इस लेख का शीर्षक देखकर लोग अचंभित हो सकते हैं। क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की छवि देश में कैसी है ये सब जानते हैं। कांग्रेस के ही नेता कई बार उस छवि को उजागर भी करते रहते हैं। और भाजपा के लोग तो एक खास शब्द पप्पू से आगे ही नहीं बढ़ पाते, यहाँ तक की चुनावों के समय में लोग इनको भाजपा का स्टार प्रचारक तक कहते हैं।
मेरा यह लेख कोई कपोल कल्पना नहीं है, न ही मुझे कोई सनसनी फैलाना है और न नहीं मुझे कोई सेलिब्रिटी बनना है। इस लेख में जो कुछ लिख रहा हूँ वो सब कांग्रेस के विदेशों में अपनी थकान मिटाने वाले 51 वर्षीय ‘युवा नेता’ के वक्तव्यों के आधार पर लिखा जा रहा है। मैं किसी की भावना को आहत करने के प्रयास से ये सब नहीं लिख रहा हूँ, मैं बस राहुल गाँधी की ही तरह स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी का उपयोग कर रहा हूँ। यह लेख भारत की जनता को सोचने पर विवश करेगा कि क्या राहुल गाँधी वास्तव में ‘पप्पू’ है या एक ‘अराजकतावादी’? इनके वक्तव्य आराजकता पूर्ण होते हैं और लोगों को देश में आराजकता फैलाने के लिए भड़काने वाले होते हैं। राहुल के ट्विटर हैंडल से पिछले एक साल के ट्वीट इस लेख का आधार हैं।
सुप्रसिद्ध लेखक संदीप देव ने अपनी बेस्टसेलर पुस्तक ‘कहानी कम्युनिस्टों की’ में कांग्रेस के ‘राजगुरु’ नेहरू को कम्युनिस्ट सिद्ध किया है। उस पुस्तक से पाठक यह समझ सकता है कि कांग्रेस कब कम्युनिस्ट बन जाती है और कम्युनिस्ट कब कांग्रेस बन जाते हैं? आराजकता और कम्युनिस्ट एक दूसरे के पर्यायवाची कहे जा सकते हैं। इसको सिद्ध करने के लिए अनेकों उदाहरण दिए जा सकते हैं। राहुल गांधी के प्रकरण में ‘कांग्रेस कब कम्युनिस्ट बन जाती है और कम्युनिस्ट कब कांग्रेस बन जाते हैं?‘ इस प्रश्न की पुष्टि हो जाती है।
उदाहरण 1: पिछले कुछ समय से संविधान को उद्धृत करने वाले राहुल एक वक्तव्य बार बार दोहरा रहे हैं। वह इस बचकाने वक्तव्य से “नेशन बनाम यूनियन ऑफ़ स्टेटस” का कुत्सित खेल खेल रहे हैं। पहली बात साधारण भाषा या समझ में जिसे हम पप्पू मानते हैं वह व्यक्ति ऐसा विवाद कभी खड़ा नहीं कर सकता। क्योंकि यह कोई साधारण बात नहीं है कि मजाक में बोल दी।
इसलिए ‘नेशन बनाम यूनियन ऑफ़ स्टेटस’ के मामले में राहुल दी ‘लोकप्रिय पप्पू’ वाली थ्योरी विफल हो जाती है। अब आती है राहुल दी ‘अनार्किस्ट’ गाँधी वाली थ्योरी। इसके लिए हमें तथाकथित ‘भारतीय’ कम्युनिस्टों के इतिहास पर दृष्टि डालनी होगी। ऐसा करने से हमको पता चलेगा कि कम्युनिस्ट भी भारत को एक नेशन (राष्ट्र) नहीं मानते।
क्या यह सच नहीं है कि कम्युनिस्टों ने 1942 में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें उन्होंने भारत को 16 राष्ट्रीयताओं का बहुराष्ट्रीय राज्य कहा है?
क्या यह सच नहीं है कि टुकड़े टुकड़े गैंग कम्युनिस्ट अथवा वामपंथी नहीं है?
क्या “भारत तेरे टुकड़े होंगे! इंशाल्लाह, इंशाल्लाह” या “भारत की बर्बादी तक जंग चलेगी, जंग चलेगी” जैसे देशद्रोही और विभाजनकारी नारे लगाने वाले कम्युनिस्ट या वामपंथी और मुस्लिम लीग के नक्शे कदमों पर चलने वाले नहीं हैं?
