बहुत बड़ा ये यक्ष-प्रश्न है , कोई इसका हल बतलाये ;
सर्वश्रेष्ठ है धर्म – सनातन , फिर क्यों इतने मजहब आये ?
इसी से सारे सेक्युलर आये , वामी , कामी , जिम्मी आये ;
सरकारी – हिंदू भी आये और अब्बासी – हिंदू आये ।
सरकारी – अब्बासी हिंदू , क्यों इतने मक्कार हैं ?
हिंदू – धर्म को धोखा देते , क्यों इतने गद्दार हैं ?
इसका कारण हमें ढूंढना और निवारण करना है ;
इसका कारण धर्म से दूरी , भ्रष्टाचार का बढ़ना है ।
धर्म – सनातन की मर्यादा , चरित्रहीन इससे डरता है ;
मजहब में उन्मुक्त – वासना , चरित्रहीन को भाता है ।
इसी वजह से हिंदू – नेता , अब्बासी – हिंदू बन बैठे ;
बाकी भी मैला को खाने , सरकारी – हिंदू बन बैठे ।
कैसे इतना लोभ आ गया ? कैसे इतना नीचे गिर गये ?
पावन गंगा – जल को छोड़ा , गंदी – नाली में घुस गये ।
सनातनी जितने भी हिंदू , उन सबका दायित्व है ;
धर्म – सनातन हमें बचाना , सबसे पहला कर्तव्य है ।
सबसे पहले चुनाव को जीतो , हिंदू-वादी सरकार बनाओ ;
वामी,कामी,जिम्मी,सेक्युलर, चुन-चुन कर ये सभी हटाओ ।
हर चुनाव में केवल , हिंदू-वादी प्रत्याशी को जितवाओ ;
दल कोई हो या निर्दलीय हो , केवल हिंदू-वादी लाओ ।
यदि ऐसा प्रत्याशी न हो , तब हर हाल में नोटा करना ;
होकर निराश तुम घर न बैठना , बूथ में जाना नोटा करना ।
या तो हिंदू-वादी जीते , या चुनाव रद्द नोटा से कराना ;
चाहे जितने चुनाव रद्द हों , इस पर ध्यान कभी न देना ।
सौ – पचास जो भी जीतेंगे , मिली – जुली सरकार बनेगी ;
अब तक की सर्वोत्तम होगी , हिंदू-वादी सरकार बनेगी ।
धर्म – सनातन छा जायेगा , गुंडा सही राह आयेगा ;
गुंडो को माई – बाप बनाता , अब्बासी – हिंदू जायेगा ।
जितने भी अब्बासी – हिंदू , जिम्मी और सेक्युलर हैं ;
सब के सब वापस लौटेंगे , वरना जेल सेल्युलर है ।
हर – पापी का होगा फैसला , कानून का शासन आयेगा ;
भारत हिंदू – राष्ट्र बनेगा , पाप का काम-तमाम करेगा ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”