दृढ प्रतिज्ञ होना ही होगा , हर -हिंदू को धर्म में अपने ;
धर्म – युद्ध होकर ही रहेगा , क्योंकि कायर नेता अपने ।
इतने कायर हुये हैं नेता , कायरता भी शर्मा जाती ;
महाबेशर्म भी शर्माते , पर इनको नहीं लाज है आती ।
राष्ट्र ने इनको दिया है सबकुछ ,पर निशदिन ये राष्ट्र तोड़ते ;
हिंदू इनको ताकत देता , पर ये गुंडों के हाथ जोड़ते ।
साष्टांग दंडवत शाहीनबाग को , रोडजाम की करें आरती ;
खून के आंसू सदा रुलाते , हरदम तड़पाते मां भारती ।
कितने नालायक है ये बेटे , हरदम मां का अपमान करें ;
कितने कृतध्न और पापी हैं ये , धर्म का न सम्मान करें ।
ईश्वर का वरदान धर्म है , मानवता का यही मर्म है ;
पर चरित्रहीन व पापी नेता , वो ही करता जो अधर्म है ।
गांधी – युग से मूर्ख है हिंदू , धर्म के दुश्मन न पहचाने ;
दूर जा रहा धर्म से हिंदू , खुद ही अपनी जान गंवाने ।
हजार – साल से संहार हो रहे , पर धर्म ने तेरी रक्षा की ;
धर्म से तुझको दूर हटाने , मक्कारों ने साजिश की ।
सबसे बड़ा गद्दार था गांधी, आधा मसीही आधा इस्लामी ;
गाजी गयासुद्दीन का पोता , मुगल जवाहर पूरा इस्लामी ।
रंगे- सियार ये दोनों ही थे , पहन रखा था हिंदू – चोला ;
कामवासना के पुतले थे , ईश्वर अल्ला एक है बोला ।
झूठे – इतिहास की गंदी- शिक्षा , इन दोनों की चाल थी ;
इनकी चाल में फंस गया हिंदू , खतरनाक ये चाल थी ।
पर सोशलमीडिया के आने से,गांधीनेहरू का भेद खुल गया
झूठे इतिहास के खूनी जाल से , हिंदू बचके निकल गया ।
अब हिंदू को संभलना होगा , हिंदू – धर्म बचाना होगा ;
गांधी – नेहरू जैसे दुश्मन से , अपना राष्ट्र बचाना होगा ।
ये दोनों मरकर भी जिंदा , इनका भूत भयानक है ;
चरित्रहीन व कायर नेता , इन्हें मानता नायक है ।
भेड़ – चाल को हिंदू त्यागें , शेर – वृत्ति को अपनायें ;
सोच समझ कर ठोंक बजाकर , अच्छे नेता को ही लायें ।
यूपी,आसाम ने राह दिखाई, उस पर चलकर मंजिल पाओ;
इसी तरह के सब हों नेता , देश को हिंदू -राष्ट्र बनाओ।
“वंदे मातरम – जय हिंद”
रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”