दूसरा, क्या कोई इसे नकार सकता है कि राहुल गाँधी इन टुकड़े टुकड़े गैंग वालों को समर्थन नहीं करते?
क्या ये सच नहीं है कि ये टुकड़े टुकड़े गैंग जहाँ भी होती है अराजकता फैलाती है ? चाहे जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी हो या शाहीन बाग?
क्या कभी किसी ने कम्युनिस्टों को राहुल गाँधी के ऐसे बयानों का विरोध करते हुए देखा है? क्या राहुल गाँधी ने कभी वामपंथियों का विरोध किया ?
वास्तव में अराजकता फैलाकर देश के टुकड़े करना कम्युनिस्टों का पुराना दुःस्वप्न है। राहुल गाँधी ‘दत्त ब्रैडले सिद्धांत’ से निकला हुआ उत्पाद हैं। राहुल के चाटुकार उनके “नेशन बनाम यूनियन ऑफ़ स्टेटस ” वाले वक्तव्य के बचाव में संविधान के अनुच्छेद 1 का हवाला देते हैं। लेकिन राहुल या उनके चाटुकार यह नहीं बताते कि संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर ने कहा है कि “राज्यों को महासंघ से अलग होने का कोई अधिकार नहीं है और उन्होंने संघ को ‘अविनाशी’ है। राहुल इस तरह के वक्तव्य देकर जानबूझकर कम्युनिस्टों का अराजकतावादी एजेंडा आगे बढ़ा रहे हैं।
सम्पूर्ण सृष्टि के इतिहास ‘महाभारत’ में यक्ष, युधिष्ठिर महाराज से पूछते हैं “पुरुष किस प्रकार मरा हुआ कहा जाता है? राष्ट्र किस प्रकार मर जाता है?” इस पर युधिष्ठिर महाराज ने उत्तर दिया “निर्धन अथवा दरिद्र पुरुष मरा हुआ कहा जाता है, बिना राजा का (अराजक) राष्ट्र मर जाता है अर्थात नष्ट हो जाता है।”
अब राहुल गाँधी को कोई समझाये कि जिस ‘नेशन’ को वो नकार रहे हैं उसी को संस्कृत में राष्ट्र कहा गया है। वैसे राष्ट्र शब्द को अंग्रेजी के नेशन शब्द से परिभाषित करना भी थोड़ा गड़बड़ है, लेकिन चलिए मान लेते हैं। राहुल को इतिहास का पाठ पढ़ने की आवश्यकता है, राष्ट्र शब्द का उल्लेख महाभारत काल में हुआ है। जिस हिंदुत्व से राहुल नफरत करते हैं उसी हिंदुत्व के आधार कहलाने वाले शास्त्रों में राष्ट्र की उत्पत्ति के बारे में वर्णन है। लेकिन राहुल का शास्त्र तो इटली में लिखा गया है।
राहुल का नेशन बनाम राज्यों का संघ का बखेड़ा खड़ा करना भारत राष्ट्र को नष्ट करने की साजिश है। और इसके लिए राहुल महाभारत में युधिष्ठिर महाराज द्वारा उल्लेखित ‘अराजकता’ की आग को भड़का रहे हैं।
उदाहरण 2.
इस ट्ववीट को पढ़िए राहुल गाँधी देश के सुप्रसिद्ध व्यवसायी गौतम अडानी पर हमलावर हैं कि इनकी संपत्ति बढ़ गयी है, आपकी क्यों न बढ़ी? क्या राहुल गाँधी ये नहीं जानते कि अडानी के उद्योगों में काम करने वाले लोग भारत के ही हैं? क्या राहुल गाँधी बताएँगे कि देश भर में कांग्रेस का एक भी कार्यकर्ता अडानी के उद्यमों में काम नहीं करता, या उससे पैसा नहीं कमाता? क्या राहुल गांधी बतायेंगे कि अडानी का जन्म भारत के बाहर हुआ है? आखिर देश के उद्यमियों से इनको दिक्क्त क्या है? क्या राहुल गाँधी ने कभी अपने जीजा रोबर्ट बाड्रा के बारे में ऐसे व्यक्तव्य दिए हैं? क्या उन्होंने तरक्की नहीं की है? देश तो यह जानना चाहता है कि राहुल गांधी की आय का स्त्रोत क्या है?
