महामूर्ख है हिंदू कितना , लोभ लालच में फंसा हुआ है ;
मुफ्तकी बिजली,मुफ्तका राशन,इन सबमें वो बिका हुआ है
राजनीति बन गया है अड्डा , आदमखोर नेताओं का ;
ज्यादातर हैं राष्ट्र -विरोधी , धिम्मी है आकाओं का ।
हिंदू कभी समझ न पाया , राजनीति का खेल ;
इसी से दोयम दर्जा पाकर , होता है ब्लैकमेल ।
डीएनए वाला भी इनको , भेंड़ की तरह ही हांके ;
अज्ञान का पर्दा पड़ा हुआ है , कायरता को फांके ।
हिंदू को जागृत होना है , वरना तय है मरना ;
जितने भी गलीज हैं नेता , उनसे अब है बचना ।
कायर ,कुटिल ,कपूत हैं जितने , उनको अब पहचानो ;
परम साहसी सत्यनिष्ठ हों , उनको ही नेता मानो ।
छांट – छांट कर ऐसे नेता , उनको ही जितवाना ;
लूटमार करने वालों को , उनको अब लतियाना ।
जब तक नेता ठीक न होगा , कुछ भी ठीक न होगा ;
भ्रष्टाचार बढ़ेगा हरदम , आतंकवाद ही होगा ।
भले लोग न जी पायेंगे , गुंडा – शासन होगा ;
क्या बंगाल है ? केरल – कश्मीर पूरा देश ही होगा ।
सड़क घेरकर बने मजारें , छाती पर मूंग दलेंगे ;
कहीं न हो कानून का शासन , केवल मंदिर टूटेंगे ।
हिंदू अब तो होश में आओ , राजनीति में छाओ ;
सारे राष्ट्रभक्त मिल करके , एक नया दल लाओ ।
हिंदू – वादी दल हो पूरा , हिंदू – राष्ट्र बनायें ;
हिंदू – राष्ट्र बना भारत को , कानून का शासन लायें ।
कानून का शासन हिंदू माने , गुंडा कभी न माने ;
राजदंड जब हाथ में होगा , तब ही गुंडा माने ।
अभी तो ये सपना लगता है , पर सपना सच होगा ;
विजय सर्वदा सत्य की होती , ये ही अब भी होगा ।
राजनीति जितनी हो गंदी , अब उसको धुलना है ;
राष्ट्र – भक्त हिंदूवादी ही , अब शासक बनना है ।
त्याग रहा है हिंदू मूर्खता , जागरूक होना है ;
सच्चे इतिहास को जान रहा है , बुद्धिमान होना है ।
विजय धर्म की तब होती है ,जब हो अधर्म का नाश ;
ये तो अब होके ही रहेगा , वरना सृष्टि – विनाश ।
“जयहिंद-वंदेमातरम”,रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”