नेता और पुलिस है कायर , ओतप्रोत है भ्रष्टाचार ;
आतंकवाद फल फूल रहा है , जगह जगह है अत्याचार ।
आतंकवाद की जड़ है भारत , जगह-जगह उसके स्कूल ;
महामूर्ख अपनी सरकारें , करती अनुदानों की भूल ।
दुनिया भर से मिट सकता है ,पर भारत में ये बना रहेगा ;
जब तक भ्रष्टाचार रहेगा , कायरता की ओट रहेगा ।
कायरता बढ़ती जाती है ,आतंकवाद भी बढ़ता जाता ;
डीएनए तुम एक कर रहे, उनका साहस बढ़ता जाता ।
राष्ट्र डुबोती ये कायरता , धर्म नहीं बच पायेगा ;
दुर्बलता इस कदर है हावी , हिंदू न बच पायेगा ।
झूठे इतिहास को पढ़ते-पढ़ते ,नब्बे प्रतिशत कमजोर हुये;
बचे खुचे माया में फंसकर , धर्म से बिल्कुल दूर हुये ।
बड़ी भयंकर स्थिति आई , इसको अब फौरन रोको ;
कमर को कस लो सारे हिंदू , इस बर्बादी को रोको ।
धर्म -युद्ध की हर तैयारी , हर हिंदू को करना है ;
करो-मरो की स्थिति आई , करना है या मरना है ।
राम व कृष्ण को याद करो , कैसे राक्षस बध करना है ?
दृढ निश्चय से बढ़ते जाओ , तुमको ही विजयी होना है ।
त्याग करो हर कमजोरी का ,भ्रष्टाचार न करना है ;
तुमको जो भी दुर्बल करता ,ऐसे हर विष से बचना है ।
आपस का संपर्क बढ़ाओ , नियमित बैठक रोज करो ;
हिंदू की आवाज एक हो , कभी किसी से नहीं डरो ।
तुमको जो डरवाया करते , अंदर से कितने दुर्बल ;
अंदर से वे एकदम खाली , केवल भीड़तंत्र का बल ।
शेर अकेला सौ कुत्ते घेरे , शेर को भी मरना पड़ता ;
अलग-थलग तुम रहते आये , इसीलिये दबना पड़ता ।
अब दबने का काम नहीं है , आपस का संपर्क बढ़ाओ ;
हिंदू -शक्ति इकट्ठा करके , देश को हिंदू- राष्ट्र बनाओ ।
अब तो अंतिम यही रास्ता ,इसीसे अपना धर्म बचाओ ;
अभी नहीं तो कभी नहीं है , ऐसा मौका फिर न पाओ ।
गर्म हो चुका पूरा लोहा , अब तो पूरी चोट करो ;
मनचाहा फल मिल सकता है ,शत-प्रतिशत तुम वोट करो ।
पर इससे पहले हिंदू हित का , एक नया दल लेकर आओ ;
देश को हिंदू- राष्ट्र बनाकर , सारा वैभव वापस पाओ ।
जय हिंद- वंदे मातरम।
रचयिता-बृजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”