राम-मंदिर का मान घट रहा
जुमलेबाजी व लफ्फाजी , हिंदू ! इसमें फंस जाता है ;
अब्बासी – हिंदू को नेता चुनकर , अपना गला कटाता है ।
अब्बासी – हिंदू कलंक देश का , धर्म का ये अभिशाप है ;
भ्रष्टाचार है , अनाचार है , इसमें सारे पाप हैं ।
ऊपर से नीचे तक झूठा , कालनेमि का बाप है ;
हिंदू ! इसको दूध पिलाता , आस्तीन का सांप है ।
लगातार डंस रहा धर्म को , कितने मंदिर तुड़वा डाले ?
तीर्थ – स्थलों का ध्वंस कर रहा , गलियारे बनवा डाले ।
किस कदर मूर्ख हिंदू बनता है ? इसमें भी ताली बजा रहा है ;
राम – मंदिर का मान घट रहा , फिर भी थाली बजा रहा है ।
सुप्रीम-कोर्ट ने मुक्त कराया , उसका कोई नाम न लेता ;
जबरन इसका श्रेय लूटता , अब्बासी – हिंदू जो नेता ।
सदा से हिंदू ! गलती करता , अपने शत्रु को मित्र समझता ;
उसको हृदय-सम्राट बनाता , हिंदू को मटियामेट जो करता ।
हिंदू के चारों ओर है खतरा , फिर भी हिंदू अनजान बन रहा ;
मुर्गी मानसिकता छोड़नी होगी,तेरे विनाश का खेल चल रहा ।
हिंदू-विनाश का खेल चल रहा ,अब्बासी-हिंदू चतुर खिलाड़ी ;
तेरा बनकर तुझे मारता , इस खेल में हिंदू महा-अनाड़ी ।
अलतकिया का यही खेल है , हर स्तर पर धोखेबाजी ;
हिंदू ! इसमें रहा फिसड्डी , सदा ही हारी जीती बाजी ।
अब हिंदू को समझना होगा , अलतकिया का पूरा खेल ;
दुश्मन की हर चाल को समझो , तब हिंदू जीतेगा खेल ।
प्रथम नियम ढोंगी से बचना , उसका अंतर्मन पहचानो ;
वेश-विन्यास को महत्व न देना,उसके मन की बात को जानो ।
ढोंगी-नेता की मन की बातें , शत – प्रतिशत है धोखेबाजी ;
बहुत बड़ा लफ्फाज ये नेता , हरदम करता जुमलेबाजी ।
देश – भक्ति संदिग्ध है इसकी , अब्राहमिक – एजेंट है ;
हिंदू – धर्म मिटा देने का , उद्देश्य यही अर्जेंट है ।
जिसको भी तुम नेता मानो , उसके जीवन-चरित्र को जानो ;
नेता बनने से पहले क्या था ? सारे क्रियाकलाप को जानो ।
ठोंक बजाकर नेता चुनना , इसी तरह से गुरु बनाना ;
जितने भी हैं ढोंगी – बाबा और ढोंगी – नेता से बचना।
इसी तरह से दल भी चुनना , चरित्रवान हों जिसके नेता ;
“राम-राज्य” लाने के व्रत को, “एकम् सनातन भारत” है लेता ।