निष्पक्ष चुनाव कैसे हो सुनिश्चित ? सुप्रीम कोर्ट संज्ञान करे ;
ई वी एम में गड़बड़झाला , मत पत्रों पर ध्यान करे ।
“एकम् सनातन भारत” दल ही , इसमें भी अब पहल करे ;
संदीप देव व अंकुर शर्मा , जनहित याचिका से दखल करें ।
भारत का लोकतंत्र खतरे में , चौकीदार ही चोर है ;
रक्षक ही हो गया है भक्षक , पूरे भारत में शोर है ।
अंतिम आशा न्यायपालिका , ये ही देश बचायेगी ;
व्यवस्थापिका कार्यपालिका , दोनों निष्फल हो जायेंगी ।
निहित स्वार्थ जब सर चढ़ जाता , बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है ;
अब्राहमिक – साजिश ऊपर से , नंगा – नाच कराती है ।
कितने गिरे हुये नेता हैं ? पौराणिक – मंदिर तुड़वाते ;
तीर्थ स्थल को भ्रष्ट कर रहे , म्लेच्छों को अंदर घुसवाते ।
अब्राहमिक – ग्लोबल एजेंडा , भारत – वर्ष तोड़ने का ;
पहले पाकिस्तान बनाया , अब पूरा देश मिटाने का ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , साजिश है तुम्हें मिटाने की ;
देशभक्त सरकार जरूरी , इसी बार है लाने की ।
मर्दों से ही गुंडे डरते , नामर्दों से कोई न डरता ;
कायर ,कमजोर ,नपुंसक नेता , वो तो केवल रोता रहता ।
वो तो केवल कठपुतली है , भारत के दुश्मन देशों की ;
भारत का दुर्भाग्य यही है और ये किस्मत दुश्मन की ।
भारत के दुश्मन ये चाहें , अब्बासी – हिंदू अमर रहे ;
उन सबकी जी-जान से कोशिश , ये नेता अक्षुण्ण रहे ।
दुश्मन का षडयंत्र भयानक , हिंदू अब तक फंसा रहा ;
दोयम-दर्जा हो गया देश में , जहरीले-सांपों से डंसा रहा ।
आस्तीन का सांप जो नेता , हिंदू ! उसको मत दूध पिलाओ ;
देशभक्त हो चरित्रवान हो , अब ऐसी सरकार बनाओ ।
देश-भक्ति है बहुत जरूरी , गद्दारों को मार भगाओ ;
देशभक्त हो सत्यनिष्ठ हो , उसकी ही सरकार बनाओ ।
यही कसौटी सर्वोत्तम है , जितने भी दल सबको कसना ;
एक छोड़ सब बाहर होंगे,”एकम् सनातन भारत” ही बचना ।
एकमात्र बस यही एक दल , धर्मनिष्ठ कर्तव्यनिष्ठ है ;
इसकी करो सहायता पूरी , तन मन धन जो वस्तुनिष्ठ है ।
देश बहुत बर्बाद हो चुका , शीघ्र नष्ट हो सकता है ;
“एकम् सनातन भारत” दल ही , भारत वर्ष बचा सकता है ।