हमारी निष्ठा कहाँ है?
– हमारी निष्ठा हमारे देव, धर्म, संस्कृति, राष्ट्र तथा देश पर है।
– हमारी निष्ठा किसी व्यक्ति, समुदाय, पक्ष या संगठन पर नहीं है।
– हमारे लिए देव-धर्म से बढ़कर कोई भी नहीं है।
– हम भगवान् को ही भगवान् मानते है, अन्य कोई भगवान् भी नहीं तथा भगवान् के तुल्य भी नहीं।
– राजनीति में जो हिन्दु हित की बात करेगा तथा काम भी करेगा तो हम उसके साथ है। लेकिन जो बात करके साथ लेके काम नहीं करता वह विश्वास घातकी है, हरामी है।
– जो हिन्दू मन्दिरों को सरकार मुक्त करायेगा हम उसके साथ है।
– जिस व्यक्ति, पक्ष, सरकार या संगठन ने हिन्दु मन्दिरों को सरकार में लिया तथा लेना चाहता है वह हमारा शत्रु है। यदि वह हिन्दु होते ऐसा किया है तो विश्वास घातकी शत्रु है।
– जो हिन्दुओं के तीर्थ स्थलों को तीर्थ न रखकर पर्यटन तथा विलासिता, नशा एवं सरकार को टैक्स मिलने के उपाय सोचता है वह हमारा शत्रु है।
– जो समान नागरिकता नियम न लाकर किसी धर्म विशेष के लोगों के तोषण में लगा है ऐसा व्यक्ति, पक्ष या संगठन हमारा प्रथम शत्रु है।
– तोषण की राजनीति पर चली सच्चर समिति को लागु करनेवाला हमारा शत्रु है।
– हिन्दूओं के मत लेकर, हिन्दूओं को आश्वासन देकर जो हिन्दूओं के शत्रों की भलाई में तथा विश्वास अर्जन करने में लगा है वह बिकाऊ है, हमारा शत्रु है।
हिन्दुओं को अपने मुद्दों से प्यार है, किसी व्यक्ति, पक्ष या संगठन से नहीं।
– बहुत हिन्दुओं ने हिन्दुओं के मत लेकर सत्ता पाकर हिन्दुओं को ही ठगा है, क्योंकि भोला हिन्दु जितना देव-धर्म पर निष्ठा रखता है उससे अधिक निष्ठा इन ठगों पर रखता आया है। इसलिए, अब बस। किसी कालनेमी या वेष बदलकर आये रावण, छली शकुनी के जाल में नहीं फसना।
हर हर महादेव
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