फाइटर
निर्देशक : सिद्धार्थ आनंद
कॉस्ट : अनिल कपूर, ऋत्विक रोशन, दीपिका पादुकोण, करण सिंह ग्रोवर, अक्षय ओबेराय
संगीत : विशाल-शेखर, संचित बल्हारा-अंकित बल्हारा
स्ट्रीमिंग : थियेटर रिलीज
विपुल रेगे। 2024 का वर्ष फिल्मों के लिए लाभदायक दिखाई दे रहा है। साल की शुरुआत में जब बॉलीवुड ने अपनी झोली खोली तो ‘मैरी क्रिसमस’ और ‘मैं अटल हूँ’ जैसे हादसों के साथ शुरुआत हुई लेकिन सिद्धार्थ आनंद की ‘फाइटर’ ने हिन्दी फिल्म उद्योग को सही मायने में शुभ आरंभ दे दिया है। देशभक्ति और भारतीय वायु सेना के परिपेक्ष्य में ‘फाइटर’ एक उत्कृष्ट सिनेमाई कृति के रुप में उभरती है। ‘फाइटर’ का स्मरण इसलिए भी रखना आवश्यक है, क्योंकि ‘आरआरआर’ के बाद भारत ने फिल्म तकनीकी में एक बार फिर विश्व सिनेमा के सामने श्रेष्ठ उदाहण प्रस्तुत किया है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर रिलीज हुई ये फिल्म भारतीय वायु सेना को आदरांजलि अर्पण करती प्रतीत हो रही है। थियेटर्स तालियों और सीटियों से गूंज रहे हैं। बॉलीवुड का नया साल अब शुरु हुआ है।
ये वर्ष भारतीय फिल्म उद्योग के लिए शुभ फलदायी दिखाई देता है। पहले ‘हनुमान’ ने अपनी धाक जमाई और अब हिन्दी फिल्म उद्योग के मुस्कराने की बारी है। सिद्धार्थ मल्होत्रा की ‘फाइटर’ एक्शन फिल्मों की दुनिया में अलग ही छाप छोड़ती है। अनिल कपूर, ऋत्विक रोशन, दीपिका पादुकोण जैसे करिश्मे एक साथ इकठ्ठे हो तो उन्हें साधने वाला सारथी भी महारथी के समान होना चाहिए। निर्देशक सिद्धार्थ में इन ‘करिश्मों’ को साधने का हुनर है। सिद्धार्थ ने अपनी निर्देशकीय क्षमता का शानदार प्रदर्शन करते हुए हाई ऑक्टेन एक्शन दृश्यों को देशभक्ति के हैवी इमोशनल डोज के साथ बखूबी जोड़ दिया है। इसमें सम्मोहन है और वह ताकत है कि टिकट खिड़की पर अपनी बादशाहत जमा सके। ‘फाइटर 2024’ एक सिनेमाई मास्टरपीस है जो पारंपरिक फिल्म निर्माण की समस्त सीमाओं को तोड़ता हुआ एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। फिल्म के मूल में एक दिलचस्प कथा है जो सस्पेंस, ड्रामा और एक्शन को एक साथ जोड़ती है।
कहानी : फाइटर’ की कहानी 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट हवाई हमले पर आधारित है। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद एक खूंखार आतंकी अज़हर अख्तर की सहायता से पुलवामा पर हमला करवाता है। इसके बाद कमांडिंग ऑफिसर राकेश जयसिंह उर्फ रॉकी श्रीनगर में एयर ड्रैगन्स नाम से एक यूनिट बनाते हैं। स्क्वाड्रन लीडर मीनल राठौड़, स्क्वाड्रन लीडर शमशेर पठानिया उर्फ पैटी, स्क्वाड्रन लीडर सरताज सिंह उर्फ ताज और स्क्वाड्रन लीडर बशीर खान उर्फ बैश को लेकर एक टीम बनाई जाती है। ये स्पेशल टीम अपने अभियान के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा बिछाए जाल में फंस जाती है। टीम के दो सदस्यों को बंदी बना लिया जाता है। अब राकेश जयसिंह के सामने चुनौती है कि वह अपनी टीम के सदस्यों को वापस भारत लेकर आए।
अभिनय : ‘फाइटर’ में अभिनय की सुखद जुगलबंदी देखने को मिलती है। अनिल कपूर इस शो में बहुत शक्तिशाली होकर उभरे हैं। कॅरियर की दूसरी पारी में अनिल कपूर सशक्त अभिनय करते नज़र आ रहे हैं। जयसिंह की भूमिका में उन्होंने वायुसेना के बड़े ही सख्त अफसर की भूमिका निभाई है। ‘ग्रीक गॉड’ ऋत्विक रोशन शमशेर के किरदार में है। जब वे पायलट का हेलमेट पहनते हैं तो एक योद्धा में बदल जाते हैं। उनकी अद्वितीय फिटनेस इस किरदार में उन्हें बहुत आकर्षक बना देती है। दीपिका पादुकोण लगातार हिट फिल्मों का हिस्सा बनी हुई है। ‘जेएनयू स्टैंड’ के कारण दीपिका को बहुत कुछ भुगतना पड़ा। ‘पठान’, ‘जवान’ और अब ‘फाइटर’ में उन्होंने अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर दी है। दीपिका और ऋत्विक की ऑन स्क्रीन केमेस्ट्री अच्छी है।
निर्देशन : सिद्धार्थ आनंद को इस बात के लिए बधाई कि उन्होंने सस्ती देशभक्ति और अंध राष्ट्रवाद का सहारा लिए बिना भारतीय वायु सेना के लिए जश्न वाला शो बनाया है। फिल्म में देशभक्ति थोपी हुई नहीं, बल्कि अर्जित की हुई महसूस होती है। सिद्धार्थ ने अपने पात्रों को बखूबी गढ़ा है। ये केवल फाइटर जेट्स की आसमानी लड़ाई तक सीमित नहीं रहती, बल्कि सच्ची देशभक्ति, बलिदान और मानवीयता के स्तर तक जाती है। देश के लिए लड़ने वालों के बीच के रिश्ते और उन पर आने वाले दबाव को भी ईमानदारी से दिखाती है।
कमी : बॉलीवुड की फिल्मों में अल्पसंख्यक समुदाय को अनिर्वायता के साथ दिखाया जाता है। और उसमे कुछ बुराई भी नहीं है। समस्या ये है कि अल्पसंख्यक के नाम पर हिन्दी फिल्म उद्योग को मुस्लिम समुदाय ही दिखाई देता है। क्या देश के अल्पसंख्यकों में और अन्य समुदाय नहीं आते ? हालांकि फिल्म के मुस्लिम चरित्रों को वामपंथी मानसिकता की ओर नहीं मोड़ा गया है।