एकम् सनातन भारत ही केवल
संस्कारहीन जो हिंदू – बच्चे , जिन्हें धर्म का ज्ञान नहीं है ;
रिश्तों पर बोझ बनेंगे इकदिन , जो कहते भगवान नहीं है ।
अब्बासी-हिंदू की यही योजना , हिंदू को धर्म से दूर किया ;
झूठे-इतिहास की गंदी-शिक्षा , जिसके दम पर राज किया ।
नब्बे-प्रतिशत हिंदू अभिभावक , बच्चों पर ध्यान नहीं देते ;
अंग्रेजी-स्कूलों में उन्हें पढ़ाते, जो चरित्र का नाश ही करते ।
सौ में नब्बे से भी ज्यादा , मजहबवादी स्कूल हैं ;
अपने बच्चों को वहाँ पढ़ाना , सबसे बड़ी ये भूल है ।
सरकारी स्कूल की दुर्गति , सरकारें ही इसे कर रहीं ;
सरकारी जितनी भी योजना , हिंदू-धर्म को भ्रष्ट कर रहीं ।
मंदिर पर सरकारी – कब्जा , दोनों हाथों से लूट रहीं ;
भ्रष्टाचार बढ़ाया इतना , देश की किस्मत फूट रही ।
चरित्रहीनता बढ़ती जाती , ज्यों – ज्यों बढ़ता भ्रष्टाचार ;
राज्यव्यवस्था चौपट होती , बढ़ता जाता अत्याचार ।
भोली – भाली हिंदू – जनता , सबसे ज्यादा बने शिकार ;
टैक्स बढ़ा सरकारें लूटें , कोई नहीं है पारावार ।
खून चूसती हैं हिंदू का , मानो हो खटमल सरकार ;
गटर के पिस्सू बने हुये जो , नेता – अफसर की भरमार ।
अबकी अच्छी-सरकार बनाना , हिंदू ! तब ही जी पाओगे ;
अब्बासी – हिंदू नेता के रहते , हिंदू ! तुम मिट जाओगे ।
संस्कार बच्चों को देना , घर में ही माहौल बनाओ ;
पश्चिम का फैशन जहर है , स्वयं बचो बच्चों को बचाओ ।
ऑंख-कान को खुला ही रखना, हिंदू ! हरदम चौकन्ने रहना ;
राजनीति को ठीक से जानो , गांधी के बंदर मत बनना ।
कोल्हू का बैल बना है हिंदू , खून-पसीना एक कर रहा ;
अंधा पीसे कुत्ता खाये , ये उक्ति चरितार्थ कर रहा ।
हिंदू ! अब लुटना बंद करो , अपने अधिकार छीनना है ;
सारे-मंदिर वापस लेना है , धन-संपत्ति सभी लेना है ।
अब्बासी-हिंदू ही धर्म का दुश्मन , हिंदू ! इसको पहचानो ;
कालनेमि , रावण व पौंड्रक , इन सबसे भी बढ़कर मानो ।
जो भी घोषित राक्षस हैं , उनसे तुमको कम खतरा है ;
पर जो छुरा पीठ पर मारें , उनसे ही ज्यादा खतरा है ।
अब्बासी – हिंदू तेरा बनकर , छुरा पीठ पर मार रहा ;
“एकम् सनातन भारत” ही केवल,हिंदू को आगाह कर रहा ।