तथाकथित हिंदूवादी दल , पागल हाथी जैसा है ;
अपने लोगों को रौंद रहा , पागलपन जाने कैसा है ?
इनका डीएनए बदल चुका है , अपनी जड़ से उखड़ गए ;
तलवे चाट रहे गुंडों के , अपना गौरव भूल गये ।
बेलगाम हो चुका है हाथी , इस पर अंकुश फौरन लाओ ;
समय नहीं है बिल्कुल ज्यादा , एक नया हिंदू दल लाओ ।
जितने भी हिंदूवादी हैं , चाहे जिस भी दल में हों ;
सारे एक साथ आ जाओ , धर्म ध्वजा के नीचे हों ।
इसका श्री गणेश करने को , अब कोई सन्यासी आये ;
राष्ट्र टकटकी लगाके देखे , कोई तो उद्धारक आये ।
समय-समय पर धर्म बचाने , कितने ही उद्धारक आये ;
वीर शिवा , राणा प्रताप व नानक जैसे गुरु भी आये ।
वैसा ही अब समय आ गया , राष्ट्र पड़ा है संकट में ;
संकटमोचक भंग पिये हैं , धर्म पड़ा है कंटक में ।
कोई तो डीएनए मिलाता ,मजहब को सर पे है बिठाता ;
कोई तुष्टीकरण की खातिर , मूर्ति और मंदिर तुड़वाता ।
कदम कदम पर अतिक्रमण है , रास्ता रोके सड़क को घेरे ;
उनके हरे रंग को देखे , पुलिस प्रशासन नजर को फेरे ।
लगता है कुछ गलत हो गया , कैसों को हमने जितवाया ?
जिनको हम अपना समझे थे ,उन्होंने ही हमको ठुकराया ।
अपनी गलती ठीक करो अब , हिंदूवादी सत्ता लाओ ;
अपना जीवन अगर है प्यारा , देश को हिंदू राष्ट्र बनाओ ।
अभी से ये प्रारंभ करो और हिंदू शक्ति प्रचंड बनाओ ;
हिंदू दीपक बुझे पड़े हैं , अब फौरन ही उन्हें जलाओ ।
शौर्य का तेल भरो दीपक में , साहस की बत्ती को लाओ ;
धर्म -सनातन की चिंगारी , राष्ट्रप्रेम की ज्योति जलाओ ।
दिशा भ्रमित हो गया है हिंदू , पढ़करके झूठा इतिहास ;
यही तो साजिश है सत्ता की , पढ़ा रहे झूठा इतिहास ।
इस साजिश को हिंदू तोड़े , स्वयं पढें सच्चा इतिहास ;
खुद भी पढ़ें ,बच्चों को पढ़ायें, गौरवशाली सच्चा इतिहास।
बस इतने से बात बनेगी , सोयी कौम जाग जायेगी ;
तथाकथित हिंदू नेता की , समझो शामत आ जायेगी ।
एक नया दल बनके रहेगा , सौभाग राष्ट्र का जागा है ;
धर्म – सनातन छा जायेगा , पागल हाथी भागा है ।
“जयहिंद-वंदेमातरम”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”