मैं अब्बासी-हिंदू नेता (भाग-2)
मैं तो पत्नी को छोड़ चुका हूँ , सबके घर तुड़वा दूँगा ;
हिंदू – परिवार न बचने दूँगा , ऐसे कानून बना दूँगा ।
सदा-सदा से हनी-ट्रैप हूँ , तुमको भी करवा दूँगा ;
गजवायेहिंद मुझे करना है , हिंदू को मिटवा दूँगा ।
मैं अब्बासी – हिंदू नेता , पश्चिम ने मुझको रोपा है ;
ए सी वाई पी एल की ट्रेनिंग, उसी ने काम मुझे सौंपा है ।
मुझको हिंदू – धर्म मिटाना , धर्मांतरण करवाना है ;
मैं भीतर से अब्राहमिक हूँ , सबको वही बनाना है ।
हिंदू बनकर ठग रहा हूँ हिंदू , इससे बेहतर मार्ग नहीं ;
बहुत सरल हिंदू को ठगना , बहुत सफल है मार्ग यही ।
अब्राहमिक – ग्लोबल – एजेंडा , आगे मुझे बढ़ाना है ;
चुनाव-आयोग मुट्ठी में करके , देश की मुश्कें कसना है ।
जितने भी हिंदू हैं लालची , चरित्रहीन मक्कार हैं ;
ये सब मेरे संगी-साथी , मेरे वोटर – मेरे यार हैं ।
सार्वजनिक-धन को लुटवाता , मनमाना मैं काम कराता ;
प्रेस ,मीडिया ,सोशल-मीडिया , अपनी जै-जैकार कराता ।
मुफ्त का राशन बंटवाता हूँ , उनके वोट खरीदा करता ;
कई-गुना मैं उन्हें लूटता , महामूर्ख वो समझ न पाता ।
मैं गायों को कटने देता , गौ-रक्षक को गुंडा कहता ;
पश्चिम के अपने मित्रों का , गौ-मांस से पेट भरा करता ।
तुष्टिकरण कर रहा मैं इतना , जितना पहले कभी नहीं था ;
हिंदू को मूर्ख बनाया इतना,जितना किसी ने सोचा नहीं था ।
बहुत बहादुर जो सेना थी , उसका भी बल तोड़ दिया है ;
जितने सैनिक इधर मरे हैं, उसका रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है ।
परम्परा से जो ताकत थी , उसको भी मैं तोड़ चुका हूँ ;
अग्निवीर की मेरी योजना , ये कमजोरी डाल चुका हूँ ।
पुलिस तो पहले से गड़बड़ थी , भ्रष्टाचार की दीमक से ;
इस गड़बड़ को और बढ़ाया , अपनी जेहादी ताकत से ।
मैं अब्बासी – हिंदू नेता , अंदर से पूरा जेहादी ;
तिलक-त्रिपुंड का झांसा देकर घटा रहा हिंदू-आबादी ।
सौ में नब्बे जो होती थी , अस्सी तक मैं ले आया ;
जैसे ही ये सत्तर होगी , गजवायेहिंद निश्चित आया ।
पर एक नया दल उभर रहा है , जो मेरा खेल बिगाड़ रहा ;
“एकम् सनातन भारत” दल है, मुझको धरती में गाड़ रहा ।