एक हिंदू मां जिस ‘हरे टिड्डे’ को अपने बेटे समान समझती थी, उसी ने पहले उस मां की बेटी से दुष्कर्म किया, फिर उसके बेटे को भी मार डाला।
कुछ समय पूर्व दिल्ली के रिंकू ने जिस ‘हरे टिड्डे’ परिवार को अपना रक्त देकर बचाया, उसी ने उसकी पीठ में छूरा घोंप कर मार दिया। इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है! कश्मीर और बंगाल को ही याद कर लीजिए। याद रखिए एक दिन यह हर सेक्यूलर हिंदू के साथ होना तय है! वास्तव में जिन्हें अपने धर्म का ज्ञान नहीं है, उसका शत्रुबोध समाप्त हो जाता है। ऐसे में जब शत्रु घात करता है तो वह समझ ही नहीं पाता और मारा जाता है।
इसीलिए तो कहा गया है, धर्मो रक्षति रक्षितः! जब तक आप धर्म की रक्षा नहीं करेंगे, धर्म भी आपकी रक्षा नहीं करेगा। इसका तात्पर्य क्या है? क्या धर्म तलवार लेकर आएगा? नहीं? असल में धर्म आपको स्पष्ट दृष्टिकोण देता है। और यही दृष्टिकोण आपको सजग, सचेत, चैतन्य रखता है!
चैतन्य शिवाजी बार-बार शत्रु के वार से बच निकलते हैं, और वीर पृथ्वीराज बार-बार घात खाकर भी चैतन्य नहीं होते, फिर वीरगति को प्राप्त होते हैं। धर्मो रक्षति रक्षितः को जीवन में धारण कीजिए। यही असली धर्म है!