श्वेता पुरोहित। सूर्य अर्घ्य विधि
१. ताँबे के कलश (लोटे) में साफ़ पानी भरें।
२. उसमे दूध, दर्भ (कुशा), घी, मधु (शहद), रक्त-चंदन, लाल पुष्प, गुड, शक्कर, चावल इनमें में से जो भी उपलब्ध हो वो थोड़ा मिला सकते है। कुछ न हो तो जल मात्र से अर्ध्य अर्पण करें।
३. फिर पूर्व दिशा में मुख कर सर थोड़ा झुककर मंत्र बोलते हुए अर्घ्य दें।
४. अर्घ्य देने के पश्चात् अर्घ्य दिये हुए जल को हाथ लगाकर अपनी दोनों आँखों और कानो को स्पर्श कर मस्तक पर हाथ फेर लें।
५. थोड़ा जल आप ग्रहण भी कर सकते है।
६. फिर अपनी जगह पर सात प्रदक्षिणा कीजिए।
अर्घ्य मंत्र :
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजो राशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्य नमोस्तुते ॥
या फिर आप सूर्यदेव के १२ नाम का उच्चारण कर सकते हैं:
१. ॐ सूर्याय नमः।
२. ॐ मित्राय नमः।
३. ॐ रवये नमः।
४ ॐ भानवे नमः।
५. ॐ खगाय नमः।
६. ॐ पूष्णे नमः।
७. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
८. ॐ मारीचाय नमः।
९. ॐ आदित्याय नमः।
१०. ॐ सावित्रे नमः।
११. ॐ अर्काय नमः।
१२. ॐ भास्कराय नमः।
यदि आप द्विज हैं और आपके पास उपनयन है तो आप तीन बार गायत्री मंत्र भी उच्चारित कर सकते हैं।
यदि कुछ ना आए तो ॐ सूर्याय नमः को ही १२ बार उच्चारित कीजिए।