अंकुर शर्मा के संकल्प सुनो
धर्म – संस्कृति – संस्कार ही , हिंदू की पहचान हैं ;
अब्बासी – हिंदू इनका दुश्मन , करता इनको बेजान है ।
कपटी,कुटिल,धूर्त कितना है ? हिंदू इसको पहचान न पाया ;
हिंदू कितना धोखा खाया ? इसको हृदय-सम्राट बनाया ।
अब भी अवसर इसको पहचानो , अपने ज्ञान-चक्षु खोलो ;
आसानी से जान जाओगे , इसकी जन्म – कुंडली खोलो ।
देर न करना इसमें ओ ! हिंदू , वरना केवल हाथ मलोगे ;
ऐसी जगह तुम्हें मारेगा , जहाँ न पानी पाओगे ।
स्वार्थ,लोभ,भय,लालच छोड़ो , हिंदू ! इसमें क्यों फंसते हो ?
इसी वजह तुम हारते आये , गला कटाकर मरते हो ।
सामने मौत खड़ी मुँह बाये , लड़ने की तैयारी कर लो ;
अब्बासी-हिंदू मौत का फंदा , अपने हाथों इसे खोल लो ।
अपने हाथों से इसे चढ़ाया , अपने हाथों से इसे गिराओ ;
बहुत हो चुका दुष्ट का शासन , अब अच्छी-सरकार बनाओ ।
एकमात्र दल हिंदू-हितैषी , सबसे ज्यादा सबल बनाओ ;
तन-मन-धन सब लगा दो इसमें , हिंदू ! अपना धर्म बचाओ ।
सर्वप्रमुख है धर्म हमारा , पूरी शक्ति से इसे बचाओ ;
बाद में सब कुछ बच जायेगा , सबसे पहले धर्म बचाओ ।
सबसे बड़ा धर्म को खतरा , ये अब्बासी – हिंदू नेता ;
अब भी इसको जो नेता माने , महामूर्ख-सम हिंदू होता ।
हिंदू ! तुम सब तजो मूर्खता , अपनी बुद्धि प्रखर कर लो ;
हिंदू-वादी सरकार बनाकर , सारी-दुनिया मुठ्ठी में भर लो ।
“संदीप-देव” का चैनल देखो, “अंकुर-शर्मा” के संकल्प सुनो ;
“एकम् सनातन भारत” दल के , सब के सब ही सदस्य बनो ।
सदियों बाद मिल रहा अवसर , स्वर्ण अवसर में इसको बदलो ;
धर्मनिष्ठ – सरकार बनाकर , हिंदू ! अपने भाग्य को बदलो ।
बदनसीब है कितना हिंदू ? भारत में ही लुटता पिटता ;
एकमात्र बस यही देश है , इसमें भी मिटता जाता ।
गैंग – रेप हिंदू – बेटी संग , जाने कितने जेहाद हो रहे ?
जिम्मेदार तुम्ही हो हिंदू ! तुम ही गलत-सरकार चुन रहे ।
ऐसी गलती अब मत करना , अब अच्छी-सरकार चुनो ;
सारी दुविधा छोड़ो मन की , हिंदू – वादी सरकार चुनो ।
केवल अच्छी-सरकार बनाकर , हिंदू ! तुम बच सकते हो ;
“एकम् सनातन भारत” लाकर , “रामराज्य” पा सकते हो ।