किसलिये तुझे चाहिये सत्ता,जब भला राष्ट्र का कर न पाओ
शाहीन बाग तक हटा न पाओ , रोड जाम रुकवा न पाओ ।
मंदिर पर सरकारी-कब्जा , उसको भी मुक्त करा न पाते ;
शिव-परिवार के मंदिर तोड़े , उन पर गलियारा बनवाते ।
गौरी-गजनी की परम्परा से , अब भी मंदिर तुड़वाते हो ;
कई सैकड़ा मंदिर टूटे , म्लेच्छों से तुड़वाते हो ।
सबके विश्वास का नारा देकर , विश्वासघात हिंदू से करते ;
हिंदू-शौर्य दबा कर रखा , झूठा-इतिहास पढ़ाया करते ।
स्टॉकहोम सिंड्रोम से पीड़ित , जेहादी से अब भी डरते ;
हिंदू – मंदिर को लूट- लूट कर , उनको जजिया देते रहते ।
हिंदू की धार्मिक – शिक्षा में , अब भी रोक लगा रखी है ;
हिंदू शिक्षण संस्थाओं में , सरकारी- रोक लगा रखी है ।
जेहाद पढ़ाने वालों को , हर तरह की सरकारी सुविधा ;
नमाज पढ़ाने वालों को भी , सरकारी वेतन की सुविधा ।
हिंदू – मंदिर की हुई दुर्दशा , कोई सरकार कभी न देखे ;
जगह-जगह कितने दंगे हैं ? इसको भी कोई न देखे ।
कानून व्यवस्था धूल धूसरित , कितना पक्षपात करते हो ?
भेदभाव है कदम-कदम पर,कितना अन्याय किया करते हो
क्या करेगा नोबेल प्राइज का ? जो भुनगों से डर जाता हो ;
कतर-कुवैत का जैसा भुनगा , तुझको आंख दिखाता हो ।
अपने पद की मर्यादा को , तुम तो कब का ही छोड़ चुके ;
अब भी क्यों चिपके हो पद से ? तेरे अच्छे दिन बीत चुके ।
सम्मान-सहित हो तेरी विदाई , क्या तू नहीं चाहता है ?
पार्टी भी मटियामेट करेगा , लगता है यही चाहता है ।
हिंदू अब गलती नहीं करेगा , अब नोटा हथियार चलेगा ;
वामी, कामी ,जिम्मी, सेक्युलर , जेहादी जीत न पायेगा ।
परम – साहसी , धर्मनिष्ठ , हिंदूवादी ही जीतेंगे ;
जहां नहीं ऐसे प्रत्याशी , वे चुनाव खारिज होंगे ।
मजबूरी है अब हिंदू की , कड़े फैसले लेने होंगे ;
नष्ट नहीं होना है हमको , अब हथियार उठाने होंगे ।
नोटा है ब्रह्मास्त्र हमारा , हर हाल में इसे चलाना है ;
हिंदू – धर्म बचाना है तो , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”