बुद्धि पूरी भ्रष्ट हो चुकी , बुरी तरह बौखलाया है ;
नारसिज्म का कठिन रोग है , इसीलिये पगलाया है ।
और भी एक कठिन बीमारी , स्टाकहोम-सिंड्रोम का रोग ;
साथ ही कुंठाग्रस्त बहुत है , तरह-तरह के गंदे-रोग ।
मनोरोग हैं कई तरह के , स्वार्थ , लोभ ,भय , भ्रष्टाचार ;
बुरी तरह से लिप्त है इनमें , जितने भी हैं दुराचार ।
दुराचार की सूची लंबी , बहुत किये हैं जीवन में ;
पापों के काले-नाग बसे हैं , इसके पूरे तन में – मन में ।
आस्तीन का साॅंंप बन चुका , राजनीति में आते ही ;
अब्बासी-हिंदू भारत का नेता , देश को बेचा आते ही ।
कर्ज में डूबा पूरा भारत , इसे कोई परवाह नहीं ;
जिसको इसने नहीं किया हो , ऐसा कोई पाप नहीं ।
ये धूल झोंकने में माहिर है , धोखेबाजी में नम्बर – वन ;
लफ्फाजी और जुमलेबाजी, झूठी-बातों का विश्व चैम्पियन ।
किस्से – कहानी और लतीफे , मनगढ़ंत सारी – बातें ;
मूरख-हिंदू इसी में खुश है , चाहे जितनी पड़ती लातें ।
तिलक-त्रिपुण्ड में मोहित हिंदू ,बुद्धि विवेक को खो बैठा है ;
पौराणिक मंदिर कितने टूटे हैं,पर फिर भी हिंदू चुप बैठा है ।
राम-मंदिर तक भ्रष्ट हो चुका , पर मूरख-हिंदू झूम रहा है ;
कोल्हू का बैल-धोबी का गदहा,फिर भी ताली बजा रहा है ।
अज्ञान की पट्टी बांधे हिंदू , जगह-जगह ठोकर खाता है ;
सदा से हिंदू का भारत है , फिर भी गला कटाता है ।
तेरे देश में घुसे हुये हैं , खूनी, बर्बर, कातिल, आतंकी ;
पर चोर है चौकीदार ही तेरा , तो अब जिम्मेदारी किसकी ?
अपने देश की जिम्मेदारी , सुन ले हिंदू ! केवल तेरी ;
अज्ञान की पट्टी फौरन खोलो , अब न कर इसमें कुछ देरी ।
बढ़कर देश बचा ले अपना , कहीं देर न हो जाये ;
दृढ़ संकल्प सभी हिंदू का , अब्बासी-हिंदू सत्ता से जाये ।
हर कीमत पर अच्छी-सत्ता , केवल न्याय का शासन हो ;
धर्म-नीति ही इसका साधन , तब ही अच्छा-शासन हो ।
धर्म-नीति पर चलने वाला , भारत का एकमात्र दल है ;
इस चुनाव में उतर चुका है ,”एकम् सनातन भारत” दल है ।
सारे हिंदू ! सहयोग को करना , कोई भी पीछे मत रहना ;
बढ़-चढ़कर सब हिस्सा लेना , हमको “राम-राज्य” पाना ।