धर्म का धंधा करता है
जो भी आता कुछ दिन रहता , पूर्ण-नपुंसक हो जाता ;
ऐसा मौसम है दिल्ली का, नेता-अफसर बधिया हो जाता ।
नर्क का द्वार इन्हे ही मानो , चरित्रहीनता – भ्रष्टाचार ;
पूरे देश को नर्क बनाया , कानून से होता बलात्कार ।
यहां नहीं कानून का शासन , देश में जंगलराज्य है ;
भ्रष्टाचार का पूर्ण – शिकंजा , पूरा चौपट – राज्य है ।
सौ में नब्बे हिंदू – नेता , कायर , भ्रष्ट , अधर्मी हैं ;
डीएनए उनसे मिलवाते , जोकि पूर्ण विधर्मी हैं ।
कायर की पहचान यही है , गांधी की भक्ति करना ;
हिंदू को धोखे में रखकर , उनकी गर्दन कटवाना ।
सौ बरस से यही कहानी , गांधी ने मोपला कराया ;
बाद में पाकिस्तान बनाकर , लाखों-हिंदू को मरवाया ।
अब गांधी का चेला आया , गांधी के कार्य को पूर्ण करेगा ;
सारे – मंदिर तुड़वा- तुड़वाकर , गलियारा बनवा देगा ।
उसका कहना पचास बरस को , मंदिर और मूर्तियां छोड़ो ;
इसमें छुपा हुआ एजेंडा , हिंदू अपने धर्म को छोड़ो ।
कायर – कमजोर – नपुंसक नेता , गुंडा गिरोह से डरता है ;
पर हिंदू – मंदिर तोड़ – तोड़के , बड़ा बहादुर बनता है ।
गलियारा- होटल -शौचालय , मंदिर की जगह बनाता है ;
हिंदू – संस्कृति भ्रष्ट कर रहा , धर्म का धंधा करता है ।
इसकी गंगा – मैया कैसी ? भ्रष्टाचार की गंगा है ;
हिंदू ! इसको ठीक से समझो , पूरा – पूरा नंगा है ।
अगला चुनाव निश्चित हारेगा ,भली-भांति ये जान चुका है ;
इसी से तेजी बरत रहा है,”गंगा-विलास” भी उतर चुका है ।
सारी पवित्रता गंगा जी की ,”गंगा-गिलास” में स्वाहा होगी ;
इसी तरह से जगह-जगह पर , हिंदू-संस्कृति विकृत होगी ।
हिंदू ! बुद्धि खोल कर देखो , अपना विध्वंसक पहचानो ;
साधु वेश में तिलक लगाये , रावण-कालनेमि को जानो ।
मौत की खाई सामने तेरे , पर अब भी तू बच सकता है ;
अपने सारे भय को त्यागो , तभी ठीक से लड़ सकता है ।
रामायण – गीता – महाभारत , पढ़ना और समझना है ;
शस्त्र-शास्त्र का पूर्ण-प्रशिक्षण , हिंदू-धर्म बचाना है ।
अपने बीच से कट्टर-हिंदू , आगे लाकर चुनाव लड़ाओ ;
कट्टर-हिंदू सरकार बनाकर, देश को “हिंदू-राष्ट्र” बनाओ ।