विद्या, बुद्धि, चेतना, वाणी स्त्रिलिंग है, क्योंकि इनकी अधिष्ठात्री मां सरस्वती हैं। शास्त्र कहते हैं कि बिना विद्या, बुद्धि का विकास नहीं होता, और जब तक बुद्धि विकसित नहीं होती, चेतना जागृत नहीं होती, और जब तक मनुष्य चैतन्य नहीं है तब तक उसकी वाणी नहीं सधती।
अर्थात् मां शारदे के आशीष से ही मनुष्य, मनुष्य है। तो हे मां शारदा हम सभी सनातनियों के अंदर सही-गलत का बोध जागृत कीजिए। आप सभी को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की शुभकामनाएं।
वसंत पंचमी के ही के दिन महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी ने विद्या के सबसे बड़े संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय( #BHU) की भी स्थापना की थी, जहां का मैं विद्यार्थी हूं। इसकी भी बधाई। मां शारदे सभी का कल्याण करें।