बॉलीवुड व अब्बासी – हिंदू , सबसे बड़े धर्म के दुश्मन ;
हिंदू – धर्म के यही शत्रु हैं , इनका गंदा तन, मन, धन ।
इनका पूरा बहिष्कार हो , हिंदू इसमें चूक न करना ;
किसी तरह से अबतक जीवित,इनसे तुमको मृत्यु ही पाना।
दिशा-सुशांत का बलिदान अमर हो,हिंदू इनको भूलन जाना
अब तो और परिस्थिति बिगड़ी, मुश्किल है हिंदू बच पाना ।
अब तो हिंदू तभी बचेगा , कहीं न हो अब्बासी – हिंदू ;
राजनीति से इन्हें फेंक कर , सरकार बनाओ कट्टर – हिंदू ।
धर्म-सनातन हिंदू-रक्षक , इसकी शरण में सारे आओ ;
कट्टर-हिंदू सरकार बनाकर , देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ।
सारे दल हैं धर्म के भक्षक , हिंदू – धर्म मिटा देंगे ;
अपनी – अपनी स्वार्थ पूर्ति में , ये हिंदू मरवा देंगे ।
पूरे देश में गले कट रहे , कोई नहीं बोलता है ;
हिंदू अपनी रक्षा करना , धर्म यही बतलाता है ।
शस्त्र-शास्त्र का पूर्ण-प्रशिक्षण,घर-घर में हो धर्म की शिक्षा ;
रामायण , गीता , महाभारत , युद्धनीति की पूरी शिक्षा ।
जब से युद्धनीति तुम भूले , गंदी – राजनीति में आये ;
अब्बासी – हिंदू से नेता , हिंदू – हृदय – सम्राट बनाये ।
इसी से तुमको मरना ही है , एक-एक मारे जाओगे ;
अब्बासी – हिंदू चेला गांधी का , कैसे तुम बच पाओगे ?
गांधी ने संहार कराये , कई लाख हिंदू मरवाये ;
चेला गुरु से बढ़कर है , ये तो पूरा धर्म मिटाये ।
बहुत बड़ा शातिर नेता है , नाटक – नौटंकी में माहिर है ;
हिंदू फंसा जाल में इसके , साफ-साफ जगजाहिर है ।
जब तक धर्म से दूर रहोगे , हिंदू यूं ही फंसे रहोगे ;
कोई नहीं बचाने वाला , गला कटाके मरा करोगे ।
विकल्पहीन खुद को मत मानो, “नोटा” है ब्रह्मास्त्र तुम्हारा ;
सारे दल हैं धर्म के दुश्मन , इन सबसे अब करो किनारा ।
आगामी जितने चुनाव हैं , केवल कट्टर – हिंदू चुनना ;
किसी भी दल का या निर्दल हो, केवल वोट उसी को देना ।
जहां न हो ऐसा प्रत्याशी , सारे मिलकर “नोटा” करना ;
हिंदू कर लो ये दृढ निश्चय , अब्बासी-हिंदू न जीतने देना ।
जो भी जीतेंगे कट्टर-हिंदू, तय है उनकी सरकार का बनना ;
हिंदू – राष्ट्र बनेगा भारत , तब ही हिंदू – जीवन का बचना ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”