केंद्रीय कायर सरकार ,बन गयी है गुंडों की पोर्टर ;
चाहे हो शाहीन- बाग या फिर हो दिल्ली का बॉर्डर ।
राष्ट्र – विरोधी भारत- राज्य है , कितना है ये शर्मनाक ?
राष्ट्र ने इनको दिया है सब कुछ, फिरभी ये कटवाते नाक ।
आजादी बन गया है अवसर , राष्ट्र- विरोधी तत्वों का ;
इनके लिये है अमृत – महोत्सव , राष्ट्र की बर्बादी का ।
पता नहीं क्या इनके मन में ? अब क्या ये कर गुजरेंगे ?
हिंदू यूं ही सोया रहा तो , राष्ट्र तोड़कर मानेंगे ।
पूरे कुयें में भंग घुली है , कोई नहीं है होश में ;
पूरा आबा खाक हो गया , कोई नहीं है जोश में ।
कितना घटिया इनका जीवन , मुर्दे से भी बदतर है ;
छोटा देश है इजरायल , लेकिन कई गुना बेहतर है ।
कुछ तो सीखो राणा प्रताप से , वीर शिवा से फूकन से ;
राष्ट्र धर्म से क्या कुछ अच्छा ? पूछो अब सच्चे मन से ।
अपनी आत्मा से ही पूछो ,क्या तुम सही राह पर हो ?
राष्ट्र ने तुम पर किया भरोसा , इस पर खरे क्या उतरे हो ?
अब लौं नसानी अब न नसाओ,राष्ट्र का भी कुछ काम करो;
बहुत किया है फैशन तुमने , अब न समय बर्बाद करो ।
एक-एक क्षण कीमती तेरा , दो-तीन वर्ष ही बाकी है ;
केवल राष्ट्र के काम करो अब , जो कि सारे बाकी है ।
फौरन अल्पसंख्यकवाद मिटाओ , तुष्टीकरण को बंद करो ;
हिंदू का जितना भी पैसा , गुंडों को देना बंद करो ।
मंदिर के धन को मत लूटो ,सरकारी नियंत्रण से मुक्त करो ;
अतिक्रमण जितने हैं देश में , उन सबका विध्वंस करो ।
अब – तक जितने मंदिर टूटे , उन सबका उद्धार करो ;
राष्ट्र का पौरुष जागृत कर दो , झूठे इतिहास को दूर करो ।
पूरे देश में सभी की रक्षा , अत्याचार को दूर करो ;
राष्ट्र – विरोधी जो सरकारें , उन सबको अब भंग करो ।
पूरी तरह से निर्भय होकर , राष्ट्र के सारे कार्य करो ;
सौ करोड़ हिंदू तेरे पीछे , राष्ट्र का हर कल्याण करो ।
बहुसंख्यक का दोयम – दर्जा , इसको तत्काल हटाना है ;
संविधान – संशोधन कर दो या फिर नया बनाना है ।
कुछ भी करने से पहले , बस केवल राष्ट्र का हित देखो ;
राष्ट्र विरोधी प्रतीक हटाओ , कुछ न आगा पीछा देखो ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:बृजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”