विपुल रेगे। संदीप रेड्डी वांगा की ‘एनिमल’ रक्त से सराबोर एक्शन-ड्रामा फिल्म है। दक्षिण के इस फिल्म निर्देशक ने अति हिंसा दिखाने वाली ‘थाई फिल्मों’ की तरह ‘एनिमल’ को प्रस्तुत किया है। यूँ तो बॉक्स ऑफिस हर सप्ताह खून से लाल रहता है लेकिन ‘एनिमल’ ने तो खून की नदियां बहा दी है। ये बहुत ‘खूनी’ है तो बहुत ‘खुली’ भी है। ये बेलाग है और बेशर्म भी है। सेंसर बोर्ड ने इसे ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया है। सौ करोड़ से बनी ‘एनिमल’ बॉक्स ऑफिस पर सफल होने की पूरी संभावना रखती है।
फ़िल्में मनोरंजन के लिए बनाई जाती हैं लेकिन फिल्म निर्माताओं का समाज के प्रति एक सामाजिक सरोकार भी होता है। एक सीमारेखा होती है, जिसे पार नहीं किया जाना चाहिए। संदीप रेड्डी वांगा वैसे भी हदों को पार करने के लिए जाने जाते हैं और इस बार उन्होंने इसे हिंसक ढंग से दोहराया है। स्कूल में पढ़ाई करने वाला विजय एक अरबपति बिजनेसमैन का बेटा है। पिता की अत्यंत कठोरता के कारण वह साइको हो गया है। विजय अपने पिता बलबीर सिंह से बहुत प्यार करता है। एक दिन उसके पिता पर कोई अज्ञात व्यक्ति गोली चलाता है। बलबीर सिंह इस हमले में बाल-बाल बचता है। ये खबर जानकर विजय विदेश से वापस अपने घर आता है। अब विजय का लक्ष्य पिता पर हमला करने वाले को खोज निकालना है।
इस एक्शन ड्रामा फिल्म की कहानी ‘लार्जर देन लाइफ है’ लेकिन इसका स्क्रीनप्ले अच्छा है और कैरेक्टर्स के व्यक्तित्व को उभारने में सफल रहता है। फिल्म की सबसे अच्छी बात कैरेक्टर बिल्डिंग और कलाकारों का अभिनय है। इस स्क्रीनप्ले पर कम खून-खराबे के साथ भी अच्छी फिल्म बनाई जा सकती थी। इस अत्यधिक रक्तरंजित फिल्म को परिवार वाले दर्शक नहीं मिलेंगे। इसके अलावा कुछ आपत्तिजनक दृश्य भी हैं। बहुत हिंसा वाले दृश्यों के चलते फिल्म को वयस्क श्रेणी का प्रमाणपत्र दिया गया है।
रणबीर कपूर अपने किरदारों की गहराई में जाते हैं। वे फिल्म दर फिल्म निखरते चले जा रहे हैं। रणबीर के प्रशंसकों को ये फिल्म निश्चित ही बहुत पसंद आएगी। रणबीर के हिस्से बहुत अच्छे दृश्य आए हैं। उन्हें अभिनय दिखाने के लिए खुला मैदान दिया गया, साथ ही उनके एक्शन दृश्यों पर बहुत मेहनत की गई है। एनिमल में एक 500 किलो वज़नी ‘वॉर मशीन’ का प्रयोग किया गया है। ये ‘वॉर मशीन’ फेक है लेकिन परदे पर बहुत वास्तविक महसूस होती है। ‘वॉर मशीन’ वाला सीक्वेंस पूर्णतः मनोरंजक और रोमांचक है। निर्देशक ने युवा दर्शकों को टारगेट किया है और उनका निशाना सटीक लगता दिखाई दे रहा है।
अनिल कपूर, रश्मिका मंदाना, बॉबी देओल, शक्ति कपूर, प्रेम चोपड़ा, सुरेश ओबेराय ने श्रेष्ठ अभिनय दिखाया है। बॉबी देओल का अभिनय प्रशंसनीय है लेकिन उनका किरदार बहुत वीभत्स बनाया गया है। ‘एनिमल’ कुछ पार्ट्स में अच्छी है और कुछ में बहुत बुरी। अभिनय इस फिल्म का सबसे सशक्त पक्ष है। रणबीर युवाओं में बहुत लोकप्रिय हैं और इसका लाभ निर्माता को मिलता दिख रहा है। अब बात आती है, फिल्म के समग्र प्रभाव की।
‘एनिमल’ दर्शक को कुछ मनोरंजक लम्हों के सिवा कुछ नहीं देती। इस रक्तरंजित कथा में से वह अपने घर कुछ नहीं ले जा सकता। यदि आप अत्यधिक रक्तपात सहन कर सकते हैं और रणबीर कपूर के फैन हैं तो इस सप्ताहांत को खून-झार बना सकते हैं। संदीप रेड्डी वांगा अब हिंसक फिल्मों में उच्चकांक को छू चुके हैं। सच कहे तो ‘एनिमल’ जैसी फिल्मों को अवॉइड किया जाना भारतीय समाज के लिए एक श्रेष्ठ विकल्प होना चाहिए।