विपुल रेगे। कंगना रनौत की ‘तेजस’ आम दर्शक नहीं देख रहे हैं लेकिन इसे फिल्म मेकिंग के विद्यार्थियों को ज़रुर देखना चाहिए। ये बचकानी फिल्म देखकर वे जान सकते हैं कि अच्छी फिल्म बनाने के लिए ‘क्या-क्या नहीं करना चाहिए।’ निर्देशक सर्वेश मेवाड़ा की ‘तेजस’ बड़ी भयानक गलतियों का शिकार होकर रिलीज के पहले दिन ही ढेर हो गई है। निर्माता रोनी स्क्रूवाला को 60 करोड़ की ऐसी उड़ान भरने से पहले एक अनुभवी भरोसेमंद निर्देशक की खोज करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने एक नौसिखिया खोज लिया।
भारतीय वायुसेना में कार्यरत एक महिला पायलट तेजस को एक ख़ुफ़िया एजेंट के रेस्क्यू के लिए उसकी साथी पायलट के साथ भेजा जाता है। ऑपरेशन के दौरान दोनों को पता चलता है कि कुछ आतंकी अयोध्या के राम मंदिर पर हमला करने वाले हैं। ऐसे में तेजस के सामने दो मिशन हैं और उसे दोनों में ही कामयाब होना ज़रुरी है। तेजस के प्रेमी, माता-पिता और भाई को 26/11 के आतंकी हमले में मार दिया गया था। तेजस का अतीत उसे आतंकियों से लोहा लेने की शक्ति प्रदान करता है।
निःसंदेह ये एक अच्छी और प्रेरणादायी कथा थी और इस पर सुंदर प्रस्तुति दी जा सकती थी लेकिन निर्देशक सतह पर ही तैरते रह गए। इस देशभक्ति वाले एक्शन थ्रिलर में बहुत सी कमियां रह गई है। सबसे पहली कमी है किरदारों के चरित्र को सतही ढंग से उभारा गया है। तेजस को छोड़कर किसी भी किरदार की गहराई में निर्देशक नहीं जा सके। तेजस की दोस्त आरफा का किरदार हो या भारतीय वायु सेना के प्रमुख का किरदार, बड़े ही बनावटी लगते हैं। ये किरदार आते से ही संवाद बोलना शुरु कर देते हैं। न उनका ठीक से परिचय दिया जाता है और न उनका कोई अतीत बताया जाता है।
निर्देशक ने केवल तेजस के किरदार पर ही मेहनत की है। निर्देशक ने आधुनिक गैजेट्स दिखाने की होड़ में हॉलीवुड फिल्म ‘मिशन इम्पॉसिबल’ की बड़ी ही भौंडी नक़ल कर डाली है। उस फिल्म में एक ऑब्जेक्ट को छुपाने के लिए एक अदृश्य पर्दा बनाया जाता है। ‘तेजस’ में पाकिस्तानी रनवे पर खड़े भारतीय विमानों को छुपाने के लिए ऐसा ही किया जाता है। हालाँकि इस सीक्वेंस में किरदारों के गलत एक्सप्रेशंस के चलते सब गड़बड़ हो जाती है। इसके अलावा सस्ते वीएफएक्स भी इस सीक्वेंस को वास्तविक नहीं बना पाते। निर्देशक एक्शन दृश्यों की सही सिचुएशन पकड़ पाने में भी नाकाम रहे हैं। फिल्म में दो क्लाइमैक्स एक साथ चलते हैं और इसी कारण फिल्म की धार और कुंद पड़ जाती है।
रिलीज के तीन दिन बाद ‘तेजस’ के खाते में 3.75 करोड़ का कलेक्शन जमा हुआ है। फिल्म की सपोर्टिंग कॉस्ट पर काम न करना और केवल कंगना रनौत के किरदार को उभारने का जतन महंगा पड़ गया है। इसके अलावा दर्शकों ने राम मंदिर वाला कनेक्शन भी पसंद नहीं किया है। कुछ किरदारों के लिए ऐसे कलाकार चुन लिए गए, जिन्हें ठीक से एक्ट करना भी नहीं आया। इन कारणों से फिल्म का पूरा ‘फ्रेम’ खराब हो गया। आने वाले सप्ताह तक ‘तेजस’ सर्वाइव नहीं कर सकेगी।
फिल्म के धड़ाम से गिर जाने के बाद कंगना ने दर्शकों से फिल्म देखने की अपील की है। कंगना को समझना चाहिए कि अच्छी फिल्म देखने की अपील कभी दर्शकों से नहीं करनी पड़ती। ‘पंगा’, ‘थलाइवी’, ‘धाकड़’ और ‘चंद्रमुखी 2’ के फ्लॉप होने के बाद ‘तेजस’ भी टिकट खिड़की पर क्रेश हो गई। शायद वक्त कंगना को राह बदलने का इशारा कर रहा है।