तूने सारी आशा तोड़ी , अब माफी के योग्य नहीं ;
कानून बनाकर वापस लेता , तू इस पद के योग्य नहीं ।
राष्ट्र से खुद को बड़ा समझना , पागलपन का दौरा है ;
राष्ट्र के कारण तेरी हस्ती , वरना तू तो कोरा है ।
बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा,वरना तू किस लायक था?
अंधों की इस राजनीति में , केवल काना – नायक था ।
महामूर्ख था अब – तक हिंदू , तेरे झांसे में आया ;
सोशल – मीडिया ज्ञान को लाया ,तेरा बुरा वक्त है आया ।
तेरे सारे झूठ उजागर , फुस्स हो गया आभामंडल ;
पार्टी का अब भला है इसमें , तेरे हाथों में हो कमंडल ।
बहुमत की निर्बल सरकार , राजनीति का चमत्कार ;
आने वाले चुनाव में होगा , तेरा पूरा बहिष्कार ।
तेरे पुण्य खत्म हुये सारे , अब तो पाप उदय होंगे ;
पार्टी तुझ से पल्ला झाड़े , वरना सब के सब डूबेंगे ।
सात – साल बर्बाद कर दिये , राष्ट्र का कोई काम नहीं ;
सच्चा – इतिहास पढ़ाने का , सबसे जरूरी काम नहीं ।
झूठा – इतिहास पढ़ाने वाले , सब के सब गद्दार हैं ;
हिंदू – धर्म के पक्के – दुश्मन , सब पक्के मक्कार हैं ।
हिंदू साजिश समझ चुका है , अब धोखा न खायेगा ;
हिंदू से छल करने वाला , सत्ता से हट जायेगा ।
विकल्पहीन अब नहीं है हिंदू , “एकजुट-जम्मू” आया है ;
“एकजुट- भारत” इसे बनाना , हिंदू-मन में भाया है ।
राष्ट्र – चेतना जाग चुकी है , हिंदू – राष्ट्र बनायेंगे ;
आतंकी , बर्बर लोगों से , भारत मुक्त करायेंगे ।
अब तक हिंदू धोखा खाया , अपने ही नेताओं से ;
गांधी से शुरुआत हुई थी , अंत आज के नेता से ।
गांधीवाद का उठे जनाजा , इसकी चिता सजाना है ;
गांधी के जितने चेले हैं , राजनीति से जाना है ।
गांधी सबसे बड़ा था ढोंगी , सबसे बड़ा मक्कार था ;
चरित्रहीन था हद दर्जे का , पूरा लम्पट, गद्दार था ।
चेला नंबर एक था नेहरू , अंतिम दाढ़ी वाला है ;
गांधीवाद मिटायें हिंदू , जो गुंडों का रखवाला है ।
गुंडागर्दी तभी हटेगी , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ;
ये सपना पूरा करने को, “एकजुट-भारत” लेकर आओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद” रचयिता:
ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”