राहुल गाँधी का अंबानी अडानी या अन्य उद्यमियों पर ऐसा हमला करने के पीछे मोदी और उनकी सरकार की इन उद्योगपतियों के साथ मिलीभगत को दर्शाना है। राहुल का ऐसा प्रयास देश की भोली भाली जनता को केवल इनके विरुद्ध भड़काकर आराजकता फैलाना है। यदि अडानी से इनको इतनी दिक्क्त है तो इनकी पार्टी की छत्तीसगढ़ की सरकार अडानी के साथ मिलकर काम क्यों कर रही है? क्यों बड़े बड़े प्रोजेक्ट अडानी को दिए जा रहे हैं? क्या राहुल गांधी बतायेंगे? उत्तर: नहीं, क्योंकि इनको उत्तर से कोई मतलब ही नहीं है, इनको तो ऐसे वक्तव्य देकर केवल देश में आराजक माहौल बनाना है।
उदाहरण 3.
राहुल गाँधी का ये ट्वीट देखिये, ये ठीक है विपक्ष में होने के कारण इनका काम विरोध करना है, पर कोरोना जैसी महामारी के समय में भी इन्होने वही आराजक माहौल बनाने का प्रयास किया। जबकि देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि सरकार ने सही समय पर लॉकडाउन लगाया था। लोगों ने इस महामारी के समय सरकार का भरपूर साथ दिया, सरकार के काम को सराहा भी। लेकिन कांग्रेस के युवा नेता को तो केवल आराजकता फैलाना है। आखिर राहुल गाँधी को प्रभु के गुण गाने से दिक्क्त क्या है? भारत की वैक्सीन नीति को हर जगह सराहा गया, सरकार की वैश्विक ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल की विदेशों ने बहुत सराहना की।
ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो ने तो संजीवनी ले जाते हनुमान जी के चित्र के साथ भारत को धन्यवाद देने के लिए ट्ववीट भी किया था। अभी अभी जापान में हुई क्वाड की बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तक ने कोविड प्रबंधन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की। लेकिन राहुल ‘अराजक’ गाँधी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें केवल भोले भाले लोगों को भड़काकर अराजकता फैलाकर देश का माहौल बिगाड़ना है।
उदाहरण 4.
ये ट्वीट देखिये “उनका संघ हमला करना सिखाता है,अहिंसक सत्याग्रह किसान को निडर बनाता है। संघ का सामना संग मिलकर करेंगे- तीनों कृषि व देश विरोधी क़ानून वापस कराके ही दम लेंगे!”
राहुल गांधी हमेशा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमलावर रहते हैं। जबकि ये भी सच है कि संघ पर दिए एक बयान पर उनको कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं। यह ट्ववीट राहुल ने दिल्ली की सीमाओं को साल भर बंधक बनाकर रखने वाले ‘हिंसक’ किसान आंदोलन के समय किया था। राहुल दी ‘मुर्ख’ गांधी का कहना है कि आरएसएस यानि संघ हमला करना सिखाता है। कोई राहुल से पूछे कि बताओ आरएसएस ने कब किसी पर हिंसात्मक हमला किया? पूरे देश में एक भी रजिस्टर्ड केस राहुल गाँधी बताये जिसमें हमलावर के नाम की जगह संघ या आरएसएस का नाम लिखा है? जबकि वास्तविकता यह है कि आरएसएस तो सबको जोड़ने का काम कर रहा है। देश में आने वाली आपदाओं के समय में संघ के स्वयंसेवकों का पराक्रम देश ने देखा है, ये अलग बात है कि उस समय राहुल को नेत्रदोष हो जाता है। इस ट्वीट में राहुल गांधी तथाकथित किसान आंदोलन को अहिंसक बता रहे हैं। जबकि राहुल के इस ‘अहिंसक’ किसान आंदोलन के दौरान अराजक तत्वों ने दिल्ली में लाल किले में कैसा ‘हिंसक’ तांडव किया था वह सम्पूर्ण देश ने देखा था। कैसे राहुल गाँधी के ‘अहिंसक’ आंदोलनकारियों ने दिल्ली को बंधक बनाकर रखा था सबने देखा है।
उदाहरण 5.
