श्वेता पुरोहित। शुक्र 17 अक्टूबर 2023 को पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करने जा रहे हैं उसके पश्चात उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में 12 नवंबर 2023 तक रहने वाले हैं.
इस बीच 3 नवंबर से 30 नवंबर तक शुक्र अपनी नीच राशि (कन्या) में गोचर करेंगे. इसके फल स्वरूप शुक्र से संबंधित व्यक्तीयों, वस्तुओं और परिस्थितियां प्रभावित होंगी.
शुक्र का निम्नलिखित चीज़ों का कारक ग्रह है:
इसका परिणाम ये हो सकता है कि:
- देश वित्तीय संकट में पड़ सकते हैं. अर्थव्यवस्था खराब हो सकती है – खास तौर पर इस्राइल, अमेरिका, भारत. बैंक संकट में पड़ सकते हैं या डूब भी सकते हैं.
- व्यक्तियों के आपसी संबंधों में परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं अगर जरूरत से ज्यादा उम्मीद रखें तो
- देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्ते और सौदों और समझौतों में निराशा
- लोगों को बीमारियों से उबरने की क्षमता कम हो सकती है.
- स्त्रियों पर अत्याचार बढ़े सकता है. यौन उत्पीड़न के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है.
- फिल्म उद्योग में controversy हो सकती है
- स्कैम और घोटाले उजागर हो सकते हैं.
- शुक्र समृद्धि और प्रसन्नता का कारक है. वैश्विक स्तर पर लोगों की मनः स्थिति ठीक नहीं रहेगी क्योंकि इस समय विश्व में बहुत कुछ घटित हो रहा है.
- विश्व में तनाव बढ़ सकता है.
- खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है.
- प्राकृतिक आपदाओं के चलते बहुत से लोग बेघर हो सकते हैं.
शुक्र के इस गोचर के विषय में आचार्य वाराहमिहिर ये कहते हैं:
पूर्वोत्तर फाल्गुनी का फल :
भाग्ये शबरपुलिन्दप्रध्वंसकरोऽम्बुनिवहमोक्षाय ।
आर्यम्णे कुरुजाङ्गलपाञ्चालघ्नः सलिलदायी ।।
पूर्वा फाल्गुनी में शुक्र हो तो शबरों, भीलों, पुलिन्दों या वनवासियों, आदिवासियों को विशेष कष्ट होता है। तीव्र वर्षा होती है। उत्तरा फाल्गुनी में शुक्र रहे तो कुरु प्रदेश (कुरुक्षेत्र, हरियाण, दिल्ली वाला क्षेत्र) , जांगल (कम वर्षा वाले क्षेत्र) देशों व *पांचाल प्रदेश में कष्ट होता है। इस नक्षत्र में भी वर्षा होती ही है।
- पांचाल देश :
कनिंघम के मत से बरेली, बदायूँ, फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश का दोआबा पंचाल या पांचाल देश है। इसके पूर्व में गोमती नदी दक्षिण में चम्बल नदी थी। कुरु व मत्स्य इसके पड़ौसी राज्य थे। यह वर्तमान पंजाब नहीं है। बृहदारण्यक व छान्दोग्योपनिषत् के उल्लेखानुसार पंचाल देश के ब्राह्मणों ने दार्शनिक शास्त्रार्थ में भाग लिया था। पंतजलि के युग में उत्तर पांचाल व दक्षिण पांचाल ये दो भाग थे । अहिच्छत्र व काम्पिल्य इनकी राजधानियाँ थी। अहिच्छत्र बरेली के पास वाले रामनगर का पुराना नाम था । यहाँ से प्राप्त सिक्कों में किसी शासक का नाम वराहमिहिर लिखा है। यहाँ 34 बुर्जों वाला पुराना किला भी है। समुद्रगुप्त के प्रयाग वाले शिलालेख में वर्णित राजा अच्युत के भी सिक्के यहाँ मिले हैं।
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