संदीप-देव हैं श्रेष्ठ जौहरी
सुप्रीम-कोर्ट में भेद खुल गया, अब्बासी-हिंदू का काला-धंधा ;
हिंदू-जनता को लूट रहा था , चुनाव-बॉण्ड का गंदा-धंधा ।
इसी तरह से बात-बात पर , हिंदू – जनता लुटती है ;
धर्महीन – सरकारी – गुंडे , उनके हाथों पिटती है ।
बात-बात पर टैक्स-वसूली , आधे से ज्यादा वेतन जाता ;
कोल्हू का बैल बना है हिंदू ! फिर भी उसी को पीटा जाता
इनकम – टैक्स इन्हीं के पीछे और ईडी धमकाती है ;
अब्बासी-हिंदू की अय्याशी , इसी की दम पर चलती है ।
दुनिया – भर में घूम – घूम कर , ये अय्याशी करता है ;
अब्राहमिकों के फेंके टुकड़े , दोनों – हाथ लपकता है ।
पुरस्कार की गंदी – लानत , काले – धन का खेल है ;
हिंदू – धर्म मिटा देने का , दोनों का घालमेल है ।
अब्राहमिकों का अब्बासी – हिंदू से , गठबंधन नापाक है ;
गजवायेहिंद करा देने का , इनका मंसूबा साफ है ।
पर हिंदू – जनता मूर्ख बनी है , इसको अपना नेता माना
अब्बासी – हिंदू को नेता माने , जिसने धर्म नहीं जाना ।
धर्म का क ख ग न जाने , हिंदू – शास्त्रों को न माने ;
भगवान राम का मान घटाया , खुद को ही ईश्वर माने ।
दुनिया का सबसे घृणित-जीव है , भारत का अब्बासी-हिंदू ;
दुनिया के सबसे-मूर्ख जीव हैं , भारत के अधिसंख्यक-हिंदू ।
क्योंकि धर्माचार्य भ्रष्ट हैं , चरित्रहीन मक्कार हैं ;
नब्बे – प्रतिशत हिंदू – बाबा , अब्बासी – हिंदू के ऐयार हैं ।
धर्म को बेचा करते हैं ये , हिंदू को ठगने का काम है ;
सरकारी – डॉलर – दीनारी , जेहादी के गुलाम हैं ।
धर्म का सत्यानाश कर रहे , अब्बासी-हिंदू का इशारा है ;
सच्चे – गुरु को भटक रहा है , हिंदू ! कितना बेचारा है ?
सच्चे – धर्माचार्य बहुत – कम , कई – करोड़ों में विरले ;
हीरों की संख्या दुर्लभ होती , जगह-जगह कंकड़ निकले ।
हिंदू ! कंकड़ – पत्थर फेंको , असली – हीरा पहचानो ;
“संदीप-देव” हैं श्रेष्ठ – जौहरी , उनसे असली – हीरे जानो ।
अब्बासी-हिंदू को त्यागना होगा , हिंदू-सरकार बनाना होगा ;
कंकड़ – पत्थर तभी हटेंगे , धर्म – सनातन लाना होगा
चारों शंकराचार्य हमारे , धर्म – सनातन के रक्षक हैं ;
“एकम् सनातन भारत” दल लाओ , भारतवर्ष का रक्षक है