विपुल रेगे। कुछ साल पहले अक्षय कुमार ने अपनी एक फिल्म ‘गुड न्यूज़’ में राम को लेकर चुटकुला सुनाया था। अक्षय स्वतंत्र विचारों वाले रहे हैं। उनको भगवान को दूध-तेल अर्पित करने वालों की आलोचना करना अच्छा लगता है। स्वतंत्र विचारों वाले अक्षय को अंततः देश के सिनेमाई दर्शकों ने ‘स्वतंत्र’ कर दिया है। उनकी हालिया फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ का ‘मिशन’ देखने जनता नहीं पहुंची है। क्या ये ‘ओएमजी 2’ का इफेक्ट है या अक्षय कॅरियर के आखिरी दौर में हैं ? एक दिन पहले ही अक्षय ने पत्रकार नाविका कुमार को इंटरव्यू दिया है।
बॉक्स ऑफिस के धुरंधर खिलाड़ी अक्षय कुमार की हालिया रिलीज ‘मिशन रानीगंज’ को बॉक्स ऑफिस पर औसत से भी कम कलेक्शन मिल रहे हैं। विगत एक वर्ष में अक्षय की लोकप्रियता में उतार आया है। इसका प्रभाव उनकी फिल्मों की ओपनिंग पर दिखने लगा है। इसे भाग्य की चोट कहे या देश में बदल रहे वातावरण का नतीज़ा कि बॉलीवुड तो फिर से जी उठा लेकिन ये ‘नई सांसे’ अक्षय कुमार के हिस्से नहीं आई। इस समय सारे पुराने चावल टिकट खिड़की पर छाए हुए हैं लेकिन इनमे अक्षय नहीं हैं।
सत्ता से गलबहियां करना अब अक्षय को महंगा पड़ने लगा है। ‘आम’ वाले इंटरव्यू के बाद सोशल मीडिया पर उनकी अच्छी खासी फजीहत की गई। हर चौथे विज्ञापन में दिखाई देने वाले अक्षय का सितारा मद्धम हो गया है। गौर करने वाली बात है कि ‘ओएमजी 2’ के समय अक्षय कुमार को ये इंटरव्यू देने की आवश्यकता नहीं हुई क्योकि वह फिल्म अच्छा कलेक्शन करने में सफल हो गई थी। हालाँकि अक्षय को ये सोचना चाहिए कि ‘मिशन रानीगंज’ के कम कलेक्शन पर ‘ओएमजी 2’ के विवाद की छाया स्पष्ट दिखाई देती है।
अक्षय ने इंटरव्यू में ये स्वीकार नहीं किया बल्कि उन्होंने तो इस बात पर ख़ुशी ज़ाहिर की। उनको आश्चर्य हुआ कि ‘ओएमजी’ जैसी नॉन कमर्शियल फिल्म अच्छा कलेक्शन कैसे कर गई। नाविका कुमार ने अक्षय से कई सवाल किये लेकिन मैं इस बात पर मुतमईन हूँ कि ‘फ्रेंकली स्पीकिंग’ में हुआ ये इंटरव्यू ‘आम छाप’ इंटरव्यू से कम नहीं था। नाविका को ऐसा लग रहा था कि वे अक्षय कुमार पर सवालों की गूगली फेंक रही है लेकिन वास्तव में ‘फ्रेंकली स्पीकिंग’ की पिच ही बेजान थी। नाविका के सारे सवाल प्रधानमंत्री, उनके राजनीतिक कनेक्शन, उनकी आलोचनाओं पर केंद्रित रहे।
नाविका उनसे ये नहीं पूछ सकीं कि आप हिन्दू धर्म के विरुद्ध बयानों का पाखंड कैसे रच लेते हैं ? आप अपनी फिल्म में महादेव की छवि को पैसा कमाने के लिए कैसे यूज़ कर लेते हैं ? आप अपनी फिल्म में श्री राम और लोहिड़ी पर भद्दा मज़ाक कैसे कर लेते हैं ? आप कौन होते हैं, जो शिव लिंग पर दूध चढाने को लेकर देश को सलाह बांटते हैं ? नाविका ने ये अवश्य पूछा कि आपने अपनी फिल्म का नाम ‘द ग्रेट इंडियन रेस्क्यू’ से बदलकर ‘द ग्रेट भारत रेस्क्यू’ कर दिया, इस पर आपका क्या कहना है। वैसे द ग्रेट रेस्क्यू के बीच ‘भारत’ शब्द अजनबी सा लगता है। भाषाओं की ऐसी खिचड़ी सत्तारूढ़ दल के उन्मादी और अनपढ़ समर्थक ही बना सकते हैं।
नाविका अक्षय से ‘वन नेशन वन पोल’ पर सवाल करती हैं। इस इंटरव्यू से ऐसा लगा कि ‘मिशन रानीगंज’ के फेल होने पर आश्चर्यचकित अक्षय टीवी पर ये बताने आए थे कि वे वहीं पुराने पके हुए ‘आम’ हैं। वे ज़रा भी नहीं बदले हैं और आज भी सत्तारुढ़ दल में उनका अटूट विश्वास है। सन 2025 तक अक्षय पर दस बड़ी फिल्मों का दांव लगा हुआ है और उन पर पैसा लगाने वाले चिंतित हैं।
अक्षय की फ़िल्में अब ज़ोर नहीं पकड़ रही। फिल्म उद्योग तो पुनः खड़ा हो गया है लेकिन सत्ता से जुड़े सितारों का बुरा हाल हो चुका है। कंगना रनौत की बॉक्स ऑफिस पोजीशन बेहद खराब चल रही है। यदि फिल्म उद्योग से आते इस संकेत को समझा जाए तो ये भी समझा जा सकता है कि ‘सिंहासन अब डोलने लगे हैं।’