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India Speak Daily > Blog > मीडिया > फिफ्थ कॉलम > माओवादी पोडियम पांडा ने किया शहरी नक्सलियों के नाम का खुलासा! कई प्रोफेसरों और पत्रकारों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी! देश में फिर शुरु हो सकता है असहिष्णुता का नाटक!
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माओवादी पोडियम पांडा ने किया शहरी नक्सलियों के नाम का खुलासा! कई प्रोफेसरों और पत्रकारों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी! देश में फिर शुरु हो सकता है असहिष्णुता का नाटक!

ISD News Network
Last updated: 2018/05/29 at 12:34 PM
By ISD News Network 1.6k Views 7 Min Read
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7 Min Read
The Wire के एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन की पत्नी व दिल्ली विश्विद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर अक्सर बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में देखी जाती हैं। (File Photo)
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साल 2017 के अप्रैल में 25 सीआरपीएफ जवानो की हत्या में संलिप्त पोडियम पांडा ने उसी साल 9 मई को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। पांडा ने पुलिस के सामने उन सारे लोगों के राज उगल दिए हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से माओवादियों के समर्थक और विचारक होने के साथ उनसे सहानुभूति रखते हैं।

मुख्य बिंदु

* पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर चुके पांडा ने माओवादियों के समर्थकों और विचारकों का उगला राज
* द वायर में पांडा की प्रशंसा में आलेख लिखने वाली नंदिनी सुंदर इस बार पहचानने से मुकर भी नहीं सकती हैं

कई चौंकाने वाले नाम आए सामने

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पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद से पांडा ने अपने सीने में दबे राज को उगलना शुरु कर दिया है। पांडा ने पुलिस को दिए अपने बयान में जिन लोगों का नाम लिया है उसमें दिल्ली विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर, सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (CSDS, Delhi) की पूर्व शोधार्थी बेला भाटिया तथा बॉम्बे स्थित टाटा इस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की विजिटिंग प्रोफेसर के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं।

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (CSDS) वही संस्थान है, जो अभी-अभी लोकनीति और वामपंथी चैनल एबीपी न्यूज के साथ मिलकर देश का मूड दिखाते हुए धीरे-धीरे नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को कम करने एनडीए को कम सीटों की ओर बढ़ते हुए दिखाना शुरु किया है। चैनलों में सिर मुंडा कर बैठने वाला अभय दूबे इसी सीएसडीएस से जुड़ा है। इनका नाम अरविंद केजरीवाल के ‘आम आदमी पार्टी’ की एक कमेटी में भी आ चुका है। अरविंद केजरीवाल पर भी जो शहरी नक्सल होने का आरोप लगता रहा है।

पत्रकार पति और प्रोफेसर पत्नी, एक पर फेक न्यूज चलाने का आरोप, दूसरे पर वनवासी की हत्या का!

पोडियम पांडा ने कहा है कि वह तो सिर्फ इन लोगों के अलावा अन्य विचारकों और सुकमा गांव तक पहुंच बनाने वाले रमन्ना, हिडमा, पपाराओ आयटू, अर्जुन जैसे माओवादी नेताओं के बीच का संपर्क मात्र था। अपनी आदत के अनुसार नंदिनी सुंदर इस बार पांडा को पहचानने से या फिर उनसे बातचीत करने को लेकर इनकार भी नहीं कर सकती थी, क्योंकि उन्होंने पांडा की स्तुति में अपने पति के ‘द वायर’ वेबसाइट में एक आलेख लिखा है। मालूम हो कि नंदिनी सुदर फेक न्यूज प्रचारित और प्रसारित करने के कई सारे आरोपों में घिरे वामपंथी वेब पोर्टल ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की पत्नी हैं। नंदिनी सुंदर वही माओवादी विचारक हैं, जिन पर साल 2016 में सुकमा जिले के एक आदिवासी की हत्या करने का आरोप है। इतना ही नहीं उन पर और कई आरोप मसलन हिंसा के लिए उकसाने, माओवाद प्रभावित इलाके में रिचा केशव के फर्जी नाम पर यात्रा करने का भी आरोप है।

सोनिया गांधी का एनएसी और शहरी नक्सली!

उनकी सहयोगी रही बेला भाटिया माओवादी समर्थक रही हैं। अभी भी वह माओवाद प्रभावित बस्तर में ही रहती हैं। बेला भाटिया के पति जीन ड्रेजे बेल्जियम में पैदा हुआ भारतीय है। उनका संबंध रांची विश्वविद्यालय के साथ दिल्ली स्कूल इकोनॉमिक्स से भी है। ये वही जीन ड्रेज हैं जो यूपीए सरकार के दौरान बनी संविधानोत्तर संस्था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी रहे हैं। यह परिषद देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दरकिनार कर सीधे सोनिया गांधी के प्रति जवाबदेह थी और रिपोर्ट भी उन्हीं को करती थी।

उद्देश्य: हथियार के बल पर देश की चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकना

पोडियम पांडा ने इनलोगों पर जो आरोप लगाए हैं उसके अनुसार इतना तो तय है कि माओवादियों के साथ इन सबकी मिलीभगत अब आइने की तरह साफ हो गयी है। नामी विश्वविद्यालय और शोधार्थी होने के नाते इन लोगों पर सहज सवाल उठता है कि आखिर इन कट्टर माओवादियों से इनका किसलिए जुड़ाव है, जिसका उद्देश्य ही हथियार के बल पर देश की चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकना और सत्ता पर स्वयं काबिज होना है? वैसे शिक्षा की आड़ लेकर बैठे इन शहरी नक्सलियों का देश और उसकी चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश की पुष्टि तो साईबाबा की गिरफ्तारी के समय ही हो गयी थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को महाराष्ट्र कोर्ट ने प्रदेश सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने तथा माओवादियों को वैचारिक और सैन्य सहयोग करने का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साईबाबा के साथ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र हेम मिश्रा एवं चार अन्य को भी देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए दोषी पाते हुए अदालत ने सजा दी है।

मोदी सरकार आने के बाद कांग्रेस-कम्युनिस्ट नेटवर्क का होने लगा है खुलासा!

नैओम चौमस्की ने एक बार अपने लेक्चर में कहा था कि ‘बुद्धिजीवियों का इतिहास भी बुद्धिजीवियों ने ही लिखा है।’ इसलिए उस पर आंख मूंदकर विश्वास करना मूर्खता होगी। नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद इन बुद्धिजीवियों का काला चेहरा समाज के समक्ष सामने आने लगा है। पिछले 70 साल से यह लोग कांग्रेस के साथ मिलकर देश को दीमक की तरह चाट रहे थे, लेकिन चूंकि अब यह अवसर नहीं मिल रहा है, इसलिए यह शहरी नक्सली बौद्धिकता और पत्रकारिता की आड़ में देश में अराजकता फैलाने के मिशन में जुटे हुए हैं।

URL: Urban Naxal Modern India’s most cynical criminal

keywords: nandini sundar, bela bhatia, Podium Panda, Urban Naxals, Maoist, GN Saibaba, नंदिनी सुंदर, पोडियम पंडा, माओवादी विचारक, जीएन साईबाबा

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ISD News Network May 28, 2018
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