ओटीटी मंच : ZEE 5
विपुल रेगे। बॉब बिस्वास एक कॉन्ट्रेक्ट किलर है। बॉब का किरदार विद्या बालन की फिल्म ‘कहानी’ में पहले भी नज़र आया था। सुजॉय घोष की ‘कहानी’ में बॉब का किरदार निभाने वाले शाश्वत चटर्जी को अभिषेक बच्चन का अभिनय कुछ खास पसंद नहीं आया है। हालाँकि बॉब का किरदार और उसका गेटअप सुजॉय घोष की फिल्म में भी एक अंग्रेज़ी फिल्म से उठाया गया है। कहा जा सकता है कि ‘Smokin’ Aces’ का किरदार ‘लेज़लो सूट’ हॉलीवुड सिनेमा से होते हुए हिन्दी फिल्मों की पटकथा तक पहुंचा है। ये सच में बड़ा ही सशक्त किरदार है। वह भाड़े पर लोगों को मारने वाला हत्यारा है। वह भावहीन है। ट्रिगर पर कसी उसकी उँगलियाँ एक पल को भी नहीं कांपती है।
दीया अन्नपूर्णा घोष ने ‘बॉब बिस्वास’ को निर्देशित किया है। ये एक ऐसे व्यक्ति ‘बॉब’ की कथा है जो कई वर्षों बाद कोमा से बाहर आया है। वह अपने और अपने परिवार के बारे में सब कुछ भूल चुका है। जब बॉब स्वस्थ होकर काम पर जाना शुरु करता है तो उसे दो पुलिसवाले अपने साथ ले जाते हैं और लोगों को मारने का काम देते हैं। बॉब को देर से याद आता है कि वह एक कॉन्ट्रेक्ट किलर है।
वह ये भी भूल चुका है कि उसने जो पैसा लोगों को मारकर कमाया था, वह उसने कहाँ छुपा दिया है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, इसके रहस्यों के पेंच दर्शक को इन्वॉल्व कर लेते हैं। ये फिल्म अंत तक रहस्यों के आवरण में घिरी रहती है। इसे मैं एक मुकम्मल फिल्म मान लेता, यदि अभिषेक बच्चन को मुख्य किरदार में नहीं लिया जाता। इस अचूक फिल्म की एक ही चूक है और वह है अभिषेक बच्चन का मैन लीड में होना।
इस बात में किसी को संदेह नहीं है कि अभिषेक बच्चन कहानी फिल्म में निभाए बॉब के किरदार को कभी छू नहीं सकते थे और न शाश्वत चटर्जी के अभिनय के स्तर को पार कर सकते थे। वे उतने जटिल अभिनेता नहीं हैं और न किरदार में उन्हें घुसना आता है। ये इतना कठिन किरदार था कि इसके साथ शाश्वत चटर्जी ही न्याय कर सकते थे। हालाँकि निर्देशक ने अभिषेक बच्चन से अपने लायक काम तो निकलवा ही लिया है।
बॉब के किरदार को वें नई ऊंचाई पर ले जा सकते थे किन्तु यहाँ ये भी देखना आवश्यक है कि किरदार की गहराइयों में जाने की उनकी समझ उनके पिता अमिताभ बच्चन जैसी नहीं है। यहाँ फिल्म के अन्य किरदारों का उल्लेख करना आवश्यक होगा। चित्रांगदा सिंह, दीप्ति प्रिया रॉय, टीना देसाई, मनीष वर्मा, पूरब कोहली ने बहुत ही स्वाभाविक अभिनय दिखाया है।
अभिषेक बच्चन की कमी को बेहतरीन निर्देशन और अन्य कलाकारों का काम भर देता है। ये एक खूनी सस्पेंस थ्रिलर है। इसमें अधिक रक्तपात है इसलिए ये बच्चों के लिए नहीं है। इसे वयस्क दर्शकों को ही देखना चाहिए। जब-जब अभिषेक बच्चन को ऐसे चुनौतीपूर्ण किरदार मिलते हैं तो आशा रहती है कि वे बिग बी की वटवृक्ष वाली छांव से मुक्त हो जाएंगे किन्तु हर बार वे हमें गलत सिद्ध करते हैं।