज यह कहता है कि यह संस्थान भुखमरी के खिलाफ और विकास के लिये काम करने वाला एक कैथोलिक संस्थान है. लेकिन लीगल रिसर्च आब्ज़रवेटरी के मुताबिक इस बात को लेकर कोई प्रमाण नहीं है कि हर्ष मंदर का एन जी ओ देश में भुखमरी मिटाने के लिये और लोगों के विकास के लिये कोई भी काम कर रहा था. बल्कि उसके काम करने का मुख्य क्षेत्र हिंदू फोबिया फैलाना और हिंदू धर्म के प्रति नफरत फैलाना था.
लीगल राइट्स आब्ज़र्वेटरी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस बात के पुख्ता प्रमाण मौजूद हैंं कि हर्ष मंदर के एन जी ओ सेंटर फांर इक्युइटी स्टडीज़ का इस्तेमाल दिल्ली दंगों के लिये फंडिंग जुटाने के लिये किया गया. एल आर ओ कहता है कि अमरीका स्थित इंडियन मुस्लिम्स रिलीफ एंड चैरिटी और यू के स्थित माइनांरिटी राइट्स ग्रुप ने भी हर्श मंदर के एन जी ओ को ऐसे समय में बहुत सी फंडिंग दी थी जब नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रेजिस्टर के विरुद्ध चल रहे धरना प्रदर्शन अपने चरम पर थे.
एक्शन फार होप नाम का एक संस्थान भी हर्ष मंदर के एन जी ओ को फंडिंग देने वालों में से एक है. यह संस्थान एक अरबी सांस्कृतिक संगठ्न होने का दावा करता है. लेकिन लीगल राइट्स आब्ज़रवेटरी की जांच के मुताबिक इस बात का कोई सुबूत नहीं है कि यह संस्थान स्वतंत्र रूप से एक सांस्कृतिक संस्थान के तौर पर काम करता है. इस बात से तो फिर यही निष्कर्ष निकलता है कि इस्लामिक आतंकवादी संगठन आई एस आई ने इस संस्थान का इस्तेमाल दिल्ली दंगों के लिये फंडिंग पहुंचाने के लिये किया.
गौरतलब है कि दिल्ली दंगों की चार्जशीट में हेट स्पीच का नया आयाम पेश करके दिल्ली दंगों को भड़्काने में अहम भूमिका निभाने में एक्टिविस्ट हर्ष मंदर का भी नाम है. बौद्धिकता और समाज सेवा की आड़ में राष्ट्र विरोधी गतिविधियां भड़्काने का उनका इतिहास रहा है.
लीगल राइट्स आंब्ज़रवेटरी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक हर्ष मंदर के एन गी ओ सेंट्र फार इक्युइटी स्टडीज़ और आंक्स्फैम इंडिया एन जी ओ के तार भी आपस में जुड़े हैं. जांच के अनुसार आक्स्फैम के सी ई ओ अमिताभ बेहर हर्ष मंदर के एन जी ओ के ट्रेज़रर यानि कोषाध्यक्ष हैं. विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम संशोधन विधेयक (foreign contribution Regulation Act) 2020 को लेकर गृह मंत्री अमित शाह का सबसे पहले विरोध करने वाले व्यक्तियों में से अमिताभ बेहर भी एक थे. क्योंकि उन्हे ज्ञात है कि यदि यह बिल पास हो गया और कानून बन गया तो आक्स्फैम इंडिया का तो सारा खेल खतम हो जायेगा.
लीगल राइट्स आंब्ज़रवेटरी ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह भी बताया है कि किस प्रकार से आंक्स्फोर्ड की डोनर लिस्ट में दर्ज है कि उन्हे करोड़ो रुपये हाँग कांग ओर कनाडा के संदिग्घ सोर्सेज़ से मिल रहे है. संभवत: यह चीनी पैसा हो या फिर इस्लामिक आतंकवादी संगठन आई एस आई द्वारा दी गयी फंडिंग भी हो सकती है.
इसके आगे जांच रिपोर्ट हर्ष मंदर के एन जी ओ के जो और दूसरे एन जी ओज़ के साथ भी लिंक हैं, इस बात का भी पर्दाफाश करती है. जांच के अनुसार हर्ष मंदर के सेंटर फार इक्युइटी स्टडीज़ और कोलिन गोंसाल्वेज़ के एन जी ओ ह्यूमन राइट्स ला नेट्वर्क दोनों को यूके के ओक फाउंडेशन की तरफ से फंडिंग मिलती है. और ये दोनों ही एन जी ओज़ आक्रामक हिंदू विरोधी प्रोपोगैंडा फैलाने के कार्य में लिप्त रहे हैं . नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रेजिस्टर के खिलाफ अभियान चलाने में ये दोनो एन जी ओज़ खूब आगे रहे.