विपुल रेगे। सन 2017 वह साल था जब सलमान खान की कोई फिल्म हिट हुई थी। तबसे लेकर अब तक सलमान सिरे से फ्लॉप रहे हैं। इन पांच सालों में सलमान कमबैक नहीं कर सके हैं। इस साल सलमान ने ‘किसी का भाई, किसी की जान’ से ख़ाता खोला है। ये फिल्म घोर दक्षिण भारतीय ट्रीटमेंट के साथ बनाई गई है, इस उम्मीद में कि दर्शक इसे पसंद करेगा। पहले दिन के कलेक्शन सलमान को ये सोचने पर मजबूर कर देंगे कि उन्हें अब लीड रोल करने छोड़ देने चाहिए।
सलमान खान को एक अदद फिल्म निर्देशक की तलाश है, जो उन्हें उन फ्लॉप फिल्मों के दलदल से निकाल सके, जिसमे वे गहरे धंसते जा रहे हैं। उनकी फिल्मोग्राफ़ी बताती है कि अब तक वे अपने स्टार करिश्मे से बॉक्स ऑफिस की टकसाल बने हुए थे। सन 2017 के बाद से रेस:3, भारत, दबंग:3, राधे, अंतिम, गॉडफादर सलमान की फ्लॉप होने वाली फ़िल्में रही है। उनका सिंहासन दरक गया है और वे किसी भी समय इस शो बिजनेस से बेदखल किये जा सकते हैं। शो बिजनेस बड़ा निर्मम होता है।
वह अमिताभ और अनिल कपूर जैसे अभिनेताओं को ठिकाने लगा चुका है। ‘किसी का भाई, किसी की जान’ वाहियात फिल्मों की श्रेणी में सबसे ऊपर खड़ी है। अक्षय कुमार की ‘बच्चन पांडे’ भी इससे अच्छी कही जा सकती है। इसकी कहानी एक दक्षिण भारतीय फिल्म से उठाई गई है। फिल्म की कहानी के साथ निर्देशक फरहाद सामजी ने दक्षिण का कल्चर भी उठा लिया है। अस्सी के दशक की कहानियां दक्षिण भारत में आज भी चलती है। ये पारिवारिक माहौल उनके ट्रेंड से कभी बाहर हुआ ही नहीं।
जब आप दक्षिण का माल उठाते हैं, तो उसे हिन्दी पट्टी के अनुसार रिफाइन करना आवश्यक होता है। लेकिन फरहाद ने इसे रिफाइन नहीं किया। नतीजा ये हुआ कि ये हॉफ बेक्ड डिश बनकर रह गई, जिसमे समोसे और इडली का स्वाद एक साथ आ रहा है। ये विचित्र फ्यूजन दर्शक को पसंद नहीं आया है। सलमान के ‘लार्जर देन लाइफ’ वाले अवतार की उम्र पूरी हो गई है। अब दर्शक सलमान से ‘तर्क’ की उम्मीद रखने लगे हैं लेकिन सलमान आज भी हवा में उछलकर शर्ट पहनने पर आमादा हैं।
57 की उम्र में 25 की उम्र वाली लड़कियों से रोमांस करते देखना अब दर्शक के लिए स्वीकार्य नहीं रहा। उनका स्टारडम जा चुका है। सिनेमा का पर्दा उम्रदराज़ चेहरे पसंद नहीं करता। एक बूढ़ा होता डॉन ‘भाईजान’ एक अन्य खूंखार डॉन ‘अन्यया’ की बेटी से प्रेम करने लगता है। अन्यया का एक दुश्मन ‘राउडी अन्ना’ उसके पूरे परिवार को मारना चाहता है। भाईजान उसके परिवार को बचाने का निर्णय लेता है। यदि निर्देशक कोई और होता तो इस स्टोरीलाइन में संभावनाएं थी। फरहाद सामजी से हम एक्सपेरिमेंट की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
अभिनेत्री पूजा हेगड़े लगातार निराश कर रही हैं। बहुत सी फ़िल्में कर लेने के बाद भी उनके अभिनय का ‘कच्चापन’ ख़त्म नहीं हुआ है। अब वे खतरे की लाइन पर खड़ी हैं। सलमान के साथ लाए गए युवा कलाकारों ने निराश किया है। एक भी चेहरा ऐसा नहीं, जिसमे ‘स्पार्क’ दिखाई देता हो। श्वेता तिवारी की बेटी पलक तिवारी का कॅरियर शुरु होने से पहले ही ख़त्म होने की आशंका दिखाई देती है। छह फ्लॉप फ़िल्में देने वाले फरहाद सामजी ने अंततः सलमान का ज़हाज़ डूबा दिया है। ‘किसी का भाई, किसी की जान’ में ‘जान’ ही नहीं है। ये फिल्म अगले सप्ताह तक शायद ही सर्वाइव कर सकेगी।