ये ट्वीट देखिये, सीधा आरोप राहुल बाबा लगा रहे हैं ‘भूमि चीन को सौंप दी है’, अब कोई मुझे बतायेगा कि वर्तमान भारत जैसे देश का प्रधानमंत्री चीन जैसे विस्तारवादी देश को अपने देश की भूमि कैसे सौंप देगा? क्या ये बात राहुल गाँधी को समझ नहीं आती? वास्तव में राहुल सब जानते हैं और जानबूझकर इस तरह के बयान देते हैं ताकि देश में अराजकता का माहौल बना रहे। जबकि सच्चाई ये है कि जिन मोदी पर राहुल ऐसा बचकाना आरोप लगाते हैं उनकी ही सरकार ने पाकिस्तान और मयंमार में सर्जिकल स्ट्राइक किये हैं। डोकलाम में चीनी सेना को नाकों चने चबाने की खबरे देश ने सुनी और पढ़ी हैं। जहाँ तक भूमि सौंपने का प्रश्न है तो इसकी जड़े राहुल ‘तथाकथित’ गाँधी के पूर्वजों तक जरूर जाती हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ राहुल गाँधी के एमओयू हस्ताक्षर करने के समाचार भी अनेक बार सुर्ख़ियों में रहे हैं। जिनपर राहुल ने कभी मुँह नहीं खोला है।
उदाहरण 6.
ये ट्वीट देखिये, हिंदुत्ववादी, नफरत और कायर, वार; ये कैसी शब्दावली है? खुद को दत्तात्रेय गोत्र का बताने वाले, चुनावों के समय त्रिपुण्ड माथे पर बनाकर, कहीं अपनी धोती संभालते हुए मंदिर-मंदिर नाक रगड़ने वाले राहुल गाँधी को हिंदुत्व से इतनी नफरत क्यों हैं? क्या इसलिए कि इन हिंदुत्व वालों ने मतपेटी से न निकलने वाले राजकुमार की पार्टी को सत्ता से उखाडकर फेंक दिया है। वास्तव में ये हिंदुत्व ‘वादी’ ही संविधान का पालन कर रहे हैं, जिसके अनुसार इस देश का राजा या राजकुमार मतपेटियों से निकलेगा नाकि किसी के पेट से। ऐसी परिपाटी नेहरू से राजीव गाँधी तक जरूर चली है। लेकिन हिंदुत्व ‘वादियों’ ने अब पहिया संविधान के अनुसार घुमा दिया है, इसलिए ठीक उत्तरप्रदेश चुनाव के समय राहुल ने अराजकता फ़ैलाने और अहिन्दु वोट का ध्रुवीकरण करने के लिए सोच समझकर हिन्दुओं को इस तरह अपमानित करने का घृणित खेल खेला। लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता ने राहुल अराजक गांधी को अच्छा पाठ पढ़ाया। और हिंदुत्व का ब्रैंड माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ को फिर से पूर्ण बहुमत दिया।
ऐसे बहुत सारे उदाहरण प्रस्तुत किये जा सकते हैं जिनसे राहुल गाँधी का ‘अनार्किस्ट’ रूप उजागर किया जा सकता है। राहुल का दोगलापन तब उजागर हो जाता है जब वो भाजपा सरकारों पर हमला करते हैं (विपक्ष में होने से उनका यह अधिकार है) लेकिन आये दिन अमानवीय घटनाओं के लिए सुर्ख़ियों में रहने वाले राजस्थान और वहां की कांग्रेस सरकार के खिलाफ बोलने के लिए राहुल के मुँह में प्लास्टर लग जाता है। कांग्रेस समर्थित महाराष्ट्र सरकार के मंत्री तक भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद है, लेकिन मजाल है कि युवराज के मुँह से कोई शब्द निकल जाए। छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए आदिवासी समाज जंगल में बैठकर कांग्रेस की सरकार विरूद्ध आंदोलनरत है लेकिन हिंसक किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले राहुल गाँधी हसदेव अरण्य को बचाने के लिए आदिवासी समाज के आंदोलन के सर्मथन में कुछ नहीं बोलेंगे। आखिर क्यों ? क्योंकि ऊँगली खुद की ओर उठेगी।
राहुल गाँधी जी अब देश जाग चुका है और आपके ‘पप्पू’ के पीछे के ‘अराजक’ चेहरे को पहचान चुका है। इसलिए ये धूर्त पैंतरे अब नहीं चलने वाले। बेहतर है पश्चताप करिये और भारत के उज्ज्वल भविष्य में योगदान दीजिये नहीं तो अमेठी की तरह वायनाड भी सुरक्षित सीट नहीं रहेगा।