विपुल रेगे। सनी देओल का एक्शन अवतार आज भी बॉक्स ऑफिस पर बवंडर मचाने की क्षमता रखता है। आज रिलीज हुई ‘गदर :2’ ने अलसुबह से थियेटर्स में गदर काट रखा है। तारा सिंह ने आज से बाइस वर्ष पहले पाकिस्तान में जो हैंडपंप उखाड़ा था, उस समय भी थियेटर्स में जमकर ग़दर मचा था। ये फिल्म देशभक्ति और सनी देओल के करिश्मे पर दौड़ती है। निर्देशक अनिल शर्मा ने बाइस वर्ष की लंबी गैप को अपनी समझदारी से बखूबी भर दिया है। अगले तीन दिन ‘गदर :2’ टिकट खिड़की पर अनस्टपेबल दौड़ने वाली है।
सकीना को पाकिस्तान से लेकर आने के बाद आज़ाद भारत में तारासिंह का परिवार खुशहाल जीवन जी रहा है। उसका बेटा चरणजीत उर्फ़ चीते अब बड़ा हो चुका है। उधर पाकिस्तान की हुकूमत तारासिंह के हाथों अपनी बेइज़्ज़ती भूला नहीं पा रहा है। सरहद पर तनाव का माहौल है, कभी भी युद्ध की घोषणा हो सकती है। पाकिस्तान से हुई एक झड़प के दौरान हथियार पहुँचाने बॉर्डर पर गया तारासिंह लापता हो जाता है। तारा का बेटा चीते उसे खोजने के लिए फर्जी ढंग से पाकिस्तान में प्रवेश कर जाता है, जहाँ उसकी चोरी पकड़ ली जाती है।
निर्देशक अनिल शर्मा ने कहानी को बहुत ही बढ़िया ढंग से आगे बढ़ाया है। शुरुआती पांच मिनट में ‘गदर : एक प्रेमकथा’ की पूरी कहानी दर्शक को रिकॉल करा दी जाती है, जिससे कहानी में तारतम्य स्थापित हो जाता है। अनिल शर्मा ‘क्लास’ के लिए नहीं बल्कि ‘मॉस’ के लिए फ़िल्में बनाते हैं। धर्मेंद्र के साथ ‘हुकूमत’ बनाने के दौरान उन्होंने जो लाइन पकड़ी, उस पर आज तक टिके हुए हैं। ‘ग़दर: 2’ एक मसालेदार फिल्म है, जो फिल्म मेकिंग की सीमाओं को तोड़कर दर्शकों से नाता जोड़ती है।
तारासिंह एक ‘लार्जर देन लाइफ’ कैरेक्टर है लेकिन उसके प्रति दीवानगी देखते ही बनती है। दरअसल ग़दर वास्तविकता के धरातल पर बनाई ही नहीं जा सकती। वास्तविकता के धरातल पर तारासिंह का किरदार हैंडपंप नहीं उखाड़ सकेगा, बल्कि सरबजीत बनकर रह जाएगा। पाकिस्तान की धरती पर दर्शक अपने नायक को हारते नहीं देख सकता। सनी देओल ही सही मायने में फिल्म को देखने लायक बनाते हैं। तारासिंह के तेवर और उठापटक में सनी देओल ने ज़रा भी कमी नहीं आने दी है। उनके एक्शन सीक्वेंस धमाकेदार हैं। ‘बेताब’ के समय सनी कच्चे अभिनेता थे लेकिन अब तो वे डूबकर अभिनय करते हैं।
सकीना के किरदार में अमीषा पटेल को अधिक फुटेज नहीं मिला है। कहानी भारत से पकिस्तान में पहुँचते ही अमीषा पटेल स्क्रीन से लगभग गायब हो जाती हैं। मेजर जनरल हामिद इकबाल के किरदार में मनीष वाधवा प्रभावित करते हैं। उन्होंने एक वज़नदार विलेन बनने के सारे हथकंडे अपनाए हैं। अपने सारे हैवी मसालों के साथ ये फिल्म दर्शकों का अच्छा मनोरंजन करने में सफल हो रही है। इन दिनों फिल्म निर्देशक बैलेंसिंग करने के लिए बदनाम हो रहे हैं। अनिल शर्मा ने भी बैलेंस बनाने का प्रयास किया है, ताकि उन पर कोई हिंदूवादी निर्देशक होने का ठप्पा न लगा दे।
तारासिंह द्वारा मज़ार पर माथा टेकने के दृश्य हो या ये बताना कि भारत मुस्लिमों का देश है और उस संवाद में ‘हिन्दू’ को वरीयता में नीचे ले आना। ऐसे कुछ दृश्य खटकते हैं। ऐसे बैलेंसिंग दृश्यों को न रखा जाता, तो भी फिल्म की सेहत पर कोई असर नहीं होता। हालाँकि पाकिस्तान को धूल चटाने के लिए अनिल शर्मा की बैलेंसिंग नज़रअंदाज़ की जा सकती है। फिल्म के अंत में वंदे मातरम गीत के बैकग्राउंड में सनी देओल के लड़ने वाले दृश्य अच्छे लगते हैं।
आज ‘ग़दर: 2’ के साथ अक्षय कुमार की एक एडल्ट फिल्म भी प्रदर्शित हुई है। आज सुबह से ट्वीटर पर अक्षय कुमार के ‘प्रगतिशील प्रशंसक’ हस्तमैथुन का प्रचार करने वाली फिल्म के सामने ‘ग़दर: 2’ की आलोचना कर रहे हैं, जो कि कतई ठीक नहीं है। रविवार को पता चल ही जाएगा कि बॉक्स ऑफिस पर कौन राज़ करने वाला है। सेक्स क्लिनिक के डॉक्टर की तरह युवाओं को सलाह देने वाली फिल्म चलेगी, या सनी देओल का एक्शन अवतार बॉक्स ऑफिस पर राज़ करेगा। जवाब आप सभी को पता है।