कैच आउट हो गया है नेता , मैच का सत्यानाश कर दिया ;
शाहीन-बाग की गुगली आई , रोड-जाम में लपक गया ।
इसके हाथ से बल्ला छीनो , नया खिलाड़ी ले आओ ;
वरना पारी की हार को झेलो और मैच से हट जाओ ।
कई खिलाड़ी अभी टीम में , फौरन उनको मौका दो ;
वरना टेस्ट – मैच से जाओ , नई- टीम को आने दो ।
ऊब चुके हैं सारे दर्शक , तूने ऐसा खेल बिगाड़ा ;
पहली ईनिंग ठीक-ठाक थी, दूसरी ईनिंग में काम बिगाड़ा ।
पहली में चौके- छक्के थे , अब तो केवल टुकटुक करता ;
एक -एक रन को तरस रहा है , पता नहीं तू क्या करता ?
इस ईनिंग में जीरो रन हैं , पूरा स्कोर ही चौपट है ;
अब तू फौरन पिच को छोड़ो , तेरा खेल तो चौपट है ।
अब भी तूने पिच न छोड़ी , तो दर्शक पिच खोदेंगे ;
धक्के मार-मार कर सारे , तुझको बाहर ले जायेंगे ।
अपना भला बुरा अब सोचो , अपनी जिद्द तू छोड़ दे ;
तेरे बूते नहीं जीतना , अब तू खेल को छोड़ दे ।
नया खिलाड़ी तेरी जगह पर , खेल की रीति यही होती है ;
आना – जाना लगा ही रहता , टीम – भावना होती है ।
टीम – भावना भूल गया तू , आउट भी न मान रहा ;
ये तो कोई खेल नहीं है , पूरा देश ये जान रहा ।
अब तू टीम से बाहर होगा , मैच तो छोटी बात है ;
अपने पांव में मारी कुल्हाड़ी , कितनी बुरी ये बात है ।
तेरे किये को तू ही भुगते , टीम का कोई रोल नहीं ;
गोल है केवल तेरा डिब्बा , टीम का डिब्बा गोल नहीं ।
पर तेरी ये जिद है जितनी , पूरी टीम पर भारी है ;
टीम भी अपने साथ डुबाये , ये तेरी तैयारी है ।
अब तो ऐसा लगने लगा है , तूने ले ली सुपारी है ;
पूरी टीम को ध्वस्त करने की ही , तेरी तैयारी है ।
अब तो केवल यही रास्ता , नई टीम ही लाना है ;
जिसमें कोई कमी नहीं हो , ऐसी टीम बनाना है ।
भरे पड़े हैं श्रेष्ठ खिलाड़ी , अब तो उन्हीं को मौका दो ;
सारे लतिहड़ बाहर फेंको , राष्ट्रभक्त को मौका दो ।
परम- साहसी ,चरित्रवान हो , टीम में ऐसा लीडर लाओ ;
दुश्मन से न खाये सुपारी , ऐसी पूरी टीम बनाओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”