
प्रतीक चिन्ह, हिन्दू और राष्ट्रवाद
राजीव नांदल । आजकल हिजाब विवाद चल रहा है। यह राष्ट्रीय मुदा तो बना ही हुआ है, लेकिन अंतराष्ट्रीय स्तर पर इसको काफी जोर शोर से उठाया जा रहा है। हम भारतीय, खासकर हिन्दू समाज भी इसमें उलझा हुआ है। तरह-तरह के तर्क और कुतर्क दिए जाते है, चाहे वो राष्ट्रीय चैनल हो या सोशल मीडिया हो। कुछ लोग इसे चुनावी मुद्दा भी मानकर देख रहे है।
हिजाब मुद्दे को एक प्रतीक चिन्ह की तरह से हम देख सकते है। क़ुरआन की रौशनी में रखकर बहस हो रही है। यह बहस कर्नाटक के हाई कोर्ट में भी हो रही है। इस बहस में भी हम तर्क और कुतर्क देख सकते है। कर्नाटक हाई कोर्ट में अभी सुनवाई चल रही है।
मुसलमान हिजाब को एक प्रतीक चिन्ह के रूप में ना सिर्फ प्रयोग कर रहे है बल्कि ७३ फिरके होने के बावजूद एकजुटता प्रदर्शित कर रहे है। वो इसमें सफल भी हो रहे है।
कोई भी प्रतीक चिन्ह महत्वपूर्ण क्यों होता है, यह हमें समझना पड़ेगा। यह प्रतीक हमारे धर्म से जुड़ा होता है और हमें एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है। जैसे तिलक, ॐ जो अक्सर हम अपने हाथ पर या अपनी पुस्तक पर लिख देते है।
आरजू काजमी पाकिस्तान से है और वो अपना यूट्यूब चैनल चलाती है। उसके पीछे पुस्तकें होती है और एक बोध की मूर्ति रखी हुई है। भारतीय लोग बड़े भोले होते है। उन्हें यह नहीं पता की पहले हिन्दुओं को मुसलमान पहले बोध मत में लाकर करते थे। दुसरा उनके पीछे पाकिस्तान का झंडा रहता है। वह अपने चैनल के माध्यम से तीन प्रतीक चिन्ह का प्रयोग करती है।
संदीप देव, संजय दीक्षित, अजीत भारती, नीरज अत्रि और बहुत से भारत के लोग यूट्यूब पर अपना चैनल चलाते है। अब यह सभी लगभग रोज अपने चैनल के माध्यम से लोगों के समक्ष मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते है। लेकिन आपने देखा होगा की ऐसा कोई प्रतीक चिन्ह दिखाई नहीं देता जो हिन्दुओं का प्रतीक चिन्ह हो या भारत का प्रतीक चिन्ह हो।
राष्ट्रीय चैनल पर हिजाब विवाद को लेकर ही एक बहस चल रही थी। उसमें लखनऊ के वकील बहस कर रहे थे। उनकी मेज पर भारत का एक झंडा लगा हुआ था। मुझे आश्चर्या हुआ कि वह तो भारत में है, और भारत के ही चैनल पर बहस कर रहे है फिर उन्होंने भारत का झंडा क्यों लगाया हुआ है?
यह एक प्रतीक था। यह प्रतीक था भारत का, यह प्रतीक था एकता का, यह प्रतीक था भारतीय लोगों का। यह एक सुखद आश्चर्या था कि एक मुसलमान होकर वह इतने जागरूक है कि प्रतीक चिन्ह का प्रयोग करना नहीं भूले। एक मुसलमान, हिन्दुओं से ज्यादा जागरूक है।
हम हिन्दुओं को भी प्रतीक चिन्ह का ना सिर्फ प्रयोग करना होगा बल्कि अपने आपको जागरूक भी करना होगा। जब तक हम इन प्रतीक चिन्हों का प्रयोग नहीं करना सीखेंगे हम कोई भी व्याख्यान दे, सीख दे, हम हारते ही रहेंगे।
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