संकट की आहट न सुनते , बहरे वे सब नेता हैं ;
गुंडागर्दी देख न पाते , अंधे वे सब नेता हैं ।
सही बात जो बोल न पाते , गूंगे वे सब नेता हैं ;
बात – बात पर रोते रहते , नेता नहीं अभिनेता हैं ।
हिंदू का दुर्भाग्य सदा से , अच्छे नेता कभी नहीं ;
धिम्मी , सेक्यूलरिस्ट ये नेता , राष्ट्रप्रेम है कहीं नहीं ।
कुर्सी तभी बचेगी उनकी , जब तक देश सुरक्षित है ;
इसीलिए सेना को वरीयता , कुर्सी तभी तो रक्षित है ।
जो भी अच्छे काम कर रहे , बस केवल मजबूरी है ;
राष्ट्र के हित से कुछ न मतलब , उससे रखते दूरी हैं ।
केवल मतलब है सत्ता से , दूजी कोई बात नहीं ;
वोट बैंक हर समय बनाते , जोड़-तोड़ के मार्ग यहीं ।
ज्यादातर हैं वामी – कामी , शत- प्रतिशत ये धिम्मी हैं ;
कमजोरी,भय डीएनए में,साहस,शौर्य की बहुत कमी है।
चरित्र न जाने कहां खो गया ? राष्ट्रवाद के दुश्मन हैं ;
सच्चा इतिहास कभी न जाना,इसी से सब दुर्बल मन हैं।
साहस,शौर्य तो तभी आयेगा,जब सच्चा इतिहास पढ़ेंगे ;
अभीतो झूठाइतिहास पढ़ा है,चरित्रका ये परिहास करेंगे।
अब न इनसे कोई आशा , राष्ट्र का कुछ न भला करेंगे ;
कुछदिन और जो सत्ता रहगयी,भले लोग हर जगह मरेंगे।
पूरा हिंदुस्तान बनेगा , केरल ,कश्मीर तथा बंगाल ;
सात साल बर्बाद कर दिये , राष्ट्र का देखो कैसा हाल ।
अब तो हर हिंदू ये सोचे , कैसे अब ये राष्ट्र बचेगा ?
एक नया दल लाना होगा , वरना हिंदू नहीं बचेगा ।
अभी तो जितने भी दल हैं , वे हैं सारे के सारे दलदल ;
बहुत जरूरी एक नया दल ,तब होगी मृतकों में हलचल ।
सबसे पहले नेता ढूंढो , परम – साहसी ,बुद्धिमान हो ;
कहीं भी कोई कमजोरी न हो,ऐसा ही वो चरित्रवान हो ।
चरित्रहीन जो नेता होते , ब्लैक-मेल गुंडे सब करते ;
ऐसे ही जो नेता होते , सदा वासनापूर्ति ही करते ।
हिंदू का सौभाग्य जगा है , सोशल मीडिया उदय हुआ है ;
सब कुछ साफ-साफ दिखता है,ज्ञान सूर्य का उदय हुआ है।
इस प्रकाश में नेता ढूंढो और नया दल लेकर आओ ;
धर्म – सनातन सदा रहेगा , देश को हिंदू -राष्ट्र बनाओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”