कांटे से कांटा है निकलता , जहर जहर से मरता है ;
हिंसा से हिंसा निपटाओ , अमन उसी से आता है ।
एक आंख जो तेरी फोड़े , तुरंत ही उसकी दोनों फोड़ो ;
एक गाल में थप्पड़ मारे , पूरा जबड़ा उसका तोड़ो ।
सीधी सच्ची बात यही है , गांधी ने उल्टी बतलायी ;
हिंदू- धर्म का पक्का दुश्मन , हिंदू- धर्म की बाट लगायी ।
वामी , कामी , धिम्मी नेता , अभी भी गांधी पूज रहे ;
गांधीवाद की ओट को लेकर , अपनी कायरता छुपा रहे ।
गांधी की अहिंसा झूठी , वो तो केवल कायर था ;
अमर हो गया अपना ऊधम , संहारा जनरल डायर था ।
चीन के खूनी पंजे तोड़े , डोकलाम को याद करो ;
हिंसा सदा मिसाइल करती, अब्दुल कलाम को याद करो ।
सदा राष्ट्र की लाज बचायी , वो ताकत तो हिंसा है ;
पाकिस्तान बने भारत में , ये गांधी की अहिंसा है ।
भारत को आजाद कराया , वीर -सुभाष की हिंसा ने ;
अंग्रेजों की जान बचायी , गांधी की अहिंसा ने ।
रोड जाम खुलवा न पाते , कैसी ये अहिंसा है ?
पूरे देश में हिंदू मर रहे , ये कायर की अहिंसा है ।
क्रोध और हिंसा से होता , गुंडों का संहार है ;
धिम्मी और नपुंसक नेता , करता गुंडों से प्यार है ।
भारत का दुर्भाग्य रहा है , सत्ता- लोभी , धिम्मी- नेता ;
राष्ट्र -विरोधी ,धर्म- विरोधी , भारत का धिम्मी-नेता ।
चरित्रहीन , कायर नेता को , क्रोध कभी न आता है ;
उसकी डरपोक अहिंसा को , केवल रोना आता है ।
सेक्युलरिज्म के इंद्रजाल से , सारे हिंदू बाहर आयें ;
चाहे कामकाज सब छूटे , देश को हिंदू -राष्ट्र बनायें ।
सारे हिंदू करें समर्थन , एक नया हिंदू – दल लायें ;
“एकजुट- जम्मू” उदय हो चुका , पूरे भारत में अब लायें ।
दो हजार चौबीस चुनाव में , हिंदू अपनी मंजिल पायें ;
“एकजुट जम्मू” “एकजुट हिंदू” “एकजुट भारत” राष्ट्र बनायें
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”